रांची: लोकसभा के बाद अब झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक हो रही है. लेकिन इस बैठक के बीच ये भी बड़ा सवाल है कि लोकसभा में कांग्रेस के हार के क्या कारण रहे. हार का एक बड़ा कारण राहुल गांधी के पांच न्याय-पच्चीस गारंटी को घर-घर तक ना पहुंच पाना बताया जा रहा है. इसे लेकर पार्टी के अंदर भी घमासान मचा हुआ है. अब सवाल उठ रहा है कि क्या विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस के ये गारंटी कार्ड प्रभावी हो पाएंगे या नहीं?
दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने झारखंड की सात लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से पांच लोकसभा सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. पार्टी को उम्मीद थी कि कांग्रेस और राहुल गांधी के पांच न्याय-पच्चीस गारंटी के दम पर पार्टी जनता का भरोसा जीतने में कामयाब होगी, लेकिन ऐसा हो न सका. राज्य की दो अनुसूचित जनजाति आरक्षित लोकसभा सीटों खूंटी और लोहरदगा को छोड़कर बाकी सभी सामान्य सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.
अब एक तरफ जहां झारखंड में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक हो रही है, वहीं दूसरी तरफ झारखंड में पार्टी के अंदर इस बात को लेकर घमासान मचा हुआ है कि संगठन राहुल गांधी की पांच न्याय और पच्चीस गारंटी योजना को हर घर तक नहीं पहुंचा पाया.
हर घर नहीं पहुंच पाया गारंटी कार्ड
चुनाव के दौरान रांची स्थित कांग्रेस मुख्यालय में बनाए गए वॉर रूम के सदस्य अजय सिंह बताते हैं कि एआईसीसी की ओर से पहली खेप में 08 लाख गारंटी कार्ड रांची और दूसरी खेप में 5.54 लाख गारंटी कार्ड भेजे गए थे. इन्हें अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में भेजा गया. उन्होंने माना कि चतरा लोकसभा क्षेत्र के एक होटल में बड़ी संख्या में गारंटी कार्ड मिले थे. दो दिन बाद इसकी जानकारी मिली जिसके बाद पीसीसी ने इन्हें चतरा लोकसभा सीट के प्रत्याशी तक पहुंचाया. अजय सिंह का मानना है कि अगर हमारे गारंटी कार्ड हर जगह पहुंचते तो जीत की संभावना 15-20 फीसदी बढ़ जाती.
जिला अध्यक्ष और प्रत्याशी जिम्मेदार
झारखंड में राहुल गांधी के पांच न्याय और पच्चीस गारंटी कार्ड के हर घर में ठीक से वितरण नहीं होने के बारे में झारखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता जगदीश साहू कहते हैं कि इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार जिला अध्यक्ष और प्रत्याशी हैं. उनकी जिम्मेदारी थी कि ज्यादा से ज्यादा घरों तक गारंटी कार्ड पहुंचाएं और पूरा रिकॉर्ड पार्टी मुख्यालय को भेजें. उन्होंने माना कि कई लोकसभा क्षेत्रों में कितने गारंटी कार्ड बांटे गए हैं, इसकी रसीद प्रदेश मुख्यालय को नहीं मिली है.
राहुल गांधी की ये थी गारंटी
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा और भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जनता से मिले फीडबैक को ध्यान में रखते हुए पांच न्यायों- युवा न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय के तहत जनता से 25 वादे किए थे. युवा न्याय के तहत हर शिक्षित युवा की पहली नौकरी सुनिश्चित करने का वादा था. नारी न्याय के तहत हर गरीब परिवार की हर महिला को हर साल 1 लाख रुपये देने का वादा था. इसी तरह किसान न्याय के तहत कर्जमाफी और स्वामीनाथन फॉर्मूले के तहत एमएसपी लागू करना था. श्रमिकों को ध्यान में रखते हुए श्रमिक न्याय के तहत न्यूनतम मजदूरी (मनरेगा सहित) ₹400 प्रतिदिन की गांरटी, वहीं हिस्सेदारी न्याय के तहत सामाजिक-आर्थिक समानता के लिए हर व्यक्ति और वर्ग की गिनती की गारंटी थी.
कांग्रेस की गारंटी कार्ड घर-घर पहुंचाने की रणनीति और इसकी मॉनिटरिंग के लिए पार्टी ने पूरी व्यवस्था की थी. इसके तहत बांटे जाने वाले गारंटी कार्ड की पर्ची के साथ किस लोकसभा क्षेत्र के किस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता को गारंटी कार्ड मिला है, उसका मोबाइल नंबर भी भेजने का प्रावधान था. इसमें गारंटी कार्ड बांटने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता का ब्योरा भी देना था. हैरानी की बात यह है कि चुनाव परिणाम आने के बाद भी अब तक बांटे गए गारंटी कार्ड की 25 फीसदी पर्चियां प्रदेश मुख्यालय तक नहीं पहुंच पाई हैं.
जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की कमी बड़ा कारण
कांग्रेस गतिविधियों का लंबा अनुभव रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह ने कहा कि वे अक्सर कहते रहे हैं कि कांग्रेस की राजनीति कार्यालय और मुख्यालय से चलती है, जबकि जमीनी स्तर पर पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं की कमी है. उन्होंने कहा कि दूसरी बात यह रही कि कांग्रेस कार्यकर्ता और प्रदेश स्तर के नेता गारंटी कार्ड के महत्व को नहीं समझ पाए.
गारंटी की अहमियत नहीं समझ पाए कांग्रेस कार्यकर्ता
क्या कांग्रेस की 05 गारंटी और 25 न्याय की गांरटी 2024 के विधानसभा चुनाव में भी कारगर होंगी? इस सवाल के जवाब में सतेंद्र सिंह कहते हैं कि विधानसभा चुनाव की बात तो छोड़िए, उससे पहले चंपाई सरकार ने जो दो घोषणाएं की हैं, वे इसी कांग्रेस के गारंटी कार्ड का हिस्सा हैं. गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को 1000 रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा "नारी न्याय" का हिस्सा है और "जाति जनगणना" कराने की घोषणा "हिस्सेदारी न्याय" का हिस्सा है और किसानों को 2 लाख रुपए तक की कर्जमाफी की घोषणा किसान न्याय का हिस्सा है. ऐसे में समझा जा सकता है कि चंपाई सरकार चुनाव जीतने वाली योजनाएं मानकर जिन ताबड़तोड़ योजनाओं की घोषणा कर रही है, कांग्रेस उन्हीं योजनाओं की घोषणा अपने गांरटी कार्ड में शामिल करने के बाद भी इनकी अहमियत नहीं समझ पाई.
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