चेन्नई/मदुरै: तमिलनाडु में मदुरै चिथिराई थिरुविझा त्योहार 12 अप्रैल से शुरू हुआ था. इसका मुख्य कार्यक्रम 19 अप्रैल को मदुरै में पांड्य साम्राज्य की रानी मानी जाने वाली मीनाक्षी अम्मन का अभिषेक और 20 अप्रैल को 'दिग्विजयम' था. वहीं, मीनाक्षी और सुंदरेश्वर की दिव्य शादी 21 अप्रैल को हुई, जिसे मदुरै और शैव धर्म के लोगों द्वारा एक पवित्र दिन माना जाता है. इसके चलते पूरा मदुरै शहर उत्सव से भरा हुआ है.
ऐसा माना जाता है कि मीनाक्षी थिरुकल्याणम के दिन पीली थाली (मंगलसूत्र) बदलने से उनके पतियों की उम्र बढ़ती है. मीनाक्षी - सुंदरेश्वर थेरोट्टम (रथ महोत्सव) जिसमें सभी जाति धर्म के लोग भाग लेते हैं, 22 अप्रैल को आयोजित किया गया. इसमें शिव-पार्वती, मीनाक्षी, करुप्पासामी आदि के साथ मीनाक्षी-सुंदरेश्वर जैसे देवताओं के दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्त उमड़े.
विशेष पोशाक में सुंदरेश्वर विदाई के साथ एक रथ में और देवी मीनाक्षी दूसरे रथ में सवार थीं. सुबह 5.15 बजे से 5.40 बजे के बीच रथ की विशेष पूजा-अर्चना की गई. इसके बाद सुबह करीब साढ़े छह बजे हजारों श्रद्धालु रथ को खींचने लगे.
रथ जुलूस कीजामासी रोड से शुरू हुआ और दक्षिण मासी रोड, मेलामासी रोड और उत्तरी मासी रोड से होकर गुजरा. इस दौरान हजारों भक्तों ने स्वामी के दर्शन किए. कल्लाझागर एथिर सेवई महोत्सव, चिथिराई उत्सव का एक और महत्वपूर्ण कार्यक्रम मंगलवार को आयोजित किया जाएगा. इस त्योहार के दौरान कई लाख लोग जाति, धर्म और भाषा जैसे कई मतभेदों के बावजूद, सब कुछ भूलकर एक साथ इसमें भाग लेते हैं और इसे मनाते हैं, जो दक्षिण भारत में मदुरै की एक बड़ी खासियत है.