पटना : वक़्क संशोधन बिल को लोकसभा में केंद्र सरकार ने पेश करने के बाद चर्चा के लिये जेपीसी को सौंप दिया है. जेपीसी की एक बैठक भी हो चुकी है जो काफी हंगामेंदार रही है. 30 अगस्त को दूसरी बैठक होगी. वहीं मुस्लिम नेता आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लगातार मिल कर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
नीतीश को सताने लगा 17 फीसदी खिसकने का खतरा : जब से वक़्फ़ बोर्ड कानून आया है तब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार मुस्लिम नेताओं से मुलाकात कर उन्हें आश्वासन दे रहे हैं. मुस्लिम नेताओं को मनाने में नीतीश कुमार ने अपने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान को भी लगाया है. बिहार में मुसलमानों की आबादी 17% से अधिक है. यह बड़ा वोट बैंक है. नीतीश कुमार इस वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहते हैं. लेकिन मुस्लिम नेताओं की नाराजगी से नीतीश कुमार की मुश्किलें जरूर फिलहाल बढ़ गई हैं.
बिहार में मुसलमानों का प्रतिशत : बिहार में जातिगत सर्वे के आंकड़ें कहते हैं कि बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ है. इसमें 81.99 प्रतिशत हिंदू और 17.70 फीसदी मुसलमान हैं. सर्वे में मुस्लिम आबादी को 3 वर्गों में बांटा गया है. मुस्लिम कम्युनिटी के सबसे उच्च तबके जिसमें शेख-सैयद और पठान आते हैं. पठानो की संख्या 4.80% है, जबकि बैकवर्ड मुसलमान 2.03 % के करीब हैं. पर मुस्लिम आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा अति पिछड़े मुसलमानों का है. कुल मुसलमानों में करीब 10.58 % अति पिछड़े मुसलमान हैं.
मुस्लिम कैंडिडेट की जीत पर नाराजगी का ग्रहण? : नीतीश कुमार से मुसलमानों का मोह भंग 2020 से ही होने लगा. जब जदयू के एक भी मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा चुनाव जीत नहीं पाए. नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव में 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे सभी हार गए. 2024 लोकसभा चुनाव में भी एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को जीत नहीं मिली. यह कहा जाने लगा कि मुसलमानों ने जदयू को 2020 और 2024 में वोट नहीं किया है. जदयू नेताओं में नाराजगी भी इस बात को लेकर है, क्योंकि उनका दावा है कि मुसलमानों के लिए बिहार में अब तक किसी मुख्यमंत्री ने सबसे ज्यादा काम किया है तो वह नीतीश कुमार हैं.
सदन में JDU के स्टैंड से मुसलमान नाराज : केंद्र सरकार ने वक़्क बोर्ड कानून जब लोकसभा में पेश किया तो नीतीश कुमार के मंत्री ललन सिंह ने उसका पुरजोर समर्थन किया और यह भी कहा कि यह मुस्लिम विरोधी नहीं है, लेकिन मुस्लिम नेताओं में जदयू के इस फैसले को लेकर काफी नाराजगी है. मुस्लिम नेता अपनी बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर कह रहे हैं.
मुलाकातों का दौर जारी : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है. बिहार के सुनी और शिया वक़्फ़ बोर्ड के साथ है इमारते सरिया के मुस्लिम नेता भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल चुके हैं. नीतीश कुमार मुस्लिम नेताओं को आश्वासन दे रहे हैं कि उनके साथ कोई भी ना इंसाफी नहीं होगी.
मुलाकातों से मान जाएंगे नीतीश? : शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष अफजल अब्बास और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष इर्शादुल्लाह को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री इस मामले में फैसला लेंगे. दोनों बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि दबाव बनाने की कोई बात नहीं है लेकिन हम लोगों ने अपनी बात मुख्यमंत्री के सामने रख दी है.
जेडीयू ने खींच दी लकीर : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान को मुस्लिम नेताओं को मनाने में लगाया है, साथ ही वक्त बोर्ड की जमीन पर अतिक्रमण हुआ है कि नहीं जमीन बेचा गया है कि नहीं इस पर भी नजर बनाए रखने के लिए कहा है. जमा खान ने साफ कहा है कि जो भी विकास पसंद लोग होंगे, हिंदू-मुस्लिम भाईचारा बना रहे, वह नीतीश कुमार के साथ खड़ा रहेगा.
नीतीश ने मुसलमानों के लिए काम किया : नीतीश कुमार के नजदीकी मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि मुस्लिम नेताओं ने मुलाकात की है. मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि जेपीसी में उनकी भावनाओं को पार्टी की ओर से रखा जाएगा जब भी कोई नया कानून बनता है तो उसके दो पक्ष होते हैं. एक उसके समर्थन में आते हैं, दूसरा उसके विरोध में. वक़्फ़ बोर्ड पर जो लोग काबिज हैं, उन्हें लगता है कि उनका टेक जा रहा है. हमारे नेता ने सब की बात सुनने के बाद उनकी भावनाओं को जेपीसी में रखने का आश्वासन दिया है.
