देहरादून: दिल्ली के बाद अब तेलंगाना में भी केदारनाथ धाम मंदिर बनाने का मामला सामने आया है, जिसका उत्तराखंड चारधाम महापंचायत ने विरोध किया है. चारधाम महापंचायत के विरोध के बाद उत्तराखंड शासन ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है. इसके साथ ही बीकेटीसी (बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समीति) ने इस मामले पर तेलंगाना राजभवन को पत्र लिखा है.
दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य में पंच केदारों के प्रतिकृति के मंदिरों का निर्माण की खबरों का उत्तराखंड चारधाम तीर्थ-पुरोहित महापंचायत ने कड़ा विरोध किया है. चारधाम महापंचायत में स्पष्ट किया है यदि उत्तराखंड के चारधामों के नाम का दुरुपयोग किया गया तो तीर्थ पुरोहित आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.
महापंचायत के प्रतिनिधियों ने सोमवार (20 जनवरी) को इस संबंध में उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात की और राज्य सरकार से इस मामले का संज्ञान लेने की मांग की. चारधाम महापंचायत के महासचिव बृजेश सती ने बताया कि तेलंगाना राज्य में दक्षिणेश्वर केदारनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा पंच केदार नाम से मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. निमंत्रण पत्र में केदारनाथ मंदिर की फोटो भी लगी है. यही नहीं, 22 जनवरी को भूमि पूजन किया जा रहा है. तेलंगाना के राज्यपाल भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. इसकी जानकारी मिलते ही उत्तराखंड चारधाम तीर्थ-पुरोहित महापंचायत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
महासचिव बृजेश सती ने बताया कि उत्तराखंड से बदरी-केदार मंदिर समिति के सीईओ ने भी इस संबंध में तेलंगाना राजभवन को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपना विरोध दर्ज किया है. उत्तराखंड चारधाम तीर्थ महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल और महासचिव डॉ बृजेश सती ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि, चारों धामों के नाम के दुरुपयोग को लेकर पहले ही राज्य सरकार ने कैबिनेट से प्रस्ताव पारित किया है. बावजूद इसके यदि इस तरह से चारों धामों के नाम का उपयोग कर मंदिर निर्माण किया जाता है तो उसके खिलाफ महापंचायत कार्रवाई करेगी. इसलिए उन्होंने इस मामले में सरकार की तरफ से कार्रवाई की मांग की है.
बीकेटीसी ने जारी किया नोटिस: वहीं, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने संबंधित समितियों को कानूनी नोटिस जारी किया है. बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इस संबंध में धर्मस्व एवं संस्कृति सचिव को भी अवगत कराया है. नोटिस में दो हफ्ते में संबंधित ट्रस्टों को अपना पक्ष रखने को कहा गया है. ऐसा न करने पर वैधानिक कार्यवाही की चेतावनी दी गई है. बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि मंदिर समिति ने संबंधित ट्रस्टों के पते पर कानूनी नोटिस भेज दिए हैं.
जारी नोटिस में कहा गया है कि,
श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ मन्दिर समिति, अविभाजित उत्तर प्रदेश श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ मन्दिर अधिनियम 1939 (यथा संशोधित) के अधीन संचालित राज्य सरकार के नियन्त्रणाधीन समिति है. वर्तमान में उत्तराखंड शासन के नियंत्रणाधीन है. मुख्यकार्याधिकारी, मन्दिर अधिनियम के प्रावधानानुसार प्रमुख कार्यकारी अधिकारी है और समिति के कर्तव्यों व अधिकारों सम्बन्धी नीतियों का कार्यपालक अधिकारी है. अनादिकाल से धार्मिक मान्यताओं, आस्था एवं श्रद्धा का एकमात्र केन्द्र श्री भगवान बद्रीविशाल की पुण्य भूमि और श्री मन्दिर बदरीनाथ धाम/श्री केदारनाथ धाम (उत्तराखण्ड) में स्थित है. श्री भूमि एवं श्री धाम की धार्मिक महत्ता, मान्यता सनातन धर्मगन्थों में वर्णित है, देश ही नहीं विश्वभर के सनातन धर्मावलम्बी निरन्तर धाम में पुण्य प्राप्ति हेतु यात्रा करते रहते हैं. विभिन्न सनातन धर्मावलम्बी, सोशल मीडिया आदि स्त्रोतों से ज्ञात हुआ मन्दिर, गर्भगृह आदि पूर्णतः श्री बदरीनाथ धाम के मन्दिर तथा अन्य मंदिर पंचकेदार की प्रतिकृति के रूप में है.
प्रस्तावित मन्दिरों का प्रचार-प्रसार श्री बदरीनाथ धाम / केदारनाथ धाम/ पंचकेदार के रूप में किया जा रहा है, साथ ही धार्मिक मान्यताओं, भावनाओं और सनातन आस्थाओं को विरूपित कर, इसके कार्यक्रमों को वास्तविक श्री बदरीनाथ धाम एवं केदारनाथ धाम के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जो किसी भी विधि एवं मान्यताओं के विरूद्ध है. ये संस्थाओं द्वारा प्रस्तावित श्री बदरीनाथ मन्दिर / पंचकेदार मंदिरों की ना तो कोई धार्मिक या पौराणिक मान्यता है और न ही कोई युक्तियुक्त कारण है, जो केवल निजि स्वार्थ सिद्धि हेतु निर्मित किया गया प्रतीत होता है.
आगे कहा गया है कि,
श्री बदरीनाथ मन्दिर का निर्माण, निर्माण में श्री मन्दिर एवं श्री केदारनाथ धाम की प्रतिकृति बनाकर धाम के रूप में प्रचारित करना एवं श्री धामों की धार्मिक आस्था, मान्यताओं को इस मन्दिर के पक्ष में प्रसारित करना धार्मिक सनातन धर्मावलम्बियों की आस्था को आहत करने का ही नहीं अपितु भारतीय न्याय संहिता 2023 के प्रावधानों के अधीन भी दण्डनीय अपराध है जो संस्था उपरोक्त ट्रस्टों के विरूद्ध दीवानी एवं फौजदारी न्यायिक कार्यवाही की अपेक्षा करता है.
उत्तराखंड सरकार ने लिया था कड़ी कार्रवाई का फैसला: बता दें कि, बीते साल जुलाई में दिल्ली के बुराड़ी इलाके में श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की ओर से केदारनाथ मंदिर बनाए जाने को लेकर बड़ा विवाद हुआ था. जिसके बाद 18 जुलाई की हुई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया था कि उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारधाम मंदिरों सहित सभी प्रसिद्ध मंदिरों के नाम से कोई समिति या ट्रस्ट गठित करने पर कठोर विधिक प्राविधान किए जाएंगे. सीएम धामी ने इसको लेकर सभी राज्यों को पत्र लिखने की बात भी कही थी.
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