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साल में दो बार कब और कैसे आयोजित की जाएं बोर्ड परीक्षाएं? CBSE का मंथन जारी - CBSE Exams

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By PTI

Published : Jul 17, 2024, 4:40 PM IST

How to Conduct CBSE Exams: CBSE नए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) में सुझाए गए अनुसार बोर्ड परीक्षाओं के दो चरणों को शेड्यूल करने को लेकर परामर्श कर रहा है. फिलहाल इसके लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

CBSE
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (ETV Bharat)

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) नए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) में सुझाए गए अनुसार बोर्ड परीक्षाओं के दो चरणों को शेड्यूल करने को लेकर दुविधा में है. फिलहाल उसके पास जनवरी-फरवरी, मार्च-अप्रैल और जून के विकल्प हैं. जानकारी के मुताबिक सीबीएसई एक और विकल्प तलाश रहा है.

वर्तमान में क्लास 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं फरवरी-मार्च में आयोजित की जाती हैं. अधिकारियों के अनुसार इसको लेकर परामर्श जारी है और अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की योजना कब और किस प्रारूप में लागू की जाएगी.

वहीं, एक अधिकारी ने कहा, "जिन तीन संभावित विकल्पों पर चर्चा की गई है. इन ऑप्शन में सेमेस्टर सिस्टम में परीक्षा आयोजित करना शामिल है, जिसमें पहली बोर्ड परीक्षा जनवरी-फरवरी में और दूसरी मार्च-अप्रैल में होगी. इसके अलावा में जून में सप्लीमेंटरी या इम्प्रूवमेंट परीक्षाओं के साथ बोर्ड परीक्षाओं का दूसरा सेट आयोजित करना भी शामिल है."

परीक्षा आयोजित करने के लिए 150 से अधिक चरण
अधिकारी ने कहा, "सीबीएसई स्कूल देश भर में और यहां तक ​​कि विदेशों में भी फैले हुए हैं. ऐसे में जिस तरह से हमारा शैक्षणिक कैलेंडर तैयार किया गया है, साथ ही कॉम्पेटेटिव एग्जाम का कार्यक्रम और भौगोलिक चुनौतियों को देखते हुए सेमेस्टर सिस्टम लागू करना कम व्यवहार्य लगता है." बोर्ड ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को बताया है कि मौजूदा सिस्टम में10वीं और 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए 150 से अधिक चरणों की जरूरत होती है.

परीक्षा करवाने में लगतै हैं 310 दिन
बोर्ड ने बताया, "इस प्रक्रिया में कम से कम 310 दिन लगते हैं, जिसमें उम्मीदवारों की सूची फिल करना, केंद्र की अधिसूचना, रोल नंबर जारी करना, प्रैक्टिकल, थ्योरी एग्जाम, परिणाम घोषित करना, वेरिफिकेशन और पुनर्मूल्यांकन शामिल हैं. परीक्षाएं आयोजित करने के लिए कम से कम 55 दिन चाहिए."

अब सीबीएसई के सामने चुनौती यह है कि दूसरे दौर के लिए इतनी बड़ी कवायद कब और कैसे दोहराई जाए. अधिकारी ने कहा, "फरवरी से पहले परीक्षा आयोजित करना भी अपनी तरह की चुनौतियां हैं, क्योंकि कुछ राज्यों में सर्दियां बहुत कठिन होती हैं. वर्तमान में, बोर्ड परीक्षाओं का कार्यक्रम 15 फरवरी के आसपास शुरू होता है, इसलिए गैप देने के लिए डेट्स पर उसी हिसाब से काम करना होगा."

अधिकारी ने कहा, "एक अन्य विकल्प सप्लीमेंट्री या इम्प्रूवमेंट एग्जाम के साथ जून में दूसरे चरण की परीक्षा आयोजित करना हो सकता है. हालांकि, इनमें से कोई भी विकल्प अंतिम नहीं है. हम अभी भी विचार-विमर्श कर रहे हैं और व्यापक परामर्श जारी है. यह संभव है कि इस प्रक्रिया के दौरान और विकल्प सामने आएं."

2024-25 के शैक्षणिक सत्र से होनी थीं दो बार परीक्षाएं
मंत्रालय की शुरुआती योजना 2024-25 के शैक्षणिक सत्र से द्विवार्षिक बोर्ड परीक्षाएं शुरू करने की थी. हालांकि, इसे एक साल के लिए टाल दिया गया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप, इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अगुवाई में केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त राष्ट्रीय संचालन समिति की तैयार की गई नई NCF ने कक्षा 11 और 12 के छात्रों के लिए सेमेस्टर प्रणाली का प्रस्ताव रखा था. पिछले साल अगस्त में मंत्रालय की ओर से जारी की गई रूपरेखा में यह भी प्रस्ताव दिया गया था कि छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले अक्टूबर में पीटीआई को दिए इंटरव्यू में बताया था कि छात्रों के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देना अनिवार्य नहीं होगा. उन्होंने तब कहा था, "छात्रों के पास इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई की तरह साल में दो बार (कक्षा 10 और 12 की बोर्ड) परीक्षा देने का विकल्प होगा. वे बेस्ट स्कोर चुन सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से वैकल्पिक होगा, इसमें कोई बाध्यता नहीं होगी."

हालांकि, बोर्ड परीक्षाओं में सुधार का यह पहला प्रयास नहीं है. इससे पहले 2009 में कक्षा 10 के लिए सतत और व्यापक मूल्यांकन (CCE) को पेश किया गया था, लेकिन 2017 में इसे रद्द कर दिया गया और बोर्ड साल के अंत में परीक्षाओं के पुराने मॉडल पर वापस आ गया. साथ ही कक्षा 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षाओं को भी कोविड महामारी के दौरान भी दो सत्रों में विभाजित किया गया था, लेकिन इस साल साल के अंत में परीक्षाओं का पुराना प्रारूप फिर से शुरू हुआ.

