ETV Bharat / bharat

कभी रहते थे 500 परिवार, आज वीरान, कहानी उस गांव की जहां पहुंचने से पहले मुसीबतों में फंसे मुख्य चुनाव आयुक्त - CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT

रालम गांव में सीईसी राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग,रालम गांव में अंधेरे में बिताई रात, 16 घंटे बाद मुनस्यारी पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त

CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT
सीईसी राजीव कुमार मिलम दौरा (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 17, 2024, 7:38 PM IST

Updated : Oct 17, 2024, 8:52 PM IST

देहरादून: बीते रोज केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अंंतिम गांव में जाने वाले थे. इस गांव में पहुंचकर केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को वोटर्स से बातचीत करनी थी. इसके साथ ही वे यहां के ग्रामीणों के साथ कुछ समय बिताने वाले थे, मगर इससे पहले ही मौसम ने केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की राह में रोड़ा अटका दिया. इसके बाद केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी. मुख्य चुनाव आयुक्त के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग की खबरें देशभर में फैल गई. हर कोई केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के दौरे से जुड़ी जानकारी जानना चाह रहा था. आईये हम आपको केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के दौरे से लेकर उस गांव की एक एक जानकारी देते हैं, जहां वे जाने वाले थे.

रालम गांव में बिताई रात: सबसे पहले बात कर लेते हैं उस गांव की जहां पर मुख्य चुनाव आयुक्त और बाकी सभी लोग फंस गए थे. मौसम खराब होने की वजह से सीईसी राजीव कुमार को रालम गांव में ही रात बितानी पड़ी. जब उनका हेलीकॉप्टर लैंड हुआ तो ना तो गांव में कोई भी नहीं था. यह गांव खाली इसलिए हो चुका था क्योंकि सर्दियों का मौसम शुरू होते ही ग्रामीण नीचे उतर आते हैं. चुनाव आयुक्त के साथ बाकी सदस्यों ने जैसे तैसे करके एक घर को खुलवाया. जिसके बाद उसमें ही सभी ने रात बिताई. जिस जगह पर चुनाव आयुक्त रुके थे वहां पर ना तो बिजली की व्यवस्था है और ना ही इंटरनेट या टेलीफोन की कोई उपलब्धता है. सीईसी राजीव कुमार खाने-पीने का जो सामान अपने साथ ले गए थे उसे खाकर ही उन्होंने पूरी रात गुजारी.

सीईसी राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग (ETV BHARAT)

मिलम गांव जाने वाले थे सीईसी राजीव कुमार: कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कहा जैसे ही आपातकाल लैंडिंग की जानकारी मिली उसी वक्त हमने टीम को रवाना कर दिया था. इस टीम में अलग-अलग विभाग के कर्मचारी मौजूद थे. गांव तक पहुंचाने के लिए टीम के सदस्यों को पैदल जाना पड़ा. केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त मिलम गांव में जाने वाले थे.

CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT
सीईसी राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग (ETV BHARAT)

मिलम गांव का अपना अलग इतिहास: इस गांव का अपना एक इतिहास रहा है. यह गांव ब्रिटिश काल के दौरान ही हिमालय के सबसे बड़े गांव में से एक था. पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह पांगती इस गांव को लेकर बहुत कुछ बताते हैं. वे इसी गांव में पैदा हुए. इसके बाद वे उत्तर प्रदेश सरकार में कई बड़े पदों पर रहे. रेवेन्यू बोर्ड के अध्यक्ष के साथ-साथ उत्तराखंड में गढ़वाल के उत्तर प्रदेश शासन के दौरान दो बार कमिश्नर रहे. डीएम और एसडीएम पदों पर भी उनकी तैनाती रही है. देश के अंतिम गांव के बारे में बात करते हुए वह बताते हैं जिस गांव का मुख्य चुनाव आयुक्त का दौरा करने वाले थे वह कभी समृद्ध गांव हुआ करता था.

CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT
आईएएस सुरेंद्र सिंह पांगती (ETV BHARAT)

मिलम गांव में कभी रहते थे 500 परिवार: 4,242 मीटर पर बसे इस गांव के अलावा आज भी किसी गांव में 500 परिवार नहीं होंगे. अगर कहीं पर 500 परिवार रहते हैं तो वह पूरा एक टाउनशिप हो जाता है. उन्होंने बताया इस इलाके के युवा काफी मेहनती होते हैं. वे फिजिकली और दिमाग रूप मजबूत होते हैं. उन्होंने बताया इस इलाके के लोग तिब्बत से व्यापार करते थे. वे याद करते हुए बताते हैं कि 1958 से पहले दर्रे बंद हो गए. जिसके बाद व्यापार ना के बराबर हो गया. उन्होंने बताया उस जमाने में तिब्बत से इतना व्यापार होता था कि वे 3 साल तक आराम से बैठकर खाना खा सकते थे.

CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT
मिलम गांव का रूट (ETV BHARAT)

समृद्ध मिलम, तिब्बत से व्यापार, आज हुआ खाली: पांगती बताते हैं गांव से तिब्बत बाजार तक जाने में लगभग 6 दोनों का वक्त लगता था. वहां रहने वाले लोग घोड़े खच्चरों पर अपना सामान बांधकर व्यापार करने पहुंचते थे. उन्होंने बताया इस इलाके के गावों की सुंदरता आज भी वैसी ही है, मगर आज ये गांव पलायन की मार झेल रहे हैं. यहां के गांव खाली हो रहे हैं. उन्होंने बताया जो कुछ लोग यहां रहते हैं उन्हीं से बातचीत करने के लिए केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त इस गांव जा रहे थे. पांगती ने बताया मिलम गांव जाने के लिए आज भी लगभग दो दिन तक पैदल चलना पड़ता है. सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपने पिता और खुद भी इस बात को आंखों से देखा है कि हमारे तिब्बत के साथ संबंध बेहद मधुर थे.

CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT
16 घंटे बाद मुनस्यारी पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त (ETV BHARAT)

पांगती बताते हैं आप इस गांव के इतिहास को इस तरह से भी समझ सकते हैं कि तिब्बत के लोग यहां आकर रुकते थे. कई बार यहां के लोग भी तिब्बत जाते थे. व्यापार के कारण दोनों के बड़े अच्छे संबंध थे. ने बताते हैं तिब्बत के लोग जब कुमाऊं में दाखिल होते थे तो मिलम उनका पहला ठिकाना होता था. तिब्बत से वे लोग अपने साथ बहुत सारी भेड़ लेकर आते थे. वे घी, गुड़ और खाने-पीने का कई समान बेचने आते थे. यहां से वे अनाज और ड्राई फ्रूट्स ले जाते थे.

पढ़ें-इमरजेंसी लैंडिग के 16 घंटे बाद मुनस्यारी पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, रालम गांव में अंधेरे में बिताई रात

पढे़ं- मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की उत्तराखंड में इमरजेंसी लैंडिंग, पायलट ने खेत में उतारा हेली

देहरादून: बीते रोज केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अंंतिम गांव में जाने वाले थे. इस गांव में पहुंचकर केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को वोटर्स से बातचीत करनी थी. इसके साथ ही वे यहां के ग्रामीणों के साथ कुछ समय बिताने वाले थे, मगर इससे पहले ही मौसम ने केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की राह में रोड़ा अटका दिया. इसके बाद केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी. मुख्य चुनाव आयुक्त के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग की खबरें देशभर में फैल गई. हर कोई केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के दौरे से जुड़ी जानकारी जानना चाह रहा था. आईये हम आपको केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के दौरे से लेकर उस गांव की एक एक जानकारी देते हैं, जहां वे जाने वाले थे.

रालम गांव में बिताई रात: सबसे पहले बात कर लेते हैं उस गांव की जहां पर मुख्य चुनाव आयुक्त और बाकी सभी लोग फंस गए थे. मौसम खराब होने की वजह से सीईसी राजीव कुमार को रालम गांव में ही रात बितानी पड़ी. जब उनका हेलीकॉप्टर लैंड हुआ तो ना तो गांव में कोई भी नहीं था. यह गांव खाली इसलिए हो चुका था क्योंकि सर्दियों का मौसम शुरू होते ही ग्रामीण नीचे उतर आते हैं. चुनाव आयुक्त के साथ बाकी सदस्यों ने जैसे तैसे करके एक घर को खुलवाया. जिसके बाद उसमें ही सभी ने रात बिताई. जिस जगह पर चुनाव आयुक्त रुके थे वहां पर ना तो बिजली की व्यवस्था है और ना ही इंटरनेट या टेलीफोन की कोई उपलब्धता है. सीईसी राजीव कुमार खाने-पीने का जो सामान अपने साथ ले गए थे उसे खाकर ही उन्होंने पूरी रात गुजारी.

