बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निजता के हनन को लेकर शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई की. बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए करते हुए शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया है. इस मामले में लगी याचिका पर सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डीईओ को आदेश दिया था कि शिक्षकों की शिकायत जल्द दूर करें. जिस पर शासन ने मामले में जवाब पेश किया. जिसके बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिका में की गई मांग पूरी होने पर याचिका को निराकृत कर दिया है.
निजता के हनन का लगाया था आरोप: दरअसल, मुंगेली के शिक्षकों की हाजिरी के नाम पर उनका मोबाइल जीपीएस सिस्टम से जोड़ने के लिए एक ऐप डाउनलोड कराया था. जिससे उनके 24 घंटे का लोकेशन और उनकी निजी जानकारी मोबाइल के माध्यम से देखी जा रही थी. जिला शिक्षा अधिकारी को मोबाइल पर सीधे वह जानकारी मिलती रहती है. जिला शिक्षा अधिकारी के इस आदेश को शिक्षकों ने निजता का हनन बताया और इसे वापस लेने की मांग की थी.
बिलासपुर हाईकोर्ट में आदेश को चुनौती: छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ मुंगेली के जिला अध्यक्ष मोहन लहरी ने इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडेय और बीईओ उमेद लाल जायसवाल से की. शिक्षकों ने इस ऐप को बंद करने की मांग की थी, लेकिन उन शिक्षकों को ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया. इससे दुखी होकर शिक्षक संगठन ने बिलासपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. याचिका में पूरे मामले की जानकारी और शिक्षकों ने अपना पक्ष रखा.
हाईकोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष सुनाया फैसला: जिला शिक्षा अधिकारी के इस आदेश को बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और इस मामले पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी. जवाब में राज्य शासन ने आदेश वापस लेने और जिला शिक्षा अधिकारी पर कार्रवाई करने की जानकारी दी. जिसके बाद शिक्षकों की मांग पूरी होने पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है.
क्या है पूरा मामला: बिलासपुर और मुंगेली के जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले के सभी 500 स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उनके मोबाइल फोन को जीपीएस से कनेक्ट कर दिया था. उनके मोबाइल पर भिलाई की एक निजी कंपनी द्वारा संचालित ऐप डाउनलोड कराया गया था. जिसमें सुबह 10 बजे और शाम 4 बजे क्यूआर कोड स्कैन कर उपस्थिति दर्ज करनी पड़ती थी. इस ऐप को डाउनलोड करने के बाद शिक्षकों के मूवमेंट की सभी जानकारी ऐप में दर्ज हो रही थी. यहां तक कि इस एप की वजह से शिक्षकों के फोन पर लगातार बिजनेस कॉल आने लगे थे.