यह भी पढ़ें- CUET-UG परीक्षा 19 जुलाई को फिर से होगी, NTA ने किया बड़ा ऐलान

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) नए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) में सुझाए गए अनुसार बोर्ड परीक्षाओं के दो चरणों को शेड्यूल करने को लेकर दुविधा में है. फिलहाल उसके पास जनवरी-फरवरी, मार्च-अप्रैल और जून के विकल्प हैं. जानकारी के मुताबिक सीबीएसई एक और विकल्प तलाश रहा है.

वर्तमान में क्लास 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं फरवरी-मार्च में आयोजित की जाती हैं. अधिकारियों के अनुसार इसको लेकर परामर्श जारी है और अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की योजना कब और किस प्रारूप में लागू की जाएगी.

वहीं, एक अधिकारी ने कहा, "जिन तीन संभावित विकल्पों पर चर्चा की गई है. इन ऑप्शन में सेमेस्टर सिस्टम में परीक्षा आयोजित करना शामिल है, जिसमें पहली बोर्ड परीक्षा जनवरी-फरवरी में और दूसरी मार्च-अप्रैल में होगी. इसके अलावा में जून में सप्लीमेंटरी या इम्प्रूवमेंट परीक्षाओं के साथ बोर्ड परीक्षाओं का दूसरा सेट आयोजित करना भी शामिल है."

परीक्षा आयोजित करने के लिए 150 से अधिक चरण
अधिकारी ने कहा, "सीबीएसई स्कूल देश भर में और यहां तक ​​कि विदेशों में भी फैले हुए हैं. ऐसे में जिस तरह से हमारा शैक्षणिक कैलेंडर तैयार किया गया है, साथ ही कॉम्पेटेटिव एग्जाम का कार्यक्रम और भौगोलिक चुनौतियों को देखते हुए सेमेस्टर सिस्टम लागू करना कम व्यवहार्य लगता है." बोर्ड ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को बताया है कि मौजूदा सिस्टम में10वीं और 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए 150 से अधिक चरणों की जरूरत होती है.

परीक्षा करवाने में लगतै हैं 310 दिन
बोर्ड ने बताया, "इस प्रक्रिया में कम से कम 310 दिन लगते हैं, जिसमें उम्मीदवारों की सूची फिल करना, केंद्र की अधिसूचना, रोल नंबर जारी करना, प्रैक्टिकल, थ्योरी एग्जाम, परिणाम घोषित करना, वेरिफिकेशन और पुनर्मूल्यांकन शामिल हैं. परीक्षाएं आयोजित करने के लिए कम से कम 55 दिन चाहिए."

अब सीबीएसई के सामने चुनौती यह है कि दूसरे दौर के लिए इतनी बड़ी कवायद कब और कैसे दोहराई जाए. अधिकारी ने कहा, "फरवरी से पहले परीक्षा आयोजित करना भी अपनी तरह की चुनौतियां हैं, क्योंकि कुछ राज्यों में सर्दियां बहुत कठिन होती हैं. वर्तमान में, बोर्ड परीक्षाओं का कार्यक्रम 15 फरवरी के आसपास शुरू होता है, इसलिए गैप देने के लिए डेट्स पर उसी हिसाब से काम करना होगा."

अधिकारी ने कहा, "एक अन्य विकल्प सप्लीमेंट्री या इम्प्रूवमेंट एग्जाम के साथ जून में दूसरे चरण की परीक्षा आयोजित करना हो सकता है. हालांकि, इनमें से कोई भी विकल्प अंतिम नहीं है. हम अभी भी विचार-विमर्श कर रहे हैं और व्यापक परामर्श जारी है. यह संभव है कि इस प्रक्रिया के दौरान और विकल्प सामने आएं."

2024-25 के शैक्षणिक सत्र से होनी थीं दो बार परीक्षाएं
मंत्रालय की शुरुआती योजना 2024-25 के शैक्षणिक सत्र से द्विवार्षिक बोर्ड परीक्षाएं शुरू करने की थी. हालांकि, इसे एक साल के लिए टाल दिया गया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप, इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अगुवाई में केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त राष्ट्रीय संचालन समिति की तैयार की गई नई NCF ने कक्षा 11 और 12 के छात्रों के लिए सेमेस्टर प्रणाली का प्रस्ताव रखा था. पिछले साल अगस्त में मंत्रालय की ओर से जारी की गई रूपरेखा में यह भी प्रस्ताव दिया गया था कि छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले अक्टूबर में पीटीआई को दिए इंटरव्यू में बताया था कि छात्रों के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देना अनिवार्य नहीं होगा. उन्होंने तब कहा था, "छात्रों के पास इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई की तरह साल में दो बार (कक्षा 10 और 12 की बोर्ड) परीक्षा देने का विकल्प होगा. वे बेस्ट स्कोर चुन सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से वैकल्पिक होगा, इसमें कोई बाध्यता नहीं होगी."

हालांकि, बोर्ड परीक्षाओं में सुधार का यह पहला प्रयास नहीं है. इससे पहले 2009 में कक्षा 10 के लिए सतत और व्यापक मूल्यांकन (CCE) को पेश किया गया था, लेकिन 2017 में इसे रद्द कर दिया गया और बोर्ड साल के अंत में परीक्षाओं के पुराने मॉडल पर वापस आ गया. साथ ही कक्षा 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षाओं को भी कोविड महामारी के दौरान भी दो सत्रों में विभाजित किया गया था, लेकिन इस साल साल के अंत में परीक्षाओं का पुराना प्रारूप फिर से शुरू हुआ.

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