सीईसी राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग (ETV BHARAT)

मिलम गांव जाने वाले थे सीईसी राजीव कुमार: कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कहा जैसे ही आपातकाल लैंडिंग की जानकारी मिली उसी वक्त हमने टीम को रवाना कर दिया था. इस टीम में अलग-अलग विभाग के कर्मचारी मौजूद थे. गांव तक पहुंचाने के लिए टीम के सदस्यों को पैदल जाना पड़ा. केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त मिलम गांव में जाने वाले थे.

CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT
सीईसी राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग (ETV BHARAT)

मिलम गांव का अपना अलग इतिहास: इस गांव का अपना एक इतिहास रहा है. यह गांव ब्रिटिश काल के दौरान ही हिमालय के सबसे बड़े गांव में से एक था. पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह पांगती इस गांव को लेकर बहुत कुछ बताते हैं. वे इसी गांव में पैदा हुए. इसके बाद वे उत्तर प्रदेश सरकार में कई बड़े पदों पर रहे. रेवेन्यू बोर्ड के अध्यक्ष के साथ-साथ उत्तराखंड में गढ़वाल के उत्तर प्रदेश शासन के दौरान दो बार कमिश्नर रहे. डीएम और एसडीएम पदों पर भी उनकी तैनाती रही है. देश के अंतिम गांव के बारे में बात करते हुए वह बताते हैं जिस गांव का मुख्य चुनाव आयुक्त का दौरा करने वाले थे वह कभी समृद्ध गांव हुआ करता था.

CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT
आईएएस सुरेंद्र सिंह पांगती (ETV BHARAT)

मिलम गांव में कभी रहते थे 500 परिवार: 4,242 मीटर पर बसे इस गांव के अलावा आज भी किसी गांव में 500 परिवार नहीं होंगे. अगर कहीं पर 500 परिवार रहते हैं तो वह पूरा एक टाउनशिप हो जाता है. उन्होंने बताया इस इलाके के युवा काफी मेहनती होते हैं. वे फिजिकली और दिमाग रूप मजबूत होते हैं. उन्होंने बताया इस इलाके के लोग तिब्बत से व्यापार करते थे. वे याद करते हुए बताते हैं कि 1958 से पहले दर्रे बंद हो गए. जिसके बाद व्यापार ना के बराबर हो गया. उन्होंने बताया उस जमाने में तिब्बत से इतना व्यापार होता था कि वे 3 साल तक आराम से बैठकर खाना खा सकते थे.

CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT
मिलम गांव का रूट (ETV BHARAT)

समृद्ध मिलम, तिब्बत से व्यापार, आज हुआ खाली: पांगती बताते हैं गांव से तिब्बत बाजार तक जाने में लगभग 6 दोनों का वक्त लगता था. वहां रहने वाले लोग घोड़े खच्चरों पर अपना सामान बांधकर व्यापार करने पहुंचते थे. उन्होंने बताया इस इलाके के गावों की सुंदरता आज भी वैसी ही है, मगर आज ये गांव पलायन की मार झेल रहे हैं. यहां के गांव खाली हो रहे हैं. उन्होंने बताया जो कुछ लोग यहां रहते हैं उन्हीं से बातचीत करने के लिए केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त इस गांव जा रहे थे. पांगती ने बताया मिलम गांव जाने के लिए आज भी लगभग दो दिन तक पैदल चलना पड़ता है. सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपने पिता और खुद भी इस बात को आंखों से देखा है कि हमारे तिब्बत के साथ संबंध बेहद मधुर थे.

CEC RAJIV KUMAR MILAM VISIT
16 घंटे बाद मुनस्यारी पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त (ETV BHARAT)

पांगती बताते हैं आप इस गांव के इतिहास को इस तरह से भी समझ सकते हैं कि तिब्बत के लोग यहां आकर रुकते थे. कई बार यहां के लोग भी तिब्बत जाते थे. व्यापार के कारण दोनों के बड़े अच्छे संबंध थे. ने बताते हैं तिब्बत के लोग जब कुमाऊं में दाखिल होते थे तो मिलम उनका पहला ठिकाना होता था. तिब्बत से वे लोग अपने साथ बहुत सारी भेड़ लेकर आते थे. वे घी, गुड़ और खाने-पीने का कई समान बेचने आते थे. यहां से वे अनाज और ड्राई फ्रूट्स ले जाते थे.

पढ़ें-इमरजेंसी लैंडिग के 16 घंटे बाद मुनस्यारी पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, रालम गांव में अंधेरे में बिताई रात

पढे़ं- मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की उत्तराखंड में इमरजेंसी लैंडिंग, पायलट ने खेत में उतारा हेली

Last Updated : Oct 17, 2024, 8:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.