Valentine Day 2024: प्यार की कई अनोखी कहानी आपने देखी और सुनी होगी लोग अलग-अलग तरीके से प्यार के प्रतीक वैलेंटाइन-डे को मानते भी हैं. हम आपको ऐसे ही जोड़े की कहानी बताने जा रहे हैं. जिन्होंने यह रंग-बिरंगी दुनिया अपनी आंखों से तो नहीं देखी, लेकिन प्यार के जज्बात को वे बखूबी समझते हैं और वैलेंटाइन डे मनाने के लिए विदेश से गुलाब के फूल मंगाकर प्यार का इजहार करते हैं.
पति-पत्नी दोनों हैं नेत्रहीन, अनोखा है इजहारे इश्क
चंदन गांव की सरकारी स्कूल में शिक्षक राजेंद्र कैथवास बचपन से ही अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं. कड़ी मेहनत से पढ़ाई करने के बाद वे सरकारी शिक्षक बने. अपनी आंखों से दुनिया ना देख पाने का गम उन्हें हमेशा रहता था, लेकिन वे शिक्षा का उजाला लगातार फैला रहे हैं. ऐसे में उन्हें अपनी एक दोस्त के सहारे दुर्गा यादव की जानकारी मिली, जो भी आंखों से नहीं देख सकती थीं और फिर दोनों में प्यार हुआ. राजेंद्र कैथवास और दुर्गा यादव ने 2010 में शादी कर ली.
दुनिया भर में लोग अलग-अलग तरीके से वैलेंटाइन डे मनाते हैं. शिक्षक राजेंद्र कैथवास भी अपनी पत्नी को विदेश में घूमाकर वैलेंटाइन डे मनाने की इच्छा रखते थे, लेकिन आंखों से नहीं दिखने के कारण उनके घूमने का कोई मतलब नहीं निकलता. इसलिए उन्होंने सोचा कि अगर वे विदेश नहीं जा सकते तो क्या हुआ, विदेश से वे हर साल अपनी जीवनसाथी को वैलेंटाइन-डे पर गिफ्ट देने के लिए गुलाब का फूल मंगवाते हैं.
खुद की भावनाओं की खातिर देते हैं गिफ्ट
वैलेंटाइन-डे के मौके पर शिक्षक राजेंद्र कैथवास से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने कहा कि 'वे दुनिया को दिखाने के लिए नहीं बल्कि अपनी भावनाओं को अपने जीवनसाथी के सामने व्यक्त करने के लिए वैलेंटाइन-डे के मौके पर गुलाब का फूल मंगाते हैं.' राजेंद्र कैथवास ने बताया कि 'उन्होंने कभी भी अपने जीवन साथी के साथ तस्वीर नहीं खिंचवाई है, क्योंकि उनकी तस्वीर वे खुद तो देख नहीं सकते, लेकिन कई लोग उनकी तस्वीरों को देखकर उनके जोड़े का मजाक ना बनाएं इसलिए वे खुद अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए वैलेंटाइन डे मनाते हैं.'
नहीं देखी बाहरी दुनिया लेकिन खुद की जिंदगी में भरे हैं रंग
राजेंद्र कैथावास ने बताया कि 'भले ही उन्होंने बाहरी दुनिया अपनी आंखों से नहीं देखी है, लेकिन उनकी खुद की दुनिया आंतरिक रंगों से भरपूर है. उनकी पत्नी भी उन्हें पूरा सहयोग करती है. जोड़ा दृष्टिहीन होने के बाद सारे काम खुद से करता है. इतना ही नहीं स्वच्छता के प्रति उनकी जागरूकता देखकर हर कोई उनकी तारीफ भी करता है.' अपने घरों में से निकलने वाला कूड़ा कचरा दोनों दंपति मिलकर हर दिन घर से करीब 500 मीटर दूर पहुंचकर कचरे के डिब्बे में डालते हैं. उन्हें इसके लिए किसी के सहारे की जरूरत नहीं होती. साथ ही स्कूल से लेकर सारे काम दोनों मिलकर बिना किसी के सहारे के करते हैं.
ऑनलाइन मार्केटिंग का लिया सहारा, एक बार फिर फूल का इंतजार
विदेश से गुलाब का फूल लाकर आखों से दिव्यांग पत्नी को देने के लिए शिक्षक राजेंद्र कैथवास ने ऑनलाइन मार्केटिंग का सहारा लिया है. उन्होंने बताया कि वह स्कूल के दूसरे साथी शिक्षकों की मदद से बुकिंग करते हैं. इस बार भी उन्होंने ऑनलाइन गुलाब के फूल की बुकिंग कराई है. अमेरिका से जल्द ही गुलाब का फूल उन तक पहुंचेगा और वे अपनी दिव्यांग पत्नी दुर्गा को गुलाब का फूल देकर एक बार फिर प्यार का इजहार करेंगे.