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उत्तराखंड में बदले मौसम चक्र का असर, समय से पहले खिला बुरांस का फूल, 26 जड़ी बूटियों को खतरा - ग्लोबल वार्मिंग का असर

Burans flowers bloomed two months ago In Uttarakhand ग्लोबल वार्मिंग से बदले मौसम चक्र की मार उत्तराखंड में वनस्पतियों पर पड़ रही है. फरवरी, मार्च में खिलने वाला बुरांस का फूल इस बार जनवरी में ही खिल गया है. इसके साथ ही उत्तराखंड में पाई जाने वाली 2 जड़ी बूटियों पर भी बदले मौसम चक्र की मार पड़ने वाली है. जानकार इसको लेकर बहुत चिंतित हैं.

Burans flowers
बुरांस का फूल
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 27, 2024, 2:01 PM IST

Updated : Jan 29, 2024, 12:25 PM IST

समय से पहले खिला बुरांस का फूल

श्रीनगर (उत्तराखंड): पिछले कई वर्षों से पूरे विश्व भर में चर्चा हो रही है कि मौसम बड़ी ही तेजी के साथ बदल रहा है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. बरसात का समय भी बदल रहा है. ये सब अब सच होता हुआ नजर आने लगा है. उत्तराखंड में इस वर्ष सर्दियों में अभी तक पहाड़ी इलाकों में एक दिन भी बारिश नहीं हुई है. इससे दिन के समय अन्य वर्षों की अपेक्षा गर्मी बढ़ी है. मौसम शुष्क हुआ है. इस कारण हिमालय की जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हुई है.

Burans flowers bloomed
बुरांस उत्तराखंड के हिमालय में उगता है

समय से पहले खिल गया बुरांस: कम बर्फबारी के कारण इस वर्ष बुरांस का फूल भी फरवरी, मार्च के बजाय जनवरी माह में खिल गया है. साथ में 26 से अधिक हिमालयी रीजन में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों के प्रजनन चक्र पर बुरी तरह प्रभाव पड़ने से इनका अस्तित्व भी संकट में आ गया है. उत्तराखंड का हिमालयी रीजन बड़ा ही सुंदर है. यहां विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों सहित जैव विविधता पाई जाती है. उत्तराखंड में एक प्यारा सा बुरांस का फूल खिलता है. इस साल बुरांस वक्त से पहले ही जनवरी माह में ही खिल गया है.

मौसम चक्र के परिवर्तन का असर: इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह मौसम में बढ़ी गर्मी है. बारिश और कम बर्फबारी होने के कारण बुरांस का फूल भी वक्त से पहले फरवरी, मार्च के बजाय इस साल जनवरी में ही खिल गया है. वैज्ञानिक इससे चिंता में पड़ गए हैं. मात्र बुरांस ही इस गर्मी का शिकार नहीं हो रहा है. इसके अतिरिक्त भी 26 से अधिक जड़ी बूटियों के भी प्राण संकट में आ गए हैं. हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान में डायरेक्टर डॉक्टर विजय कांत पुरोहित का कहना है कि इस वर्ष पिछले 6 माह से बारिश नहीं हुई है.

Burans flowers
फरवरी मार्च में खिलने वाला बुरांस जनवरी में खिल गया!

उत्तराखंड की 26 जड़ी बूटियों पर खतरा: इसके अतिरिक्त बर्फबारी भी कम हुई है. इस कारण मौसम में गर्मी बढ़ने के कारण बुरांस, फ्योंली जैसे फूल भी वक्त से पहले ही खिल गए हैं. इसके अतिरिक्त उच्च हिमालय में पाई जाने वाली जटामासी, कुटकी, चोरी, ब्रह्मकमल जैसी 26 से अधिक जड़ी बूटियों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. बर्फबारी ना होने के कारण इनके प्रजनन में असर पड़ा है. इससे इनके उत्पादन पर बड़ा खतरा मंडरा गया है.

