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सेंट्रल जू अथॉरिटी ने किया कॉर्बेट के ढेला वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण, दिए तीन बड़े सुझाव - Dhela Wild Life Rescue Centre - DHELA WILD LIFE RESCUE CENTRE

Dhela Rescue Center Inspection in Ramnagar केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority) ने उत्तराखंड के रामनगर स्थित जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढिकाला रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया. टीम को निरीक्षण में कई कमियां मिलीं जिन्हें सुधारा जा सकता है. टीम ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर को रेस्क्यू सेंटर की कैरिंग कैपेसिटी बढ़ाने, उपचार वाले आधुनिक उपकरण रखने और टाइगर, लेपर्ड को रखने वाले बाड़े बढ़ाने को कहा है.

Dhela Rescue Center Inspection
सीजेडए निरीक्षण समाचार (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 21, 2024, 10:26 AM IST

Updated : Sep 21, 2024, 1:51 PM IST

रामनगर (उत्तराखंड): विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण करने सेंट्रल जू अथॉरिटी (CZA) की दो सदस्यों की टीम आयी है. टीम ने कॉर्बेट पार्क प्रबंधन को कई सुझाव दिए हैं. टीम द्वारा दिए गए सुझावों में मुख्य रूप से कैरिंग कैपेसिटी बढ़ाने का सुझाव है.

सेंट्रल जू अथॉरिटी की टीम ने किया निरीक्षण: कॉर्बेट नेशनल पार्क की ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर में बाघ, गुलदार के साथ कई वन्यजीव रखे गए हैं. इसमें 8 टाइगर और 10 लेपर्ड शामिल हैं. इनको अलग-अलग क्षेत्र से रेस्क्यू कर ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है. इनमें कुछ बाघ और गुलदार वह हैं जो आदमखोर थे. इनको वन विभाग द्वारा अलग अलग क्षेत्र से रेस्क्यू कर रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है. इसके साथ ही कुछ बाघ और गुलदार वह हैं, जिनको जंगलों या आबादी वाले क्षेत्रों में घायल अवस्था में देखे जाने पर वन विभाग द्वारा रेस्क्यू कर उनको रेस्क्यू सेंटर में लाकर कॉर्बेट पार्क के वरिष्ठ डॉ दुष्यंत शर्मा व उनकी टीम द्वारा उनका उपचार किया जा रहा है.

वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण (Video- ETV Bharat)

ढेला वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण: वहीं केंद्रीय सेंट्रल जू अथॉरिटी की दो सदस्यों की टीम ने कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉक्टर साकेत बडोला ने बताया कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की विशेषज्ञ टीम ने ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया. उन्होंने बताया कि हमारे वहां पर विभिन्न वाइल्ड लाइफ कनफ्लिक्ट केसेस होते हैं. उनमें कई टाइगर लेपर्ड और भी वन्यजीवों को मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए कई बार पकड़ना पड़ता है. उनको रेस्क्यू सेंटर में रखना पड़ता है. इसके लिए ढेला में रेस्क्यू सेंटर है. उस रेस्क्यू सेंटर का और कैसे सुधार किया जाए, उसको और कैसे बढ़ाया जाए ये सुझाव मिला है. केयरिंग कैपेसिटी को किस तरीके से और बढ़ाया जाए और जो कमियां हैं उनको दूर कैसे किया जाए ये सुझाव भी दिया गया. इसी क्रम में सीजेडए (सेंट्रल जू ऑथॉरिटी) द्वारा यहां निरीक्षण के लिए केंद्र से टीम को भेजी गयी थी.

Dhela Rescue Center Inspection
सेंट्रल जू अथॉरिटी ने रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया (Photo- Corbett Tiger Reserve)

सेंट्रल जू अथॉरिटी ने दिए ये सुझाव: उन्होंने कहा जिस क्रम में दो सदस्य हमारे क्षेत्र में आए उन्होंने ढेला रेस्क्यू सेंटर का अवलोकन किया. काफी सुझाव उनके द्वारा दिए गए हैं. उनके सुझावों के अनुसार उसमें कार्य किया जाएगा. सीजेडए की जो गाइडलाइन है, उनके अनुसार उस रेस्क्यू सेंटर को और इंप्रूव करके केयरिंग कैपेसिटी को बढ़ाने का कार्य किया जाएगा. साकेत बडोला ने बताया कि बहुत बार हमारे द्वारा यहां लाए गए घायल वन्यजीवों का उपचार होने के बाद उनके फिट होने पर उनको चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की अनुमति के बाद नियम अनुसार उनके लिए उपयोगी जंगलों में छोड़ दिया जाता है.

Dhela Rescue Center Inspection
रेस्क्यू सेंटर में घायल वन्य जीवों का उपचार होता है (Photo- Corbett Tiger Reserve)
  • कैरिंग कैपेसिटी बढ़ाने को कहा
  • कई उपचार वाले आधुनिक उपकरण रखने का सुझाव दिया
  • टाइगर, लेपर्ड को रखने वाले बाड़े बढ़ाने को कहा

अभी ढेला रेस्क्यू सेंटर में हैं इतने वन्य जीव: वन्यजीवों के पुनर्वास, रेस्क्यू और स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाओं में सुधार और उन्नयन के लिए सलाह देने पहुंची टीम के साथ डॉ. समीर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक भी मौजूद थे. बता दें कि अभी रेस्क्यू सेंटर में 10 टाइगर और 10 लेपर्ड के बाड़े मौजूद हैं. आने वाले समय में यह बढ़ाए जाएंगे, क्योंकि प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्र में स्थित रेस्क्यू सेंटरों में कई बार क्षमता से अधिक वन्य जीव होने की खबरें लगातार आती रही हैं.

