नई दिल्लीः भलस्वा डेयरी में सड़क जामकर हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. लोगों को बेघर होने का डर सता रहा है. बता दें कि एक निजी एनजीओ द्वारा शिकायत करने के बाद डेयरी को खाली करने और तोड़फोड़ करने के नगर निगम की ओर से आदेश दिए गए हैं. कुछ दिन पहले मकानों को खाली करने और तोड़ने के नोटिस के बाद आज मंगलवार को इलाके में बुलडोजर पहुंचा.
बुलडोजर एक्शन का लोगों ने विरोध शुरू कर दिया. इलाके में डर और गुस्से का माहौल है. अपने घरों को बचाने के लिए हजारों की संख्या में सड़कों पर लोग उतर आए. लोगों के विरोध को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.
सोमवार सुबह से बालेश्वर डायरी में नगर निगम की तरफ से डिमोलेशन की कार्रवाई शुरू की गई. व्यवस्था ना बिगड़े उसको लेकर नगर निगम की तरफ आउटर नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट डीसीपी ऑफिस और भलस्वा थाना पुलिस से फोर्सज की मांग की गई. मंगलवार सुबह 6 बजे ही यहां पर एमसीडी का अमला जेसीबी और फोर्स के साथ पहुंचा जिसे देखकर यहां के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया और भलस्वा डेरी में रहने वाले हजारों लोगों ने झील की मुख्य सड़क को जाम कर फोर्स को झील पर ही रोक दिया.
बताया जा रहा है कि एक निजी संस्था संचालिका सुनैना सिब्बल की तरफ से भलस्वा डेरी में हो रहे पशुपालन पर आपत्ति जताते हुए एक रिपोर्ट तैयार की गई थी जिसमें बताया गया था कि जो भलस्वा डेरी में पशुपालन हो रहा है उन पशुओं का दूध पीने योग्य नहीं है क्योंकि एक तरफ भलस्वा डेयरी में प्रदूषित झील है तो दूसरी तरफ भलस्वा लैंडफिल साइट है, जिसके चलते यहां का वातावरण हमेशा प्रदूषित रहता है और अक्सर आवारा पशु कूड़े के ढेर पर देखे जाते हैं, जिसके चलते निजी एनजीओ चलाने वाली सुनैना सिब्बल ने कोर्ट में शिकायत की केस में भलस्वा डेयरी को यहां से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए ताकि पशुक्रूरता ना हो सके जिसके लेकर भलस्वा डेयरी में हंगामा चल रहा है.
9 अगस्त को हाई कोर्ट में भलस्वा डिमोलेशन कार्रवाई को लेकर सुनवाई हुई थी, जिसमें हाई कोर्ट की तरफ से दिशा निर्देश जारी किए गए थे. आने वाली 16 अगस्त को भलस्वा डेयरी संबंधित दस्तावेज और एफिडेविट बनवाकर कोर्ट में सबमिट कराया जाना था. कल नगर निगम की तरफ से भलस्वा डेयरी में डिमोलिशन की कार्रवाई का फरमान जारी किया गया.
ये है विरोध प्रदर्शन का कारण
स्थानीय लोगों का कहना है कि वो 1976 में यहां पर आकर बसे थे, जब यह बीहड़ जंगल हुआ करता था, लेकिन अब यहां रिहायशी इलाका हो गया है. अब यहां से हटाने की बात कही जा रही है.
बता दें कि हाई कोर्ट में यह मामला विचारधीन है, लेकिन 16 अगस्त से पहले एमसीडी की तरफ से डिमोलिशन की बड़ी कार्रवाई को लेकर लोगों का गुस्सा भड़क गया है. लोगों का कहना है कि जब कोर्ट ने माना है कि 16 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई होगी तो उससे पहले कार्रवाई को लेकर यहां एमसीडी का बुलडोजर कैसे पहुंच गया. स्थानीय लोगों में आक्रोश है. हजारों लोग प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
कोर्ट ने क्यों दिया आदेश?
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने गाजीपुर समेत भलस्वा डेयरी में मवेशियों के शेड के स्थान पर अवैध रूप से किए गए आवासीय और व्यवसायिक निर्माण को देखते हुए एमसीडी समेत सभी संबंधित एजेंसियों को चार हफ्तों के अंदर भलसवा डेयरी को घोंघा डेयरी में शिफ्ट करने का आदेश जारी किया है.
कोर्ट की तरफ से यह भी कहा गया कि दिल्ली सरकार और एमसीडी मवेशियों के भलस्वा के लैंडफिल साईट पर जहरीला कचड़ा खाने से रोकने में भी नाकाम साबित हो रही है, जो लोगों और खास तौर पर बच्चों के लिए काफी खतरनाक है. क्योंकि सभी इन मवेशियों का दूध पीते हैं.
हाईकोर्ट ने इस आदेश पर त्वरित कार्रवाई करते हुए भलस्वा डेयरी को घोंघा डेयरी के 83 एकड़ भूमि में से इसके लिए आवश्यक 30 एकड़ भूमि में शिफ्ट करने का आदेश दिया है. इस मामले में 23 अगस्त को हाई कोर्ट में अगली सुनवाई होनी है, लेकिन इससे एक दिन पहले यानी 22 अगस्त को कोर्ट में एक्शन टेकेन रिपोर्ट दाखिल करना है.
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