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छिंदवाड़ा में बारिश बनी मुसीबत, 5 साल की मासूम ने जंगल की जमीन पर त्रिपाल में दी पिता को मुखाग्नि - Chhindwara Jungal Tripal Funeral

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में सिस्टम की लापरवाही का एक मामला सामने आया है. जमकुंडा गांव में कोई श्मशान घाट नहीं होने से एक 5 साल की बेटी ने तेज बारिश के बीच त्रिपाल के सहारे जंगल में अपने पिता का अंतिम संस्कार किया. आलम तो यह है कि कई बार ग्रामीण शहर में इलाज कराने गए परिजनों के शव को वापस गांव लाने से कतराते हैं.

Chhindwara Jungal Tripal Funeral
छिंदवाड़ा के गांव में मुसीबत के सामने 'मौत' भी बौना (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 22, 2024, 4:42 PM IST

Updated : Aug 23, 2024, 9:28 AM IST

छिंदवाड़ा: ये कहानी उस 5 साल की मासूम बेटी की है, जिसके सिर से पिता का साया भी छिन गया और वो अपने पिता का अंतिम संस्कार भी सुकून से नहीं कर पाई, क्योंकि उसके गांव में अंतिम संस्कार करने के लिए दो गज सरकारी जमीन भी नहीं है. इस गांव के हालात यह है कि अगर किसी की मौत हो जाए तो अंतिम संस्कार करने के लिए या तो जंगल में जाना पड़ता है या फिर किसी जमीन के मालिक के सामने हाथ फैलाना पड़ता है. यहां श्मशान घाट भी नहीं है.

भारी बारिश में बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि (ETV Bharat)

बेटी ने बरसात के बीच त्रिपाल के सहारे दी मुखाग्नि

जिस 5 साल की मासूम को मौत का मतलब भी नहीं पता, वो अपने पिता की चिता को अग्नि दे रही है, लेकिन सिस्टम की बेरुखी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, बरसते पानी के बीच में गांव में शमशान घाट के लिए जगह नहीं होने की वजह से जंगल का सहारा लेना पड़ा. बारिश इतनी तेज थी की चिता में आग लगाना भी मुश्किल था. गांव वालों ने चिता के ऊपर त्रिपाल लगाया, तब कहीं जाकर मासूम बेटी अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सकी. बता दे मासूम के पिता की मौत मंगलवार को महाराष्ट्र के शहर में इलाज के दौरान हुई थी. जिसके बाद परिजन शव को लेकर गांव आ गए थे. वहीं रिश्तेदारों के इंतजार में अंतिम संस्कार बुधवार शाम को किया गया.

MP 5 Years Girl Perform Last Rites Under Tripal
मध्य प्रदेश में त्रिपाल के सहारे अंतिम संस्कार (ETV Bharat)

गांव में नहीं है सरकारी जमीन, लेना पड़ता है जंगल का सहारा

गांव की सरपंच सरला प्रकाश कुमरे ने बताया कि 'ग्राम पंचायत जमकुंडा में दो गांव है. भाडरी और जमकुंडा, भाडरी में मोक्षधाम है, लेकिन जमकुंडा गांव में कोई भी राजस्व की सरकारी जमीन नहीं है. जिससे यहां पर मोक्षधाम का निर्माण किया जा सके. इसी वजह से इस गांव में अगर किसी घर में कोई मौत हो जाती है तो जंगल में जाकर अंतिम संस्कार करना पड़ता है. यह गांव की सबसे बड़ी परेशानी है. सरपंच का कहना है कि गांव में वन विभाग की जमीन है. जहां पर अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन वन भूमि होने की वजह से वहां पर मोक्षधाम निर्माण करने की अनुमति नहीं मिल सकती.

FUNERAL WITH TRIPAL IN CHHINDWARA
भारी बारिश में त्रिपाल बना मृतक का सहारा (ETV Bharat)

इसके लिए प्रशासन से कई बार मांग भी की गई है कि वन विभाग की जमीन का मद परिवर्तन कर कुछ हिस्सा राजस्व में दिया जाए, ताकि मोक्षधाम जैसी बुनियादी सुविधाओं की पूर्ति गांव के लिए की जा सके.'

यहां पढ़ें...

