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साइबरस्पेस में चीन की बढ़ती आक्रामकता से वैश्विक चिंताएं बढ़ी - Chinas aggressive cyberspace - CHINAS AGGRESSIVE CYBERSPACE

China cyberspace raising global concerns: चीन की साइबर जासूसी के मामले बढ़ रहे हैं. अमेरिका ने चीन पर साइबर जासूसी अभियान चलाने के गंभीर आरोप लगाए हैं. इससे पहले भारत समेत कई अन्य देशों ने चीन पर साइबर आक्रामकता के आरोप लगाए. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

China's growing aggressiveness in cyberspace raising global concerns
साइबरस्पेस में चीन की बढ़ती आक्रामकता से वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 27, 2024, 2:17 PM IST

नई दिल्ली: चीन की बढ़ती आक्रामकता समुद्री ही नहीं बल्कि अब साइबर जासूसी के रूप में भी देखने को मिल रही है. बीजिंग इस समय हैकिंग के आरोपों को लेकर वैश्विक आलोचना का सामना कर रहा है. यह एक बार फिर खुद को वैश्विक जांच के केंद्र में पाता है. अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड जैसे देशों से गंभीर आरोप सामने आए हैं.

इन देशों के अधिकारियों ने चीन पर एक बड़ा साइबर जासूसी अभियान चलाने के आरोप लगाए हैं. सांसदों, शिक्षाविदों, पत्रकारों और कंपनियों, विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र की कंपनियों सहित लाखों लोग इससे प्रभावित हुए हैं. अधिकारियों ने इसपर प्रतिबंध भी लगाए हैं. नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीन और चीन अध्ययन के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने ईटीवी भारत को बताया कि साइबर मुद्दे दोहरे उपयोग वाली वस्तुएं हैं. आम तौर पर सभी देश इसमें शामिल होते हैं.

उन्होंने कहा, 'चीन पश्चिम पर प्रति वर्ष 16 मिलियन से अधिक साइबर घुसपैठ का आरोप लगाता है. चीन वित्तीय और सैन्य खुफिया जानकारी के लिए भी ऐसा ही करता है. चीन हाल ही में और अधिक आक्रामक हो गया है.' हाल ही में अमेरिकी न्याय विभाग ने सात चीनी नागरिकों पर चीन स्थित हैकिंग समूह में शामिल होने के लिए कंप्यूटर घुसपैठ का आरोप लगाया.

चीन स्थित हैकिंग समूह में शामिल होने के लिए वायर धोखाधड़ी करने की साजिश ने लगभग 14 वर्षों तक अमेरिका को निशाना बनाया. इसने अमेरिकी और विदेशी आलोचकों, व्यवसायों और राजनीतिक अधिकारियों को निशाना बनाया. चीन की आर्थिक जासूसी और विदेशी खुफिया उद्देश्यों को आगे बढ़ाने को लेकर ऐसा किया गया.

अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार 10,000 से अधिक दुर्भावनापूर्ण ईमेल हैं. ये कई महाद्वीपों में हजारों पीड़ितों को प्रभावित कर रहे हैं. न्याय विभाग ने कहा कि वह लोकतंत्र को कमजोर करने वाले और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले साइबर अपराधियों का लगातार पीछा करेगा, उनका पर्दाफाश करेगा और उन्हें जिम्मेदार ठहराएगा.

इस बीच, चीन ने अमेरिका और ब्रिटेन के आरोपों पर पलटवार किया है कि पश्चिमी देशों में लाखों लोगों को निशाना बनाने वाले सरकारी हैकिंग ऑपरेशन के पीछे उसका हाथ है. विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, 'वॉशिंगटन और अन्य को राजनीतिक हेरफेर का आरोप लगाते हुए अपने साइबर हमले बंद करने चाहिए.' उन्होंने कहा कि अपने चुनाव आयोग और सांसदों पर हैक होने का आरोप लगाने के लिए ब्रिटेन के सबूत अपर्याप्त थे.

अमेरिका और ब्रिटेन ने हमलों के लिए चीनी राज्य संचालित साइबर इकाई को जिम्मेदार ठहराया है. सूत्रों के मुताबिक ब्रिटेन ने सोमवार को घोषणा की कि दो चीनी नागरिकों और एक कंपनी को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. ब्रिटिश सरकार का आरोप है कि वुहान जियाओरुइजी साइंस एंड टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड चीन राज्य-संबद्ध साइबर जासूसी समूह एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट ग्रुप 31 (APT31) के लिए काम करती है.

आरोपों को खारिज करते हुए चीनी प्रवक्ता लिन जियान ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान आगे कहा, 'अमेरिका और ब्रिटेन ने एक बार फिर चीन से तथाकथित साइबर हमलों को बढ़ावा दिया और चीन के व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया. यह सरासर राजनीतिक हेरफेर है. चीन इसकी कड़ी निंदा करता है और इसका पुरजोर विरोध करता है.'

