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CBRI रुड़की ने शासन को सौंपी जोशीमठ भूधंसाव की रिपोर्ट, 1200 घर अभी भी हाई रिस्क जोन में

joshimath land subsidence जोशीमठ भूधंसाव को लेकर सीबीआरआई (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) रुड़की के वैज्ञानिकों ने जो अध्ययन किया है, उसकी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. रिपोर्ट में 1200 घरों को हाई रिस्क जोन में बताया गया है. वहीं सरकार ने भी सीबीआरआई की रिपोर्ट पर अध्ययन शुरू कर दिया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 24, 2024, 3:39 PM IST

Updated : Jan 24, 2024, 4:39 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीनों में आई दरारों की रिपोर्ट सीबीआरआई (Central Building Research Institute) रुड़की ने शासन को सौंप दी है. सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. रिपोर्ट की मानें तो जोशीमठ में 14 जगहों पर 1200 घर ऐसे हैं, जो रहने के लिहाज से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं. सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में इसे हाई रिस्क जोन कहा है.

सीबीआरआई रुड़की के अलावा देश की कई अन्य संस्थाएं भी जोशीमठ में जमीन के अंदर आई दरारों की जांच कर रही हैं. बता दें कि जोशीमठ में जमीन के अंदर आई दरारों के कारण लगभग 800 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. इसके साथ ही 190 परिवारों को राज्य सरकार की तरफ से मुआवजे के तौर पर 43 करोड़ रुपए दिए गए हैं.

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जोशीमठ में जमीनों में पड़ी दरारें.
पढ़ें- दरारों से सहमा जोशीमठ! एक साल में कितने बदले हालात? सर्वे रिपोर्ट में हकीकत आई सामने

जियो टेक्निकल सर्वे कराया गया: सीबीआरआई रुड़की ने हाई रिस्क जोन में स्थित जिन 1200 घरों का जिक्र किया है, उनके पुनर्वास को लेकर भी सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक विस्तृत रिपोर्ट दी है. जोशीमठ के अलग-अलग इलाकों में सरकार ने अलग-अलग एजेंसियों से कुछ सर्वे कराया है, जिसमें से एक जियो टेक्निकल सर्वे है, जिसकी रिपोर्ट आनी अभी बाकी है. लेकिन प्राथमिक रिपोर्ट में सामने आया है कि सुनील वार्ड में काफी गहराई में भी कोई चट्टान नहीं मिली है. वहीं, मनोहर बाग और सिंहधार वार्ड में ड्रिल करने पर चट्टान मिली है.

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जोशीमठ में जियो टेक्निकल सर्वे कराया गया है.

जमीन में 48 मीटर नीचे मिली चट्टान: इसी तरह मारवाड़ी वार्ड में जमीन के करीब 48 मीटर नीचे चट्टान मिली है. इन सभी जगहों के सैंपल इकट्ठे किए जा रहे हैं, जिन्हें लैब भेजा जाएगा. जियो टेक्निकल सर्वे नीदरलैंड की फुग्रो कंपनी और दिल्ली खन्ना एसोसिएशन कंपनी कर रही है. हालांकि अभीतक जियो टेक्निकल सर्वे की फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है.

सीबीआरआई रुड़की के एक्सपर्ट ने क्या कहा: वहीं सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉक्टर अजय चौरसिया की मानें तो जोशीमठ में भूधंसाव के बाद जिस तरह के हालत बने थे, उसके बाद मकान और पहाड़ों की अलग-अलग जांच की गई थी. वैज्ञानिक डॉक्टर अजय चौरसिया ने बताया कि उन्होंने जोशीमठ को तीन श्रेणी में विभाजित किया था. उसके बाद ही सीबीआरआई रुड़की के एक्सपर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जोशीमठ में 1200 ऐसे भवन हैं, जो अभी भी खतरे की जद में हैं. अधिकांश घर मनोहर बाग, सिंहधार और मारवाड़ी बाजार में हैं, जिन्हें हाई रिस्क जोन में रखा गया है.