किसी की मौत पर अंतिम संस्कार के लिए खुद बनाना पड़ता है टीनशेड का श्मशान, यहां मौत के बाद भी नहीं सुकून

गांव में नहीं है मुक्तिधाम, 4 घंटे लाश रखकर बारिश रुकने का करते रहे इंतजार, प्रशासन शर्मसार

गांव में परिजनों के शव लाने से भी डरते हैं लोग

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में अगर कोई बीमार होता है, तो उसे इलाज करने के लिए शहर ले जाते हैं. कई बार शहर के अस्पतालों में ही इलाज के दौरान लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे समय में शहर से गांव परिजनों के शव लाने भी डरते हैं, क्योंकि शमशान घाट नहीं होने की वजह से अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए कई लोग तो अपने परिजनों का अंतिम संस्कार भी अपने गांव में नहीं कर पाते हैं.'

छिंदवाड़ा: ये कहानी उस 5 साल की मासूम बेटी की है, जिसके सिर से पिता का साया भी छिन गया और वो अपने पिता का अंतिम संस्कार भी सुकून से नहीं कर पाई, क्योंकि उसके गांव में अंतिम संस्कार करने के लिए दो गज सरकारी जमीन भी नहीं है. इस गांव के हालात यह है कि अगर किसी की मौत हो जाए तो अंतिम संस्कार करने के लिए या तो जंगल में जाना पड़ता है या फिर किसी जमीन के मालिक के सामने हाथ फैलाना पड़ता है. यहां श्मशान घाट भी नहीं है.

भारी बारिश में बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि (ETV Bharat)

बेटी ने बरसात के बीच त्रिपाल के सहारे दी मुखाग्नि

जिस 5 साल की मासूम को मौत का मतलब भी नहीं पता, वो अपने पिता की चिता को अग्नि दे रही है, लेकिन सिस्टम की बेरुखी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, बरसते पानी के बीच में गांव में शमशान घाट के लिए जगह नहीं होने की वजह से जंगल का सहारा लेना पड़ा. बारिश इतनी तेज थी की चिता में आग लगाना भी मुश्किल था. गांव वालों ने चिता के ऊपर त्रिपाल लगाया, तब कहीं जाकर मासूम बेटी अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सकी. बता दे मासूम के पिता की मौत मंगलवार को महाराष्ट्र के शहर में इलाज के दौरान हुई थी. जिसके बाद परिजन शव को लेकर गांव आ गए थे. वहीं रिश्तेदारों के इंतजार में अंतिम संस्कार बुधवार शाम को किया गया.

MP 5 Years Girl Perform Last Rites Under Tripal
मध्य प्रदेश में त्रिपाल के सहारे अंतिम संस्कार (ETV Bharat)

गांव में नहीं है सरकारी जमीन, लेना पड़ता है जंगल का सहारा

गांव की सरपंच सरला प्रकाश कुमरे ने बताया कि 'ग्राम पंचायत जमकुंडा में दो गांव है. भाडरी और जमकुंडा, भाडरी में मोक्षधाम है, लेकिन जमकुंडा गांव में कोई भी राजस्व की सरकारी जमीन नहीं है. जिससे यहां पर मोक्षधाम का निर्माण किया जा सके. इसी वजह से इस गांव में अगर किसी घर में कोई मौत हो जाती है तो जंगल में जाकर अंतिम संस्कार करना पड़ता है. यह गांव की सबसे बड़ी परेशानी है. सरपंच का कहना है कि गांव में वन विभाग की जमीन है. जहां पर अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन वन भूमि होने की वजह से वहां पर मोक्षधाम निर्माण करने की अनुमति नहीं मिल सकती.

FUNERAL WITH TRIPAL IN CHHINDWARA
भारी बारिश में त्रिपाल बना मृतक का सहारा (ETV Bharat)

इसके लिए प्रशासन से कई बार मांग भी की गई है कि वन विभाग की जमीन का मद परिवर्तन कर कुछ हिस्सा राजस्व में दिया जाए, ताकि मोक्षधाम जैसी बुनियादी सुविधाओं की पूर्ति गांव के लिए की जा सके.'

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गांव में परिजनों के शव लाने से भी डरते हैं लोग

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में अगर कोई बीमार होता है, तो उसे इलाज करने के लिए शहर ले जाते हैं. कई बार शहर के अस्पतालों में ही इलाज के दौरान लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे समय में शहर से गांव परिजनों के शव लाने भी डरते हैं, क्योंकि शमशान घाट नहीं होने की वजह से अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए कई लोग तो अपने परिजनों का अंतिम संस्कार भी अपने गांव में नहीं कर पाते हैं.'

Last Updated : Aug 23, 2024, 9:28 AM IST
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