उन्होंने कहा, 'हमने संबंधित पक्षों को इस संबंध में अपना प्रतिरोध दर्ज कराया है. हम अमेरिका और ब्रिटेन से आग्रह करते हैं कि वे साइबर सुरक्षा के मुद्दों का राजनीतिकरण बंद करें. चीन पर कीचड़ उछालना और चीन पर एकतरफा प्रतिबंध लगाना बंद करें और चीन के खिलाफ साइबर हमले रोकें. चीन मजबूती से सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा.

ये भी पढ़ें- भारत के खिलाफ चीन का साइबर वॉरफेयर, सावधान रहने की जरूरत

नई दिल्ली: चीन की बढ़ती आक्रामकता समुद्री ही नहीं बल्कि अब साइबर जासूसी के रूप में भी देखने को मिल रही है. बीजिंग इस समय हैकिंग के आरोपों को लेकर वैश्विक आलोचना का सामना कर रहा है. यह एक बार फिर खुद को वैश्विक जांच के केंद्र में पाता है. अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड जैसे देशों से गंभीर आरोप सामने आए हैं.

इन देशों के अधिकारियों ने चीन पर एक बड़ा साइबर जासूसी अभियान चलाने के आरोप लगाए हैं. सांसदों, शिक्षाविदों, पत्रकारों और कंपनियों, विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र की कंपनियों सहित लाखों लोग इससे प्रभावित हुए हैं. अधिकारियों ने इसपर प्रतिबंध भी लगाए हैं. नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीन और चीन अध्ययन के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने ईटीवी भारत को बताया कि साइबर मुद्दे दोहरे उपयोग वाली वस्तुएं हैं. आम तौर पर सभी देश इसमें शामिल होते हैं.

उन्होंने कहा, 'चीन पश्चिम पर प्रति वर्ष 16 मिलियन से अधिक साइबर घुसपैठ का आरोप लगाता है. चीन वित्तीय और सैन्य खुफिया जानकारी के लिए भी ऐसा ही करता है. चीन हाल ही में और अधिक आक्रामक हो गया है.' हाल ही में अमेरिकी न्याय विभाग ने सात चीनी नागरिकों पर चीन स्थित हैकिंग समूह में शामिल होने के लिए कंप्यूटर घुसपैठ का आरोप लगाया.

चीन स्थित हैकिंग समूह में शामिल होने के लिए वायर धोखाधड़ी करने की साजिश ने लगभग 14 वर्षों तक अमेरिका को निशाना बनाया. इसने अमेरिकी और विदेशी आलोचकों, व्यवसायों और राजनीतिक अधिकारियों को निशाना बनाया. चीन की आर्थिक जासूसी और विदेशी खुफिया उद्देश्यों को आगे बढ़ाने को लेकर ऐसा किया गया.

अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार 10,000 से अधिक दुर्भावनापूर्ण ईमेल हैं. ये कई महाद्वीपों में हजारों पीड़ितों को प्रभावित कर रहे हैं. न्याय विभाग ने कहा कि वह लोकतंत्र को कमजोर करने वाले और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले साइबर अपराधियों का लगातार पीछा करेगा, उनका पर्दाफाश करेगा और उन्हें जिम्मेदार ठहराएगा.

इस बीच, चीन ने अमेरिका और ब्रिटेन के आरोपों पर पलटवार किया है कि पश्चिमी देशों में लाखों लोगों को निशाना बनाने वाले सरकारी हैकिंग ऑपरेशन के पीछे उसका हाथ है. विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, 'वॉशिंगटन और अन्य को राजनीतिक हेरफेर का आरोप लगाते हुए अपने साइबर हमले बंद करने चाहिए.' उन्होंने कहा कि अपने चुनाव आयोग और सांसदों पर हैक होने का आरोप लगाने के लिए ब्रिटेन के सबूत अपर्याप्त थे.

अमेरिका और ब्रिटेन ने हमलों के लिए चीनी राज्य संचालित साइबर इकाई को जिम्मेदार ठहराया है. सूत्रों के मुताबिक ब्रिटेन ने सोमवार को घोषणा की कि दो चीनी नागरिकों और एक कंपनी को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. ब्रिटिश सरकार का आरोप है कि वुहान जियाओरुइजी साइंस एंड टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड चीन राज्य-संबद्ध साइबर जासूसी समूह एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट ग्रुप 31 (APT31) के लिए काम करती है.

आरोपों को खारिज करते हुए चीनी प्रवक्ता लिन जियान ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान आगे कहा, 'अमेरिका और ब्रिटेन ने एक बार फिर चीन से तथाकथित साइबर हमलों को बढ़ावा दिया और चीन के व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया. यह सरासर राजनीतिक हेरफेर है. चीन इसकी कड़ी निंदा करता है और इसका पुरजोर विरोध करता है.'

उन्होंने कहा, 'हमने संबंधित पक्षों को इस संबंध में अपना प्रतिरोध दर्ज कराया है. हम अमेरिका और ब्रिटेन से आग्रह करते हैं कि वे साइबर सुरक्षा के मुद्दों का राजनीतिकरण बंद करें. चीन पर कीचड़ उछालना और चीन पर एकतरफा प्रतिबंध लगाना बंद करें और चीन के खिलाफ साइबर हमले रोकें. चीन मजबूती से सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा.

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