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CBRI रुड़की ने जोशीमठ में 1200 घरों हाई रिस्क जोन में रखा है.
पढ़ें- जोशीमठ पुनर्निर्माण में आएगी तेजी, केंद्र 3 किस्तों में देगा ₹1079.96 करोड़, जल्द शुरू होगी बसावट

रिपोर्ट का अध्ययन कर रही सरकार: वहीं शासन स्तर के अधिकारी इस रिपोर्ट पर कुछ ज्यादा कहने से बच रहे हैं. उत्तराखंड के आपदा सचिव डॉक्टर रंजीत सिन्हा से सीबीआरआई रुड़की की रिपोर्ट को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार पूरे क्षेत्र पर पहले से ही नजर बनाकर रखे हुए हैं. जैसे-जैसे दिशा-निर्देश मिल रहे हैं, उसी हिसाब से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहले दिन से ही शिफ्ट किया जा रहा है.

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जोशीमठ शहर में जनवरी साल 2023 में भू धंसाव का मामला सामने आया था.

प्रशासन की प्राथमिकता: आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि चमोली जिला प्रशासन पहले दिन से यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी तरह का कोई भी जान माल का नुकसान इस पूरे क्षेत्र में ना हो. रही बात रिपोर्ट की तो उसका अध्ययन किया जाएगा, जिसके बाद सरकार जो भी निर्णय लेगी, उसी पर काम किया जाएगा.

क्या हुआ था जोशीमठ में: दरअसल, साल 2023 में 9 जनवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से बड़ी खबर सामने आई थी. यहां अचानक घरों में दरारें पड़नी शुरू हो गई थी. कुछ समय बाद तो दरारें जमीन के अंदर भी आने लगी थी. जोशीमठ के दो बड़े होटलों को भी ध्वस्त किया गया था. बड़ी संख्या में लोग अपने घरबार छोड़ने का मजबूर हुए थे. आज भी बड़ी संख्या में परिवार राहत कैंप में अपना समय बिता रहे हैं.

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CBRI रुड़की ने शासन को सौंपी जोशीमठ भूधंसाव की रिपोर्ट
पढ़ें- भू-धंसाव प्रभावित जोशीमठ में कराया जा रहा जिओ टेक्निकल सर्वे, 50 मीटर से अधिक गहराई पर भी नहीं मिली पक्की चट्टान!

सबसे बड़ी बात ये है कि जोशीमठ में ये स्थिति अचानक नहीं बनी थी, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस पर ध्यान काफी देर बाद दिया, जब जोशीमठ का एक बड़ा हिस्सा भूधंसाव की चपेट में आ गया था.

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीनों में आई दरारों की रिपोर्ट सीबीआरआई (Central Building Research Institute) रुड़की ने शासन को सौंप दी है. सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. रिपोर्ट की मानें तो जोशीमठ में 14 जगहों पर 1200 घर ऐसे हैं, जो रहने के लिहाज से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं. सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में इसे हाई रिस्क जोन कहा है.

सीबीआरआई रुड़की के अलावा देश की कई अन्य संस्थाएं भी जोशीमठ में जमीन के अंदर आई दरारों की जांच कर रही हैं. बता दें कि जोशीमठ में जमीन के अंदर आई दरारों के कारण लगभग 800 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. इसके साथ ही 190 परिवारों को राज्य सरकार की तरफ से मुआवजे के तौर पर 43 करोड़ रुपए दिए गए हैं.

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जोशीमठ में जमीनों में पड़ी दरारें.
पढ़ें- दरारों से सहमा जोशीमठ! एक साल में कितने बदले हालात? सर्वे रिपोर्ट में हकीकत आई सामने

जियो टेक्निकल सर्वे कराया गया: सीबीआरआई रुड़की ने हाई रिस्क जोन में स्थित जिन 1200 घरों का जिक्र किया है, उनके पुनर्वास को लेकर भी सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक विस्तृत रिपोर्ट दी है. जोशीमठ के अलग-अलग इलाकों में सरकार ने अलग-अलग एजेंसियों से कुछ सर्वे कराया है, जिसमें से एक जियो टेक्निकल सर्वे है, जिसकी रिपोर्ट आनी अभी बाकी है. लेकिन प्राथमिक रिपोर्ट में सामने आया है कि सुनील वार्ड में काफी गहराई में भी कोई चट्टान नहीं मिली है. वहीं, मनोहर बाग और सिंहधार वार्ड में ड्रिल करने पर चट्टान मिली है.

