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सनातन धर्म विवाद में उदयनिधि को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मामलों की सुनवाई तमिलनाडु के बाहर होनी चाहिए - SC on Udhayanidhi Stalin Plea

SC on Udhayanidhi Stalin Plea in Sanatana Dharma row: तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मामलों की सुनवाई तमिलनाडु के बाहर होनी चाहिए. उदयनिधि ने अपने खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर और पांच शिकायतों को किसी एक अदालत और पुलिस थाने में स्थानांतरित करने की मांग की है.

SC on Udhayanidhi Stalin Plea in Sanatana Dharma row
तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन (ETV Bharat)
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By Sumit Saxena

Published : Aug 14, 2024, 9:41 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने 'सनातन धर्म' पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के संबंध में कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को एक साथ करने का निर्देश देने की मांग की है. तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल मंत्री स्टालिन फिल्म अभिनेता हैं और राज्य के मुख्यमंत्री व डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के बेटे हैं.

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई तमिलनाडु से बाहर की जानी चाहिए. जस्टिस खन्ना ने कहा, "आप तमिलनाडु राज्य में नहीं रह सकते, आपको बाहर जाना होगा...हमें बताएं कि कौन सा राज्य सबसे सुविधाजनक है."

उदयनिधि ने जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में दर्ज तीन एफआईआर और पांच शिकायतों को एक साथ लाने और उन्हें किसी एक आपराधिक अदालत/पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है. इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक और आपराधिक मामले को प्रार्थना में शामिल करने के लिए संशोधन याचिका को अनुमति दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान उदयनिधि की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने बताया कि उनके मुवक्किल द्वारा सितंबर 2023 में दिए गए भाषण को लेकर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं और 5 अलग-अलग स्थानों/राज्यों में पांच आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं. विल्सन ने कहा कि स्वतंत्र सुनवाई का अधिकार मौलिक अधिकार है और एक भाषण के लिए दूसरे राज्यों में अलग-अलग शिकायतें और एफआईआर नहीं हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि इन सभी मामलों और एफआईआर को एक साथ मिलाकर एक आपराधिक अदालत और पुलिस थाने में स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी रोक के सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिकाओं के लंबित रहने के कारण आपराधिक अदालतों ने इसका फायदा उठाया है और स्टालिन की उपस्थिति पर जोर देना शुरू कर दिया है, इसलिए आपराधिक अदालतों के समक्ष उनकी उपस्थिति को समाप्त किया जाना चाहिए.

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी उदयनिधि स्टालिन की पैरवी की और कहा कि ऐसे तीन फैसले हैं जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने केस को एक साथ करने और स्थानांतरण की शक्ति का प्रयोग किया है और इसलिए रिट याचिका विचार करने योग्य है.

मामलों को उत्तर प्रदेश या दिल्ली स्थानांतरित करने का सुझाव...
प्रतिवादियों में से एक की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि सभी मामलों को समेकित करके उत्तर प्रदेश या दिल्ली स्थानांतरित किया जाना चाहिए और यह शिकायतकर्ताओं के लिए भी आसान होगा. उदयनिधि के वकील विल्सन ने इस सुझाव पर आपत्ति जताई और कहा कि उत्तर प्रदेश में एक पुजारी ने स्टालिन का सिर कलम करने के लिए 10 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया है, और इसलिए इस मामले को उत्तर प्रदेश या दिल्ली में भेजना उचित नहीं होगा.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने संबंधित आपराधिक अदालतों के समक्ष उदयनिधि के पेश होने की बाध्यता को खत्म करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा, "प्रतिवादियों को संशोधित रिट याचिका के संदर्भ में नोटिस जारी करें, जिसका जवाब 18 नवंबर, 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से संबंधित अदालतों में उपस्थित हो सकते हैं और उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी जाएगी. जवाब सुनवाई की तारीख से 4 सप्ताह के भीतर दाखिल किया जा सकता है."

