कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने कोलकाता पुलिस आयुक्त को एक आईएएस अधिकारी की पत्नी के साथ कथित बलात्कार की प्रारंभिक जांच को गलत तरीके से संभालने के लिए तीन शीर्ष पुलिस अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाई करने का निर्देश दिया है. इस बारे में न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की अदालत ने कहा कि पीड़िता की शिकायत के बाद जांच दल की ओर से कुछ घोर लापरवाही पाई गई.
जांच का कार्य कानून के विरुद्ध एक पुरुष अधिकारी को सौंपा गया तथा गंभीर आरोपों के स्थान पर हल्की धाराएं लगाई गईं. इस वजह से निचली अदालत द्वारा आरोपी को प्रारंभिक जमानत मिलने का रास्ता साफ हो गया. हालांकि, हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और जमानत खारिज कर दी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आरोपी हिरासत में रहे. दोषपूर्ण जांच में भूमिका के लिए लेक पुलिस स्टेशन प्रभारी अधिकारी (OC) सुजाता बर्मन, तिलजला पुलिस स्टेशन उप-निरीक्षक (SI) कल्पना रॉय और करदेया पुलिस स्टेशन एसआई अर्पिता भट्टाचार्य पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है.
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जांच महिला पुलिस थाने को सौंप दी गई है और संभागीय उपायुक्त (DC) को मामले की निगरानी करने को कहा गया है. इस बीच, पीड़िता के पति, जो वर्तमान में मुंबई में तैनात आईएएस अधिकारी हैं, ने अदालत के हस्तक्षेप का स्वागत किया है. बता दें कि 15 जुलाई को आरोपी, जो एक आईटी कंपनी का 53 वर्षीय वरिष्ठ कर्मचारी और पीड़िता का पारिवारिक मित्र है, कथित तौर पर शराब के नशे में लेक थाना क्षेत्र स्थित पीड़िता के घर में घुस गया और उसके साथ जबरदस्ती की. काफी मशक्कत के बाद पीड़िता भागने में सफल रही और बाद में उसने लेक पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी.
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