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बुलंदशहर सामूहिक हत्याकांड: उम्रकैद की सजा पाए 6 लोगों को हाईकोर्ट ने बरी किया

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर सामूहिक हत्याकांड के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटा.

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छह लोगों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी किया (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 17, 2024, 9:11 PM IST

प्रयागराज: सामूहिक हत्या के जुर्म में दोषी ठहराए गए और उम्र कैद की सजा पाए छह आरोपियों को हाईकोर्ट ने सजा से बरी कर दिया है. आरोपियों की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही नहीं पाया. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित नहीं कर पाया. गवाहों के बयान और साक्ष्य में भिन्नता पाई गई.

अन्य आधारों का संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की खंडपीठ ने वेद उर्फ वेदपाल, गंगा, जगन, प्यारे, राकेश और बबलू उर्फ बलुआ की अपील पर यह आदेश दिया. बुलंदशहर के डिबाई थाने में 25 मई 2004 को दिनेश के पुत्र बंटी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी. आरोप लगाया था पुरानी रंजिश के चलते रात में ट्यूबेल पर सो रहे उसके परिवार के कुंवर सिंह, संतोष, दिनेश और जालिम सिंह की हत्या कर दी गई. ट्रायल कोर्ट ने 30 जून 2007 को मामले के छह आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों व दलीलों के आधार पर कहा कि अभियोजन पक्ष यह स्थापित करने में विफल रहा है कि वारदात के वक्त ट्यूबवेल पर प्रकाश का क्या स्रोत था, जिसमें गवाहों ने आरोपियों की पहचान की. गवाहों ने अपीलकर्ताओं को टॉर्च की रोशनी में पहचानने की बात कही, लेकिन जांच अधिकारी टार्च पेश करने में विफल रहे. कोर्ट ने संदेश का लाभ देते हुए आरोपियों को बरी कर दिया.

ये भी पढ़ें- यूपी में दिवाली पर 1.86 करोड़ परिवारों को मिलेगा फ्री LPG सिलेंडर; योगी सरकार खर्च करेगी 1,890 करोड़ रुपए

प्रयागराज: सामूहिक हत्या के जुर्म में दोषी ठहराए गए और उम्र कैद की सजा पाए छह आरोपियों को हाईकोर्ट ने सजा से बरी कर दिया है. आरोपियों की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही नहीं पाया. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित नहीं कर पाया. गवाहों के बयान और साक्ष्य में भिन्नता पाई गई.

अन्य आधारों का संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की खंडपीठ ने वेद उर्फ वेदपाल, गंगा, जगन, प्यारे, राकेश और बबलू उर्फ बलुआ की अपील पर यह आदेश दिया. बुलंदशहर के डिबाई थाने में 25 मई 2004 को दिनेश के पुत्र बंटी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी. आरोप लगाया था पुरानी रंजिश के चलते रात में ट्यूबेल पर सो रहे उसके परिवार के कुंवर सिंह, संतोष, दिनेश और जालिम सिंह की हत्या कर दी गई. ट्रायल कोर्ट ने 30 जून 2007 को मामले के छह आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों व दलीलों के आधार पर कहा कि अभियोजन पक्ष यह स्थापित करने में विफल रहा है कि वारदात के वक्त ट्यूबवेल पर प्रकाश का क्या स्रोत था, जिसमें गवाहों ने आरोपियों की पहचान की. गवाहों ने अपीलकर्ताओं को टॉर्च की रोशनी में पहचानने की बात कही, लेकिन जांच अधिकारी टार्च पेश करने में विफल रहे. कोर्ट ने संदेश का लाभ देते हुए आरोपियों को बरी कर दिया.

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