एलुरु: पोंगल का त्योहार दक्षिण भारत में न केवल खुशी और उमंग लेकर आता है, बल्कि पारंपरिक मुर्गे की लड़ाई जैसे रोमांचक आयोजन भी इसकी शान बढ़ाते हैं. मुर्गे की लड़ाई की परंपरा कई बार चौंकाने वाली घटनाओं का गवाह बनती है. आंध्र प्रदेश के एलुरु में इस बार ऐसा ही हुआ. पोंगल के मौके पर हुई मुर्गे की लड़ाई में हारने वाले एक मुर्गे ने सुर्खियां बटोरीं, जब उसकी नीलामी 1 लाख 11 हजार 111 रुपये में की गई.
क्या है मामलाः गुरुवार को एलुरु में मुर्गे की लड़ाई हुई. इस लड़ाई में राजेंद्र, आह्लाद और राजवंशी का मुर्गा हार गया. इतना ही नहीं इस मुकाबले में वह बुरी तरह जख्मी भी हो गया. बाद में उसकी मौत हो गई. इसके बाद मुर्गे के मालिकों ने उसे नीलाम करने का फैसला लिया. इस मुर्गे का भुना हुआ मांस खाने के लिए एलुरु के जलीपुडी निवासी नवीन चंद्रबोस ने 1 लाख 11 हजार 111 रुपये खर्च किये.
सोशल मीडिया पर दी जानकारीः एलुरु के जलीपुडी निवासी नवीन चंद्रबोस ने यह रकम केवल मुर्गे के मांस के लिए चुकाई. नवीन चंद्रबोस ने बाद में इस अनोखे पल को इंस्टाग्राम पर शेयर किया, जिससे कहानी की पहुंच और बढ़ गई. नवीन के इस कदम ने पोंगल के पारंपरिक आयोजन को एक नया आयाम दिया. लोग तरह-तरह के कॉमेंट कर रहे हैं. कुछ आश्चर्य कर रहे हैं तो कुछ सराहना भी कर रहे हैं. इस घटना ने दिखाया कि त्योहार की परंपरा, रोमांच और भावनाओं का मिश्रण कभी-कभी असाधारण परिणामों को जन्म देता है.
मुर्गा को दिया जाता प्रशिक्षणः बता दें कि संक्रांति पर लड़ाई के लिए मुर्गों को तैयार करने के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है. पोलावरम, कटरेनिकोना, मुम्मिदिवरम, अल्लावरम, उप्पलागुप्तम, राजोलू, सखिनेटीपल्ली, रावुलापलेम, अलमुरु, रामचंद्रपुरम और अन्य मंडलों सहित अंबेडकर कोनासीमा जिले में 200 से अधिक प्रशिक्षण शिविरों में मुर्गों को बहुत ध्यान से तैयार किया जाता है. मुर्गों को न केवल दौड़ के लिए बल्कि पैर में ब्लेड बांधकर उसे चलाने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है.
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