छिंदवाड़ा। रिटायरमेंट के बाद कोई भी सरकारी कर्मचारी अपनी जमा पूंजी को बुढ़ापे के सहारे के लिए बचा कर रखता है लेकिन सिवनी जिले के एक मास्साब ने मिसाल पेश की है. रिटायरमेंट के बाद एक शिक्षक ने अपने ही स्कूल को 1 लाख 21 हजार रुपये की राशि दान में दी है. उनके द्वारा दिए गए पैसों से बच्चों का भविष्य सुधर सके और गरीब बच्चे पढ़ लिखकर काबिल इंसान बन सकें.
1 लाख 21 हजार रुपये की दान की राशि
सिवनी के मास्साब अनिल शर्मा वाकई मिसाल हैं. जिस स्कूल में पढ़े थे वहीं पूरी जिंदगी मास्टरी की. केवल कुछ साल के लिए उनका दूसरे स्कूल में तबादला हुआ बाकी बतौर शिक्षक पूरी नौकरी उन्होंने इसी स्कूल में नौकरी की और नौकरी के दौरान जो पैसा बचाया रिटायरमेंट के बाद स्कूल के नाम एक लाख 21 हजार की एफडी कर दी. ये राशि सरकारी स्कूल के बच्चों के काम आएगी.
उड़ेपानी सरकारी स्कूल में की 25 साल नौकरी
अनिल शर्मा ने सिवनी जिले के उड़ेपानी सरकारी स्कूल में 25 सालों तक नौकरी की और 31 मई 2024 को वे रिटायर हुए. 1984 से शिक्षक की नौकरी में आए. अनिल शर्मा कुछ साल तो दूसरे स्कूलों में सेवाएं देते रहे लेकिन उनकी इच्छा थी कि जिस स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की, 25 साल नौकरी की वहां के लिए कुछ किया जाए. ग्रामीण परिवेश होने की वजह से गांव के कई ऐसे बच्चे थे जो पैसों की तंगी के चलते अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते थे इन बच्चों की पढ़ाई में पैसों की कमी ना आए इसलिए शिक्षक अनिल शर्मा ने रिटायरमेंट के बाद 1 लाख 21 हजार की एफडी स्कूल के नाम कराई है ताकि उससे आने वाला ब्याज या फिर जरूरत पड़े तो उस राशि का उपयोग गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए किया जा सके.
व्यक्तिगत खर्चे में से जमा किया पैसा
रिटायर शिक्षक अनिल शर्मा ने बताया कि "कई बार उन्होंने देखा कि गांव के कई बच्चे गरीबी के चलते पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते थे उनके मन में ख्याल आया कि कुछ ऐसा किया जाए ताकि कोई भी बच्चा पैसों की तंगी के चलते अपनी पढ़ाई ना छोड़े. इसलिए उन्होंने अपने व्यक्तिगत खर्चे से पैसे बचाना शुरू किया और इसकी जानकारी उन्होंने अपने किसी परिजन को भी नहीं बताई थी. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने यह राशि स्कूल को सौंप दी."