उदयनिधि की सनातन धर्म को लेकर टिप्पणी
गौरतलब है कि सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में बोलते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे 'मिटा' दिया जाना चाहिए. उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए कहा था कि इसे नष्ट कर दिया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर सवुक्कू शंकर के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही पर लगाई रोक, तमिलनाडु सरकार से मांगा जवाब

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने 'सनातन धर्म' पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के संबंध में कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को एक साथ करने का निर्देश देने की मांग की है. तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल मंत्री स्टालिन फिल्म अभिनेता हैं और राज्य के मुख्यमंत्री व डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के बेटे हैं.

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई तमिलनाडु से बाहर की जानी चाहिए. जस्टिस खन्ना ने कहा, "आप तमिलनाडु राज्य में नहीं रह सकते, आपको बाहर जाना होगा...हमें बताएं कि कौन सा राज्य सबसे सुविधाजनक है."

उदयनिधि ने जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में दर्ज तीन एफआईआर और पांच शिकायतों को एक साथ लाने और उन्हें किसी एक आपराधिक अदालत/पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है. इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक और आपराधिक मामले को प्रार्थना में शामिल करने के लिए संशोधन याचिका को अनुमति दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान उदयनिधि की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने बताया कि उनके मुवक्किल द्वारा सितंबर 2023 में दिए गए भाषण को लेकर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं और 5 अलग-अलग स्थानों/राज्यों में पांच आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं. विल्सन ने कहा कि स्वतंत्र सुनवाई का अधिकार मौलिक अधिकार है और एक भाषण के लिए दूसरे राज्यों में अलग-अलग शिकायतें और एफआईआर नहीं हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि इन सभी मामलों और एफआईआर को एक साथ मिलाकर एक आपराधिक अदालत और पुलिस थाने में स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी रोक के सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिकाओं के लंबित रहने के कारण आपराधिक अदालतों ने इसका फायदा उठाया है और स्टालिन की उपस्थिति पर जोर देना शुरू कर दिया है, इसलिए आपराधिक अदालतों के समक्ष उनकी उपस्थिति को समाप्त किया जाना चाहिए.

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी उदयनिधि स्टालिन की पैरवी की और कहा कि ऐसे तीन फैसले हैं जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने केस को एक साथ करने और स्थानांतरण की शक्ति का प्रयोग किया है और इसलिए रिट याचिका विचार करने योग्य है.

मामलों को उत्तर प्रदेश या दिल्ली स्थानांतरित करने का सुझाव...
प्रतिवादियों में से एक की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि सभी मामलों को समेकित करके उत्तर प्रदेश या दिल्ली स्थानांतरित किया जाना चाहिए और यह शिकायतकर्ताओं के लिए भी आसान होगा. उदयनिधि के वकील विल्सन ने इस सुझाव पर आपत्ति जताई और कहा कि उत्तर प्रदेश में एक पुजारी ने स्टालिन का सिर कलम करने के लिए 10 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया है, और इसलिए इस मामले को उत्तर प्रदेश या दिल्ली में भेजना उचित नहीं होगा.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने संबंधित आपराधिक अदालतों के समक्ष उदयनिधि के पेश होने की बाध्यता को खत्म करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा, "प्रतिवादियों को संशोधित रिट याचिका के संदर्भ में नोटिस जारी करें, जिसका जवाब 18 नवंबर, 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से संबंधित अदालतों में उपस्थित हो सकते हैं और उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी जाएगी. जवाब सुनवाई की तारीख से 4 सप्ताह के भीतर दाखिल किया जा सकता है."

उदयनिधि की सनातन धर्म को लेकर टिप्पणी
गौरतलब है कि सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में बोलते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे 'मिटा' दिया जाना चाहिए. उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए कहा था कि इसे नष्ट कर दिया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर सवुक्कू शंकर के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही पर लगाई रोक, तमिलनाडु सरकार से मांगा जवाब

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