छिंदवाड़ा: पातालकोट और आदिवासी अंचलों में बच्चे सिर्फ गांव की शिक्षा तक सीमित ना रहें और भविष्य में अपने सपनों को साकार करने के लिए लगातार पढ़ाई जारी रखें. कुछ ऐसी ही मंशा के साथ दो बहनें हर साल सात समुंदर पार से आती हैं और स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के साथ कई दूसरी एक्टिविटी के लिए प्रोत्साहित करती हैं.
ननिहाल आकर निभाती हैं वादा
स्कूल की छुट्टी के दिनों में ननिहाल के बच्चों के साथ महीनों बिताने वालीं माही और मायरा इन दिनों अमेरिका में सेटल हो चुकी हैं. बचपन में ठेठ देहाती अंचल परासिया पहुंचकर माही और मायरा यहां के ग्रामीण बच्चों के साथ खेलतीं थी. तब उन्हें पता चलता था कि किसी ने 5वीं तक पढ़ाई कर छोड़ दी तो किसी ने 8वीं तक. उस समय गांव में शिक्षा के लिए जागरूकता नहीं थी और कई गांव में स्कूलों की व्यवस्था नहीं थी. गांव के बच्चे अधूरी शिक्षा ना छोड़ सकें इसलिए हर साल अमेरिका से आकर छिंदवाड़ा के आदिवासी अंचल और पातालकोट के गांवों में माही और मायरा शिक्षा की अलख जगा रही हैं.
माही और मायरा का गाइडेंस
ग्रामीणों को अच्छी शिक्षा के साथ ही भविष्य में कोई बच्चा आगे बढ़कर किस क्षेत्र में जाना चाहता है. ऐसी ही कुछ जानकारी देने के लिए दोनों बहने 5 दिनों तक पातालकोट सहित ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में समय दे रही हैं. जिसमें वे कैरियर गाइडेंस से लेकर बच्चों की हॉबी और उस हिसाब से उन्हें आगे किस फील्ड में जाना है, इसके लिए गाइडेंस भी दे रही हैं. इतना ही नहीं गांव के लोग आत्मनिर्भर बनकर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा कैसे दे सकते हैं. इसके लिए वे सरकार की योजनाओं की जानकारी और दूसरे प्रोजेक्ट के बारे में भी ग्रामीणों को जागरुक कर रही हैं.
पेंटिंग का दे रहीं प्रशिक्षण
स्कूलों में किताबी पढ़ाई के साथ-साथ एजुकेशन पैटर्न के मॉडर्न तरीके के बारे में भी वे शिक्षकों के साथ बच्चों को समझा रही हैं. आज के दौर की पढ़ाई में कौन कैसे सरवाइव कर सकता है इसके बारे में दोनों बहनें जानकारी देती हैं. उन्होंने ऑयल पेस्टल, वाटर कलर्स और एकरेलिक्स से कई कलाकृति बनाकर पर्यावरण संरक्षण और देवी देवताओं की पेंटिंग बनाकर बच्चों को सिखाई.
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'बच्चों को गाइडेंस की जरुरत'
माही और मायरा ने बताया कि "उनके नाना परासिया में रहते थे और बचपन में वे छुट्टियां मनाने यहां आती थी. यहां के बच्चों के साथ खेलतीं थी. कुछ समय बाद उनके मम्मी-पापा अमेरिका चले गए तो वे वहां शिफ्ट हो गए. ऐसे में उनकी इच्छा थी कि गांव के बच्चों में भी प्रतिभा छुपी होती है और उन्हें सही गाइडेंस की जरूरत होती है लेकिन गाइडेंस नहीं मिलने की वजह से वे अपने सपने पूरे नहीं कर पाते हैं. इसलिए उन्होंने सोचा है की दोनों बहनें गांव के स्कूल में पहुंचकर बच्चों को गाइडेंस दें और कुछ एक्स्ट्रा एक्टिविटीज की जानकारी दें ताकि वह अपने सपने पूरे कर सकें और बीच में ही पढ़ाई नहीं छोड़ें."