रांची: चंपाई सोरेन ने सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा राजभवन जाकर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को सौंपा है. उनके इस्तीफा देने के बाद हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने का दावा किया है.
चंपई सोरेन ने सीएम के रूप में कई फैसले लिए. वे झारखंड की राजनीति में एक जुझारू नेता और जमीन से जुड़े हुए नेता के रूप में जाने जाते हैं. सीएम रहते हुए भी उन्होंने बेहद सादगी के साथ अपना काम किया.
चंपई सोरेन, हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री बने थे. वह लगातार चार बार से सरायकेला से विधायक रहे हैं. हालांकि साल 2000 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद वो लगातार चुनाव में विजयी रहे. झारखंड सरकार में मंत्री भी बने.
चंपई सोरेन सामान्य किसान परिवार से हैं. वो अपने माता पिता की सबसे बड़ी संतान हैं. उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही की. वो अपने पिता के साथ जिलिंगगोरा गांव में रहते थे और अपने पिता का हाथ बंटाते थे. कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई. उनके तीन बेटे और 2 बेटियां हैं.
झारखंड आंदोलन में चंपई सोरेन की अहम भूमिका है. चंपई सोरेन शिबू सोरेन के साथ अलग राज्य के आंदोलन में शामिल हुए. अपने लोगों के बीच वो झारखंड टाइगर के नाम से जाने जाते हैं. पहली बार वो सरायकेला सीट से निर्दलीय विधायक बने थे. बाद में वो झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए.
साल 2010 से 13 के दौरान वो अर्जुन मुंडा की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. राज्य में राष्ट्रपति शासन हटने के बाद बनी झामुमो की सरकार में वो फिर एक बार मंत्री बने. 2019 में जब झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनी तो हेमंत कैबिनेट में वो फिर से मंत्री बनाए गए. इसके साथ ही वो झामुमो के उपाध्यक्ष भी हैं.
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