CBRI
जोशीमठ में जियो टेक्निकल सर्वे कराया गया है.

जमीन में 48 मीटर नीचे मिली चट्टान: इसी तरह मारवाड़ी वार्ड में जमीन के करीब 48 मीटर नीचे चट्टान मिली है. इन सभी जगहों के सैंपल इकट्ठे किए जा रहे हैं, जिन्हें लैब भेजा जाएगा. जियो टेक्निकल सर्वे नीदरलैंड की फुग्रो कंपनी और दिल्ली खन्ना एसोसिएशन कंपनी कर रही है. हालांकि अभीतक जियो टेक्निकल सर्वे की फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है.

सीबीआरआई रुड़की के एक्सपर्ट ने क्या कहा: वहीं सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉक्टर अजय चौरसिया की मानें तो जोशीमठ में भूधंसाव के बाद जिस तरह के हालत बने थे, उसके बाद मकान और पहाड़ों की अलग-अलग जांच की गई थी. वैज्ञानिक डॉक्टर अजय चौरसिया ने बताया कि उन्होंने जोशीमठ को तीन श्रेणी में विभाजित किया था. उसके बाद ही सीबीआरआई रुड़की के एक्सपर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जोशीमठ में 1200 ऐसे भवन हैं, जो अभी भी खतरे की जद में हैं. अधिकांश घर मनोहर बाग, सिंहधार और मारवाड़ी बाजार में हैं, जिन्हें हाई रिस्क जोन में रखा गया है.

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CBRI रुड़की ने जोशीमठ में 1200 घरों हाई रिस्क जोन में रखा है.
पढ़ें- जोशीमठ पुनर्निर्माण में आएगी तेजी, केंद्र 3 किस्तों में देगा ₹1079.96 करोड़, जल्द शुरू होगी बसावट

रिपोर्ट का अध्ययन कर रही सरकार: वहीं शासन स्तर के अधिकारी इस रिपोर्ट पर कुछ ज्यादा कहने से बच रहे हैं. उत्तराखंड के आपदा सचिव डॉक्टर रंजीत सिन्हा से सीबीआरआई रुड़की की रिपोर्ट को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार पूरे क्षेत्र पर पहले से ही नजर बनाकर रखे हुए हैं. जैसे-जैसे दिशा-निर्देश मिल रहे हैं, उसी हिसाब से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहले दिन से ही शिफ्ट किया जा रहा है.

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जोशीमठ शहर में जनवरी साल 2023 में भू धंसाव का मामला सामने आया था.

प्रशासन की प्राथमिकता: आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि चमोली जिला प्रशासन पहले दिन से यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी तरह का कोई भी जान माल का नुकसान इस पूरे क्षेत्र में ना हो. रही बात रिपोर्ट की तो उसका अध्ययन किया जाएगा, जिसके बाद सरकार जो भी निर्णय लेगी, उसी पर काम किया जाएगा.

क्या हुआ था जोशीमठ में: दरअसल, साल 2023 में 9 जनवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से बड़ी खबर सामने आई थी. यहां अचानक घरों में दरारें पड़नी शुरू हो गई थी. कुछ समय बाद तो दरारें जमीन के अंदर भी आने लगी थी. जोशीमठ के दो बड़े होटलों को भी ध्वस्त किया गया था. बड़ी संख्या में लोग अपने घरबार छोड़ने का मजबूर हुए थे. आज भी बड़ी संख्या में परिवार राहत कैंप में अपना समय बिता रहे हैं.

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CBRI रुड़की ने शासन को सौंपी जोशीमठ भूधंसाव की रिपोर्ट
पढ़ें- भू-धंसाव प्रभावित जोशीमठ में कराया जा रहा जिओ टेक्निकल सर्वे, 50 मीटर से अधिक गहराई पर भी नहीं मिली पक्की चट्टान!

सबसे बड़ी बात ये है कि जोशीमठ में ये स्थिति अचानक नहीं बनी थी, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस पर ध्यान काफी देर बाद दिया, जब जोशीमठ का एक बड़ा हिस्सा भूधंसाव की चपेट में आ गया था.

Last Updated : Jan 24, 2024, 4:39 PM IST
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