पहले खिले बुरांस से घटेगी क्वालिटी: गढ़वाल विवि के हॉर्टिकल्चर विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर तेजपाल बिष्ट बताते हैं कि बुरांस के पहले खिलने को आप साधारण रूप से नहीं ले सकते हैं. उत्तराखंड में भारत का सबसे अच्छी क्वालिटी का बुरांस होता है. इसका मेडिसनल उपयोग होता है. जूस बनाया जाता है. अगर यूं ही वक्त से पहले बुरांस खिल रहा है तो उसकी मेडिसनल क्वालिटी घटेगी. इससे उत्तराखंड के बुरांस की बाजार में मांग भी घटने लगेगी. ऐसे में किसानों और उससे जुड़े छोटे उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ेगा.
ये भी पढ़ें: Global Warming Effect: हिमालय दे रहा खतरे के संकेत, बदले मौसम चक्र का ग्लेशियरों पर पड़ा प्रभाव
ये भी पढ़ें: मौसम की बेरुखी से बर्बाद होने की कगार पर फसलें, किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें

समय से पहले खिला बुरांस का फूल

श्रीनगर (उत्तराखंड): पिछले कई वर्षों से पूरे विश्व भर में चर्चा हो रही है कि मौसम बड़ी ही तेजी के साथ बदल रहा है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. बरसात का समय भी बदल रहा है. ये सब अब सच होता हुआ नजर आने लगा है. उत्तराखंड में इस वर्ष सर्दियों में अभी तक पहाड़ी इलाकों में एक दिन भी बारिश नहीं हुई है. इससे दिन के समय अन्य वर्षों की अपेक्षा गर्मी बढ़ी है. मौसम शुष्क हुआ है. इस कारण हिमालय की जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हुई है.

Burans flowers bloomed
बुरांस उत्तराखंड के हिमालय में उगता है

समय से पहले खिल गया बुरांस: कम बर्फबारी के कारण इस वर्ष बुरांस का फूल भी फरवरी, मार्च के बजाय जनवरी माह में खिल गया है. साथ में 26 से अधिक हिमालयी रीजन में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों के प्रजनन चक्र पर बुरी तरह प्रभाव पड़ने से इनका अस्तित्व भी संकट में आ गया है. उत्तराखंड का हिमालयी रीजन बड़ा ही सुंदर है. यहां विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों सहित जैव विविधता पाई जाती है. उत्तराखंड में एक प्यारा सा बुरांस का फूल खिलता है. इस साल बुरांस वक्त से पहले ही जनवरी माह में ही खिल गया है.

मौसम चक्र के परिवर्तन का असर: इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह मौसम में बढ़ी गर्मी है. बारिश और कम बर्फबारी होने के कारण बुरांस का फूल भी वक्त से पहले फरवरी, मार्च के बजाय इस साल जनवरी में ही खिल गया है. वैज्ञानिक इससे चिंता में पड़ गए हैं. मात्र बुरांस ही इस गर्मी का शिकार नहीं हो रहा है. इसके अतिरिक्त भी 26 से अधिक जड़ी बूटियों के भी प्राण संकट में आ गए हैं. हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान में डायरेक्टर डॉक्टर विजय कांत पुरोहित का कहना है कि इस वर्ष पिछले 6 माह से बारिश नहीं हुई है.

Burans flowers
फरवरी मार्च में खिलने वाला बुरांस जनवरी में खिल गया!

उत्तराखंड की 26 जड़ी बूटियों पर खतरा: इसके अतिरिक्त बर्फबारी भी कम हुई है. इस कारण मौसम में गर्मी बढ़ने के कारण बुरांस, फ्योंली जैसे फूल भी वक्त से पहले ही खिल गए हैं. इसके अतिरिक्त उच्च हिमालय में पाई जाने वाली जटामासी, कुटकी, चोरी, ब्रह्मकमल जैसी 26 से अधिक जड़ी बूटियों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. बर्फबारी ना होने के कारण इनके प्रजनन में असर पड़ा है. इससे इनके उत्पादन पर बड़ा खतरा मंडरा गया है.

पहले खिले बुरांस से घटेगी क्वालिटी: गढ़वाल विवि के हॉर्टिकल्चर विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर तेजपाल बिष्ट बताते हैं कि बुरांस के पहले खिलने को आप साधारण रूप से नहीं ले सकते हैं. उत्तराखंड में भारत का सबसे अच्छी क्वालिटी का बुरांस होता है. इसका मेडिसनल उपयोग होता है. जूस बनाया जाता है. अगर यूं ही वक्त से पहले बुरांस खिल रहा है तो उसकी मेडिसनल क्वालिटी घटेगी. इससे उत्तराखंड के बुरांस की बाजार में मांग भी घटने लगेगी. ऐसे में किसानों और उससे जुड़े छोटे उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ेगा.
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Last Updated : Jan 29, 2024, 12:25 PM IST
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