पटना : बिहार में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है. 1 फरवरी को केंद्र सरकार आम बजट पेश करने जा रही है. ऐसे में बिहार की ओर से आधारभूत संरचना, हाई स्पीड कॉरिडोर सहित कई क्षेत्र में विकास के प्रोजेक्ट के लिए डेढ़ लाख करोड़ की व्यवस्था करने की मांग की गई है. बिहार लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा की मांग करता रहा है, लेकिन अब यह मुद्दा पीछे छूट गया है. क्योंकि जो प्रावधान किया गया है, विशेष राज्य के दर्जे के लिए, उसमें बिहार फिलहाल फिट नहीं बैठता है.
केंद्र खोलेगा बिहार के लिए खजाना? : जब तक इसमें सुधार नहीं होगा, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा. ऐसे में बिहार ने अब विकास की योजनाओं को लेकर विशेष मदद की मांग शुरू कर दी है. पिछले साल बजट में बिहार के लिए विशेष पैकेज मिला था और इस साल भी बिहार उम्मीद लगाए हुए है कि केंद्र सरकार बिहार के लिए खजाना खोलेगा.
'बिहार को विशेष मदद की जरूरत' : बिहार के चुनावी साल में आने वाले केंद्रीय बजट से न केवल बिहार के सत्ताधारी दल, बल्कि अर्थशास्त्री और राजनीतिक विशेषज्ञ भी विशेष उम्मीद लगाए हुए हैं. ए एन सिन्हा शोध संस्थान के प्रोफेसर विद्यार्थी विकास का कहना है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, और अगर यह नहीं मिल पा रहा है, तो बिहार सरकार ने डेढ़ लाख करोड़ की डिमांड बुनियादी ढांचे के विकास, सड़क, हवाई अड्डा, पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य और शहरों के विकास के लिए की है.
''यह बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है और इसमें मदद मिलनी चाहिए. केंद्र सरकार की कई रिपोर्ट में बिहार में गरीबी, पिछड़ापन की बात कही गई है. बिहार की प्रति व्यक्ति आय भी राष्ट्रीय औसत से आधे से भी कम है. ऐसे में बिहार को आगे ले जाने के लिए विशेष मदद की आवश्यकता है. जब बिहार विकसित होगा, तभी भारत का सपना पूरा हो सकेगा.''- विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, ए एन सिन्हा शोध संस्थान
चुनावी साल में बिहार को मिलेगी 'विशेष मदद' : चुनावी साल होने के कारण राजनीतिक विशेषज्ञ केंद्रीय बजट में बिहार की जो डिमांड की गई है, उसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है कि दिल्ली के बाद बीजेपी के लिए बिहार सबसे महत्वपूर्ण राज्य होगा. बिहार को किसी कीमत पर बीजेपी खोना नहीं चाहेगी. इसलिए चुनावी साल में बिहार को विशेष मदद मिल सकती है.
''पिछले साल भी ₹52000 करोड़ से अधिक की राशि बिहार को दी गई थी, जिसमें एक्सप्रेसवे और बाढ़ प्रबंधन के लिए विशेष मदद दी गई थी. इस बार भी बिहार के लिए निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी की सरकार कुछ विशेष जरूर करेगी, जिससे मतदाताओं के बीच एक सकारात्मक संदेश जाएगा. एनडीए के लिए चुनाव से पहले जनता के बीच कुछ ठोस कार्य दिखाना जरूरी होगा, इसलिए केंद्र का खजाना बिहार के लिए खुलेगा.''- सुनील पांडेय, राजनीतिक विशेषज्ञ
बिहार की डिमांड : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बिहार सरकार ने डेढ़ लाख करोड़ रुपये की राशि की मांग की है, और इसके लिए 32 पेज का डिमांड पत्र प्रस्तुत किया गया है. बिहार की ओर से मांगी गई राशि के प्रमुख सेक्टर ग्राफिक्स के जरिए इस प्रकार हैं:-
बिहार के मंत्रियों को बजट से उम्मीदें : बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी को उम्मीद है कि सड़क सहित कई परियोजनाओं में केंद्र सरकार के आम बजट में बिहार को इस बार भी विशेष सहायता मिलेगी. जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुसार, पिछली बार बाढ़ प्रबंधन और सिंचाई के लिए 11,500 करोड़ की राशि केंद्र सरकार ने दी थी, लेकिन पिछले साल आई बाढ़ ने बिहार की परेशानी और बढ़ा दी है. उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से बाढ़ से निजात के लिए विशेष मदद की मांग की है. अन्य मंत्रियों ने भी अपने-अपने क्षेत्र के लिए विशेष मदद की उम्मीद जताई है, जैसे वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार ने बिहार में चार चिड़ियाघर और भभुआ में टाइगर रिजर्व बनाने के लिए केंद्र से मदद की मांग की है.
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की मांग : बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष केपीएस केसरी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 10 पन्नों का पत्र भेजा है, जिसमें हर साल बिहार को 50,000 करोड़ रुपये की राशि देने की मांग की गई है. उनका कहना है कि बिहार विकसित राज्यों की तुलना में काफी पीछे है, और प्रधानमंत्री ने 2047 में भारत को विकसित बनाने का लक्ष्य तय किया है, तो बिहार को भी उस लक्ष्य में शामिल करना होगा.
नीतीश सरकार की बदलती रणनीति : नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते रहे हैं, लेकिन अब यह मुद्दा पीछे छूट चुका है. केंद्र सरकार की योजनाओं में 90:10 के रेशियों से राशि मिलने की उम्मीद भी अब कम हो गई है. ऐसे में बिहार सरकार ने अपनी रणनीति बदली है और अब विभिन्न क्षेत्रों में विकास योजनाओं से संबंधित डेढ़ लाख करोड़ की डिमांड की गई है. अब यह देखना है कि चुनावी साल में केंद्र सरकार बिहार के लिए कितनी मदद प्रदान करती है.
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