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भूमि आवंटन पर भूपेश सरकार के निर्णय को साय कैबिनेट ने किया निरस्त, कांग्रेस का फूटा गुस्सा - Land allotment decision cancelled

विष्णु देव साय मंत्रिमंडल ने भूमि आवंटन नियम को निरस्त कर दिया है. भूमि आवंटन संबंधी नियम भूपेश बघेल की सरकार के वक्त बना था. भूमि आवंटन नियम निरस्त होने पर कांग्रेस ने कड़ा एतराज जताया है.

cabinet cancels decision on land allotment
साय सरकार ने पलटा भूपेश बघेल का फैसला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 19, 2024, 10:47 PM IST

रायपुर: भूमि आवंटन संबंधी मामले को लेकर कैबिनेट ने एक निर्णय लिया है. नए फैसले के मुताबिक नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि के आवंटन, अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन और भूमि स्वामी को हक प्रदान करने के संबंध में पूर्व में जारी निर्देश और परिपत्रों को निरस्त कर दिया है. भूपेश बघेल की सरकार के वक्त नियम बनाए गए थे जिसे आज निरस्त कर दिया गया. प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने इसकी कड़ी निंदा की है.

साय सरकार ने भूमि आवंटन नियम को निरस्त किया: सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया है. कांग्रेस का कहना है कि'' पूर्ववर्ती सरकार ने आम जनता के हित में तथा अतिक्रमित शासकीय भूमि का सरकार को प्रतिफल वसूलने के उद्देश्य से ये नियम बनाया था. छत्तीसगढ़ राज्य के नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि के आवंटन, अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन और भूमि स्वामी हक प्रदान करने के लिये पारदर्शी नियम हमने लागू किया. इस नियम से भूमि के आवंटन की पुरानी पद्धति में बदलाव हुआ था. भूमि आवंटन के लिये शासकीय गाइडलाइन से 150 प्रतिशत शुल्क निर्धारित किया गया. भूमि आवंटन की प्रक्रिया पारदर्शी तथा सरकार के खजाने की भी वृद्धि इससे हुई. सालों से शासकीय भूमि में काबिज लोगों को उसके मकानों, दुकानों आदि का मालिकाना हक मिला. इस निर्णय को निरस्त किया जाना गलत है.''



''सरकार किसी भी दल की वह जब कोई निर्णय लेती है तो संविधान प्रदत्त शक्तियों के द्वारा लेती है. सरकार बदलने के बाद पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा लिये गये फैसले को बदलना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. जिन लोगों ने सरकार से जमीन खरीद कर भूमि पर मकान, दुकान आदि का निर्माण करवा लिया है सरकार उसका क्या करेगी? लोगों ने सरकार से जमीन लिया है. पूरा प्रतिफल देकर रजिस्ट्री करवा कर जमीन का मालिकाना हक हासिल किया है. सरकार का फैसला अपने आप में ही विसंगति पूर्ण है. इसी नियम के तहत पूर्ववर्ती सरकार ने प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों को सामाजिक भवन बनाने हेतु भूमि आवंटित की. मंत्रिमंडल के फैसले से सभी समाजों के लिये सामाजिक भवन का आवंटन भी निरस्त हो जायेगा'' - सुशील आनंद शुक्ला, अध्यक्ष,प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग

सरकार के फैसले का कांग्रेस ने किया विरोध: सरकार के इस फैसले से कांग्रेस ने नाखुशी जाहिर की है. 22 जुलाई से विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरु होने जा रहा है. कांग्रेस मॉनसून सत्र में जरुर इस पर हंगामा खड़ा कर सरकार से जवाब तलब कर सकती है. सरकार के नए फैसले के मुताबिक मंत्रिपरिषद ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए इस संबंध में पूर्व में जारी निर्देश और परिपत्रों को निरस्त कर दिया.

नए फैसले क्या क्या बदलेगा: मंत्रिपरिषद की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रपत्रों के अंतर्गत जारी आदेशों के तहत आवंटित भूमि की जानकारी राजस्व विभाग की वेबसाइट में प्रदर्शित की जाएगी. इस विषय में कोई भी आपत्ति और शिकायत प्राप्त होने पर संभागीय आयुक्त द्वारा इसकी सुनवाई की जाएगी.

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साय सरकार ने भूमि आवंटन नियम को निरस्त किया: सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया है. कांग्रेस का कहना है कि'' पूर्ववर्ती सरकार ने आम जनता के हित में तथा अतिक्रमित शासकीय भूमि का सरकार को प्रतिफल वसूलने के उद्देश्य से ये नियम बनाया था. छत्तीसगढ़ राज्य के नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि के आवंटन, अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन और भूमि स्वामी हक प्रदान करने के लिये पारदर्शी नियम हमने लागू किया. इस नियम से भूमि के आवंटन की पुरानी पद्धति में बदलाव हुआ था. भूमि आवंटन के लिये शासकीय गाइडलाइन से 150 प्रतिशत शुल्क निर्धारित किया गया. भूमि आवंटन की प्रक्रिया पारदर्शी तथा सरकार के खजाने की भी वृद्धि इससे हुई. सालों से शासकीय भूमि में काबिज लोगों को उसके मकानों, दुकानों आदि का मालिकाना हक मिला. इस निर्णय को निरस्त किया जाना गलत है.''



''सरकार किसी भी दल की वह जब कोई निर्णय लेती है तो संविधान प्रदत्त शक्तियों के द्वारा लेती है. सरकार बदलने के बाद पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा लिये गये फैसले को बदलना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. जिन लोगों ने सरकार से जमीन खरीद कर भूमि पर मकान, दुकान आदि का निर्माण करवा लिया है सरकार उसका क्या करेगी? लोगों ने सरकार से जमीन लिया है. पूरा प्रतिफल देकर रजिस्ट्री करवा कर जमीन का मालिकाना हक हासिल किया है. सरकार का फैसला अपने आप में ही विसंगति पूर्ण है. इसी नियम के तहत पूर्ववर्ती सरकार ने प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों को सामाजिक भवन बनाने हेतु भूमि आवंटित की. मंत्रिमंडल के फैसले से सभी समाजों के लिये सामाजिक भवन का आवंटन भी निरस्त हो जायेगा'' - सुशील आनंद शुक्ला, अध्यक्ष,प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग

सरकार के फैसले का कांग्रेस ने किया विरोध: सरकार के इस फैसले से कांग्रेस ने नाखुशी जाहिर की है. 22 जुलाई से विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरु होने जा रहा है. कांग्रेस मॉनसून सत्र में जरुर इस पर हंगामा खड़ा कर सरकार से जवाब तलब कर सकती है. सरकार के नए फैसले के मुताबिक मंत्रिपरिषद ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए इस संबंध में पूर्व में जारी निर्देश और परिपत्रों को निरस्त कर दिया.

नए फैसले क्या क्या बदलेगा: मंत्रिपरिषद की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रपत्रों के अंतर्गत जारी आदेशों के तहत आवंटित भूमि की जानकारी राजस्व विभाग की वेबसाइट में प्रदर्शित की जाएगी. इस विषय में कोई भी आपत्ति और शिकायत प्राप्त होने पर संभागीय आयुक्त द्वारा इसकी सुनवाई की जाएगी.

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