Dhela Rescue Center Inspection
टीम ने कुछ जरूरी सुझाव दिए (Photo- Corbett Tiger Reserve)
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रामनगर (उत्तराखंड): विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण करने सेंट्रल जू अथॉरिटी (CZA) की दो सदस्यों की टीम आयी है. टीम ने कॉर्बेट पार्क प्रबंधन को कई सुझाव दिए हैं. टीम द्वारा दिए गए सुझावों में मुख्य रूप से कैरिंग कैपेसिटी बढ़ाने का सुझाव है.

सेंट्रल जू अथॉरिटी की टीम ने किया निरीक्षण: कॉर्बेट नेशनल पार्क की ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर में बाघ, गुलदार के साथ कई वन्यजीव रखे गए हैं. इसमें 8 टाइगर और 10 लेपर्ड शामिल हैं. इनको अलग-अलग क्षेत्र से रेस्क्यू कर ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है. इनमें कुछ बाघ और गुलदार वह हैं जो आदमखोर थे. इनको वन विभाग द्वारा अलग अलग क्षेत्र से रेस्क्यू कर रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है. इसके साथ ही कुछ बाघ और गुलदार वह हैं, जिनको जंगलों या आबादी वाले क्षेत्रों में घायल अवस्था में देखे जाने पर वन विभाग द्वारा रेस्क्यू कर उनको रेस्क्यू सेंटर में लाकर कॉर्बेट पार्क के वरिष्ठ डॉ दुष्यंत शर्मा व उनकी टीम द्वारा उनका उपचार किया जा रहा है.

वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण (Video- ETV Bharat)

ढेला वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण: वहीं केंद्रीय सेंट्रल जू अथॉरिटी की दो सदस्यों की टीम ने कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉक्टर साकेत बडोला ने बताया कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की विशेषज्ञ टीम ने ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया. उन्होंने बताया कि हमारे वहां पर विभिन्न वाइल्ड लाइफ कनफ्लिक्ट केसेस होते हैं. उनमें कई टाइगर लेपर्ड और भी वन्यजीवों को मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए कई बार पकड़ना पड़ता है. उनको रेस्क्यू सेंटर में रखना पड़ता है. इसके लिए ढेला में रेस्क्यू सेंटर है. उस रेस्क्यू सेंटर का और कैसे सुधार किया जाए, उसको और कैसे बढ़ाया जाए ये सुझाव मिला है. केयरिंग कैपेसिटी को किस तरीके से और बढ़ाया जाए और जो कमियां हैं उनको दूर कैसे किया जाए ये सुझाव भी दिया गया. इसी क्रम में सीजेडए (सेंट्रल जू ऑथॉरिटी) द्वारा यहां निरीक्षण के लिए केंद्र से टीम को भेजी गयी थी.

Dhela Rescue Center Inspection
सेंट्रल जू अथॉरिटी ने रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया (Photo- Corbett Tiger Reserve)

सेंट्रल जू अथॉरिटी ने दिए ये सुझाव: उन्होंने कहा जिस क्रम में दो सदस्य हमारे क्षेत्र में आए उन्होंने ढेला रेस्क्यू सेंटर का अवलोकन किया. काफी सुझाव उनके द्वारा दिए गए हैं. उनके सुझावों के अनुसार उसमें कार्य किया जाएगा. सीजेडए की जो गाइडलाइन है, उनके अनुसार उस रेस्क्यू सेंटर को और इंप्रूव करके केयरिंग कैपेसिटी को बढ़ाने का कार्य किया जाएगा. साकेत बडोला ने बताया कि बहुत बार हमारे द्वारा यहां लाए गए घायल वन्यजीवों का उपचार होने के बाद उनके फिट होने पर उनको चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की अनुमति के बाद नियम अनुसार उनके लिए उपयोगी जंगलों में छोड़ दिया जाता है.

Dhela Rescue Center Inspection
रेस्क्यू सेंटर में घायल वन्य जीवों का उपचार होता है (Photo- Corbett Tiger Reserve)
  • कैरिंग कैपेसिटी बढ़ाने को कहा
  • कई उपचार वाले आधुनिक उपकरण रखने का सुझाव दिया
  • टाइगर, लेपर्ड को रखने वाले बाड़े बढ़ाने को कहा

अभी ढेला रेस्क्यू सेंटर में हैं इतने वन्य जीव: वन्यजीवों के पुनर्वास, रेस्क्यू और स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाओं में सुधार और उन्नयन के लिए सलाह देने पहुंची टीम के साथ डॉ. समीर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक भी मौजूद थे. बता दें कि अभी रेस्क्यू सेंटर में 10 टाइगर और 10 लेपर्ड के बाड़े मौजूद हैं. आने वाले समय में यह बढ़ाए जाएंगे, क्योंकि प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्र में स्थित रेस्क्यू सेंटरों में कई बार क्षमता से अधिक वन्य जीव होने की खबरें लगातार आती रही हैं.

Dhela Rescue Center Inspection
टीम ने कुछ जरूरी सुझाव दिए (Photo- Corbett Tiger Reserve)
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Last Updated : Sep 21, 2024, 1:51 PM IST
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