नई दिल्ली: दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को टिकट दिया है. इसके बाद से लोगों के बीच चर्चा शुरू हो गई है. दरअसल, 2016 में जेएनयू में कथित तौर पर आतंकवादी अफजल गुरु की बरसी कार्यक्रम के दौरान 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' जैसे नारे लगे थे. इसके बाद कन्हैया कुमार सहित जेएनयू छात्रसंघ के पदाधिकारी व कई छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था. इसी के बाद से उन्होंने देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं. 2019 लोकसभा चुनाव में सीपीआई ने कन्हैया कुमार को बिहार के बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से टिकट भी दिया था. वो चुनाव हार गए थे. अब वह कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और पार्टी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से उनको टिकट दिया है, इस कारण इन दिनों फिर सुर्खियों में हैं. आइए जानते हैं उनके साथ के अन्य पदाधिकारी इस समय कहां हैं..
शहला राशिद शोरा: वह कन्हैया कुमार के साथ जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष चुनी गईं थी. उस समय शहला ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) की सदस्य थीं. उन पर भी देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. वह कश्मीर से हैं और धारा 370 के हटने के बाद कश्मीर की तरक्की और बदलाव को देखते हुए उन्होंने अपनी विचारधारा को बदलते हुए अब केंद्र सरकार की तारीफ शुरू कर दी है. वर्तमान में वह जम्मू कश्मीर में हैं और बतौर सामाजिक कार्यकर्ता काम कर रहीं हैं. कन्हैया को टिकट मिलने पर हाल ही में उन्होंने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर बधाई भी दी.
रामा नागा: रामा नागा उस वक्त बतौर सचिव चुने गए थे. उन्होंने फोन पर बताया कि 2022 में वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जेएनयू छोड़ चुके हैं. वर्तमान में वह एक रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं और वह दिल्ली से बाहर रहते हैं. ओडिशा के निवासी रामा, अब राजनीति से पूरी तरह दूर हैं. अफजल गुरु की बरसी मनाने के दौरान लगे देश विरोधी नारे लगाने के मामले में उन पर भी एफआईआर दर्ज की गई थी.
सौरभ शर्मा: सौरभ शर्मा ने उस वक्त विद्यार्थी परिषद से चुनाव लड़ा था, जिसके बाद वह जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव चुने गए थे. उन्होंने बताया कि जेएनयू से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह वर्तमान में जेएनयू के डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड सिस्टम टेक्नोलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. वह यूपी के मिर्जापुर जिले के एक पिछड़े गांव से आते हैं.
उन्होंने बताया, 'बचपन से उन्हें देशभक्ति और देश प्रेम सिखाया गया, लेकिन जेएनयू आकर उन्होंने देखा कि कैसे लोग देश के टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाते हैं. यह देखकर उन्होंने यूनियन में रहते हुए इन लोगों का विरोध किया और जेएनयू के छात्रों ने हमारा साथ दिया. तब 15 साल बाद विद्यार्थी परिषद से किसी ने यहां चुनाव जीता था.
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उन्होंने आगे कहा कि कन्हैया कुमार ने जेएनयू से जाने के बाद बेगूसराय से पहला चुनाव लड़ा, जिसके बाद उनकी विचारधारा बदल गई और अब कन्हैया कांग्रेस में हैं. पहले वे जिस संविधान को गाली देते थे, उसी संविधान ने उन्हें लोकतंत्र में शामिल होने और चुनाव लड़ने का मौका दिया है. मैं व्यक्तिगत रूप से कन्हैया को बधाई देता हूं. हालांकि, हमारी वैचारिक लड़ाई जारी रहेगी.
उन्होंने कहा, 'पढ़ाई करने के बाद मुझे लगा कि यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए मुझे अपना योगदान भी देना चाहिए. इसलिए शिक्षण कार्य को चुना. बच्चों की रिसर्च और पढ़ाई के क्षेत्र में मदद करनी चाहिए.'
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