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विदेश मंत्रालय ने कहा- कनाडा को भारत विरोधी तत्वों पर कार्रवाई करनी चाहिए - mea spokesperson Randhir Jaiswal

Foreign Ministry, विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कनाडा को भारत विरोधी तत्वों पर कार्रवाई करनी चाहिए. उक्त जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करेगा. पढ़िए पूरी खबर...

Foreign Ministry spokesperson Randhir Jaiswal
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 25, 2024, 6:53 PM IST

नई दिल्ली : भारत ने गुरुवार को कनाडा से एक बार फिर कहा कि वह अपनी जमीन से गतिविधियों को अंजाम दे रहे भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उनसे उन खबरों के बारे में पूछा गया जिसमें कहा गया था कि कनाडा ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को जान से मारने की धमकी सोशल मीडिया पर देने के मामले में दो लोगों पर आरोप लगाया है, लेकिन भारतीय नेताओं और राजनयिकों को धमकी देने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं की गई है.

इस पर जायसवाल ने कहा कि हमने ये खबरों को देखा है. जब कोई भी लोकतंत्र कानून के शासन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लागू करने को लेकर अलग-अलग मापदंड अपनाता है, तो इससे उसका अपना दोहरा मापदंड ही सामने आता है. उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि कनाडा उन भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करेगा जिन्होंने बार-बार भारतीय नेताओं के अलावा संस्थाओं, एयरलाइन और राजनयिकों को धमकी दी है. प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि हमारे खिलाफ दी जाने वाली धमकियों पर उसी स्तर की कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

राज्य सरकार अपने संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामलों में हस्तक्षेप न करें

वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि राज्य सरकारों को अपने संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह टिप्पणी केरल सरकार द्वारा एक वरिष्ठ अधिकारी को विदेश मामलों में सहयोग का जिम्मा सौंपे जाने के कुछ दिन बाद की है.

जायसवाल ने कहा कि भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची सूची 1-संघ सूची, विषय 10 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विदेशी मामले और वे सभी मामले जो संघ को किसी अन्य देश के साथ संबंध में लाते हैं, संघ सरकार का एकमात्र विशेषाधिकार हैं. प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि यह समवर्ती विषय नहीं है और राज्य का विषय भी नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारा रुख यह है कि राज्य सरकारों को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जो उनके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर के हों.

ये भी पढ़ें - भारत ने अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी रिपोर्ट को 'गहरी पक्षपातपूर्ण' बता किया खारिज

नई दिल्ली : भारत ने गुरुवार को कनाडा से एक बार फिर कहा कि वह अपनी जमीन से गतिविधियों को अंजाम दे रहे भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उनसे उन खबरों के बारे में पूछा गया जिसमें कहा गया था कि कनाडा ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को जान से मारने की धमकी सोशल मीडिया पर देने के मामले में दो लोगों पर आरोप लगाया है, लेकिन भारतीय नेताओं और राजनयिकों को धमकी देने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं की गई है.

इस पर जायसवाल ने कहा कि हमने ये खबरों को देखा है. जब कोई भी लोकतंत्र कानून के शासन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लागू करने को लेकर अलग-अलग मापदंड अपनाता है, तो इससे उसका अपना दोहरा मापदंड ही सामने आता है. उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि कनाडा उन भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करेगा जिन्होंने बार-बार भारतीय नेताओं के अलावा संस्थाओं, एयरलाइन और राजनयिकों को धमकी दी है. प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि हमारे खिलाफ दी जाने वाली धमकियों पर उसी स्तर की कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

राज्य सरकार अपने संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामलों में हस्तक्षेप न करें

वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि राज्य सरकारों को अपने संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह टिप्पणी केरल सरकार द्वारा एक वरिष्ठ अधिकारी को विदेश मामलों में सहयोग का जिम्मा सौंपे जाने के कुछ दिन बाद की है.

जायसवाल ने कहा कि भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची सूची 1-संघ सूची, विषय 10 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विदेशी मामले और वे सभी मामले जो संघ को किसी अन्य देश के साथ संबंध में लाते हैं, संघ सरकार का एकमात्र विशेषाधिकार हैं. प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि यह समवर्ती विषय नहीं है और राज्य का विषय भी नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारा रुख यह है कि राज्य सरकारों को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जो उनके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर के हों.

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