रांची: झारखंड में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. हेमंत सोरेन ने राज्य के 13 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. हालांकि ऐसा पहली बार हुआ कि हेमंत सोरेन ने महागठबंधन के नेता के रूप में अकेले ही राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली हो. इससे पहले वह अपने साथ-साथ सहयोगी दलों के एक-एक विधायक को भी मंत्री पद की शपथ दिलाते थे.
हेमंत सोरेन के सीएम बनने के बाद राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठने लगा है कि क्या कैबिनेट विस्तार को लेकर पहली बार हेमंत सोरेन किसी दवाब या दुविधा में है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड की राजनीति को बेहद करीब से देखने और समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि इस बार ऐसा लगता है कि हेमंत सोरेन, सहयोगी दलों की वजह से कम, झामुमो के आंतरिक राजनीति अधिक परेशान हैं.
कैबिनेट विस्तार से पहले क्या क्या हो सकती है हेमंत की दुविधा
1. चंपाई सोरेन को लेकर दुविधा
वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सतेंद्र सिंह के अनुसार मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की सबसे बड़ी दुविधा, पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को लेकर है. उनकी जगह खुद मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में चंपाई सोरेन, बतौर मंत्री शामिल होंगे या नहीं. अगर कोल्हान टाइगर के रूप में विख्यात चंपाई सोरेन अगर अब हेमंत सरकार में मंत्री बनने को तैयार नहीं होते हैं तब उनका एडजस्टमेंट कहां किया जाए, जो उनके ऊंचे राजनीतिक कद और पूर्व मुख्यमंत्री के सम्मान के लायक हो. यही दुविधा सबसे ज्यादा हेमंत सोरेन को है. क्या उन्हें झारखंड राज्य सरकार के समन्वय के लिए शिबू सोरेन की अध्यक्षता में बने स्टेट कोऑर्डिनेशन कमिटी में कार्यकारी अध्यक्ष या कोई अन्य महत्वपूर्ण पद दिया जाए, यह दुविधा तो है.
2. बसंत सोरेन को मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर भी दुविधा
वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र कहते हैं कि 04 जुलाई को तीसरी बार राज्य का मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन को कैबिनेट विस्तार में एक दुविधा इस बात की भी है कि क्या वह इस कैबिनेट में अपने अनुज निवर्तमान पथनिर्माण मंत्री बसंत सोरेन को रखें या नहीं? यह दुविधा इसलिए है क्योंकि बसंत सोरेन की एंट्री चम्पाई सोरेन सरकार में तब हुई थी जब हेमंत जेल में थे. हेमंत सोरेन के सब्स्टीट्यूट्स के रूप में बसंत सोरेन को मंत्री बनाया गया था. अब जब हेमंत सोरेन खुद मुख्यमंत्री बन गए हैं तो क्या कैबिनेट में शिबू सोरेन परिवार का एक और सदस्य बसंत सोरेन को भी कंटिन्यू किया जाए या नहीं ?
3. बैद्यनाथ राम को कैसे एडजस्ट करें
झामुमो के विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि लातेहार से झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम को लेकर भी इस बार हेमंत सोरेन दुविधा में फंसे हुए हैं. दुविधा इसलिए कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन नई सरकार में मंत्री बनना स्वीकार लेते हैं और बसंत सोरेन भी कंटिन्यू करते हैं तो झामुमो का मंत्रिमंडल में कोटा ऐसे ही पूरा हो जाता है. ऐसे में बैद्यनाथ राम को कैसे एडजस्ट किया जाए, यह दुविधा हेमन्त सोरेन की है. क्योंकि आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव है और दलित वोटरों को भी साधना है . वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि इस बार बैद्यनाथ राम को मंत्री बनाना मजबूरी है क्योंकि चुनाव नजदीक है और मंत्रिमंडल में कोई दलित नहीं है.
इसके अलावा सहयोगी दल कांग्रेस ने भी 12 वें मंत्री को लेकर अपना दबाव बनाए हुए है. ऐसे में क्या वह इस बार आसानी से 12 वां मंत्री पद झामुमो को दे देगी.
वहीं, झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जगदीश साहू और झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय जैसे कई नेताओं ने कहा कि अगर कोई दुविधा होगी तो हेमंत सोरेन अपने अनुभव से उसका समाधान कर लेंगे.
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