नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तेलंगाना के वर्तमान मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के खिलाफ 2015 के कैश-फॉर-वोट मामले में आसन्न मुकदमे को स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया. यह मामला न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने चार सप्ताह में वापस करने योग्य नोटिस जारी किया.
याचिका गुंटा कांडला जगदीश रेड्डी और तीन अन्य ने वकील पी. मोहित राव के माध्यम से दायर की थी. याचिका में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई की आवश्यकता पर जोर दिया गया और शीर्ष अदालत से मामले को मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थानांतरित करने का आग्रह किया गया. याचिकाकर्ताओं में तेलंगाना के एक पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री शामिल हैं.
याचिका में कहा गया कि रेड्डी, जो इस मामले में मुख्य आरोपी हैं, तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री बन गए हैं, जिनके खिलाफ 88 आपराधिक मामले लंबित हैं. इन परिस्थितियों में चूंकि अभियुक्त का अभियोजन पर सीधा नियंत्रण है, इसलिए यह समझा जाता है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई की कोई संभावना नहीं हो सकती है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 की अनिवार्य शर्त है.
याचिका में कहा गया है कि यदि हैदराबाद, तेलंगाना में मामलों की सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश द्वारा सुनवाई जारी रखी जाती है तो कानून का शासन खराब हो जाएगा और न्यायिक निष्पक्षता, आपराधिक न्याय प्रणाली खतरे में पड़ जाएगी, जिससे बड़े पैमाने पर जनता का विश्वास हिल जाएगा.
जिन दो मामलों के खिलाफ स्थानांतरण की मांग की गई थी, वे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बनाम ए रेवंत रेड्डी और अन्य के माध्यम से तेलंगाना और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बनाम सैंड्रा वेंकट वीरैया के माध्यम से तेलंगाना हैं. ये मामले तेलंगाना में एक विशेष न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई के लिए लंबित हैं.