''बिहार में जब लालू राज था, उस समय केवल 48 करोड़ का अल्पसंख्यक विभाग का बजट था. आज 7 गुना से भी अधिक बढ़ चुका है. मुस्लिम बच्चों को आईएएस, आईपीएस और बीएससी की तैयारी में सरकार की ओर से जो कोचिंग चलाई जा रही है. क्या किसी राज्य में इस तरह की व्यवस्था है? 250 से अधिक अल्पसंख्यक के बच्चे सरकार की ओर से हज भवन में चलाई जा रही कोचिंग के माध्यम से बीपीएससी कंप्लीट किए हैं.''- अशोक चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार
नीतीश ने मुस्लिम हित में किया ज्यादा काम : अशोक चौधरी ने कहा कि बिहार में 22000 मदरसा को सरकारी करण नीतीश कुमार के राज में किया गया, सातवां वेतनमान मदरसा के शिक्षकों को दिया गया, पूरे बिहार में कब्रिस्तान की घेराबंदी नीतीश कुमार के शासन में ही हुआ है. लालू जी ने क्या किया? सिर्फ आडवाणी का रथ रोकने का काम किया है. क्या उससे अल्पसंख्यकों के बच्चों की पढ़ाई हो जाएगी? उनका विकास हो जाएगा?
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक? : वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का भी कहना है कि जब से नीतीश कुमार पाला बदलकर बीजेपी के साथ आए हैं, तभी से मुसलमानों में नाराजगी है. उसके साथ तीन तलाक, सीएए और अब वक़्फ़ बोर्ड कानून में जदयू का जो रवैया रहा है उससे उनकी नाराजगी और बढ़ी है.
''बिहार में मुसलमान लंबे समय तक लालू प्रसाद यादव के साथ जुड़े रहे हैं. लालू यादव का माय वोट समीकरण हुआ करता था. लेकिन नीतीश कुमार ने ही उस वोट बैंक में सेंध लगाई थी. लेकिन पिछले कुछ चुनाव से साफ दिख रहा है मुसलमान वोट बैंक का बड़ा हिस्सा एक बार फिर से आरजेडी से जुड़ा है.''- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक
मुसलमानों को खुश करने में जुटे नीतीश : ऐसे में नीतीश कुमार हमेशा मुसलमान को खुश करने में लगे रहे हैं. कई योजना इनके लिए लेकर आए और हमेशा विवाद हुआ. आज तक फैसलों में बीजेपी से अलग रुख रखते रहे हैं इसके बावजूद हाल के कुछ निर्णय से मुसलमान जदयू से खफा है. इसका नुकसान विधानसभा चुनाव में भी होगा यह तय है. अब मुसलमान की नाराजगी को नीतीश कुमार कितना दूर कर पाते हैं? यह देखने वाली बात होगी.
बिहार में मुसलमानों के लिए योजनाएं : अल्पसंख्यक छात्रावास योजना. अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय योजना. अल्पसंख्यक राज्य कोचिंग योजना. मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक छात्रावास खाद्यान्न योजना. मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक छात्रावास अनुदान योजना. मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना, अल्पसंख्यक मुस्लिम तलाकशुदा सहायता योजना. प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम. अल्पसंख्यक मेधा आधारित तकनीक एवं व्यवसायिक छात्रवृत्ति योजना. मुख्यमंत्री श्रम शक्ति योजना. जैसी योजना बिहार में मुसलमानों के लिए ही विशेष रूप से चलाई जा रही है.
नीतीश पर दबाव बनाने रहे मुस्लिम नेता : बिहार के और देश के अन्य मुसलमान नेता नीतीश कुमार से इसलिए मिल रहे हैं क्योंकि केंद्र में नीतीश कुमार के सहयोग से ही सरकार चल रही है. इसलिए मुसलमानों के बड़े नेता न केवल चंद्रबाबू नायडू से बल्कि नीतीश कुमार से मुलाकात कर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जिससे वक्फ बोर्ड कानून पास ना हो सके.
नीतीश का आश्वासन बनेगी गारंटी ? : इधर नीतीश कुमार को डर है कि बिहार में 17.7% जो मुस्लिम वोट बैंक है. वह सदा के लिए उनसे दूर ना हो जाए. इसलिए अपने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान को इसमें लगाया है. जमा खान लगातार मुस्लिम नेताओं से बात कर रहे हैं. खुद मुख्यमंत्री से ले जाकर उन्हें मिला भी रहे हैं. मुख्यमंत्री उन्हें आश्वासन भी दे रहे हैं. दूसरी तरफ मदरसा में जो पाकिस्तान सिलेबस पढ़ाया जा रहा है. उसको लेकर भी जमा खान अपनी तरफ से सफाई दे रहे हैं. अब देखना है नीतीश कुमार मुस्लिम नेताओं की उम्मीद पर कितना खरा उतर पाते हैं?
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