पटना: बिहार में डेढ़ दर्जन से अधिक पुल पुलिया गिर चुके हैं और उसमें से कई ऐसे हैं जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है. इसीलिए ना तो उसके निर्माण एजेंसी पर सरकार कार्रवाई कर पा रही है और ना ही किसी अभियंता पर. इसके बाद ही सरकार ने सभी पुलों का सर्वे करने का फैसला लिया. पथ निर्माण विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग अपने पुलों का सर्वे करवा रहा है, लेकिन इसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं.
14 जिलों के 693 पुल पुलिया लावारिस: सबसे चौंकाने वाला मामला जल संसाधन विभाग के सर्वे में आया है. जल संसाधन विभाग ने नहर, नाला और नदियों पर बने पुलों का सर्वे करवाया है. पूरे बिहार में ऐसे हजारों पुल होने की बात कहीं जा रही है, जिसका निर्माण किस एजेंसी ने कराया जानकारी नहीं मिल रही है. जल संसाधन विभाग ने फिलहाल 14 जिलों के 693 पुल पुलिया को लेकर पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पंचायती राज विभाग, योजना एवं विकास विभाग और ग्रामीण विकास विभाग से जानकारी मांगी है.
पुलों का निर्माण किसने करवाया?: जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव और विकास आयुक्त चैतन्य प्रसाद ने सभी विभागों के प्रमुख को इन पुल पुलियों की जानकारी लेकर इसकी मरम्मत करने की बात कही है. वहीं जानकारी मिल रही है कि सभी विभागों ने पुल पुलिया के बारे में विभाग के पास किसी तरह की जानकारी नहीं होने की बात कही है. ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी संजय कुमार ने इसको लेकर सभी 14 जिलों के डीएम से पुल पुलियों की जानकारी इकट्ठा कर मरम्मत करने के लिए कहा है.
जर्जर पुल-पुलिया की मरम्मत का निर्देश: सबसे बड़ी बात है कि जिन पुल-पुलिया के बारे में यह पता नहीं चल रहा है कि किस एजेंसी ने बनाया है, किस विभाग के पास है, अधिकांश जर्जर हालत में है. यदि मरम्मत नहीं कराया गया तो इसमें से कई के धराशाई होने की आशंका है और यह सरकार की परेशानी बढ़ा रही है. ऐसे मुख्यमंत्री ने बिहार में जितने पुल पुलिया हैं, सभी का सर्वे कराकर जर्जर पुल के मरम्मत करने का निर्देश दिया है.
पुल-पुलिया को लेकर बड़ा खुलासा: पथ निर्माण विभाग की ओर से फैसला हुआ कि पुलों का हेल्थ कार्ड बनायेंगे. पथ निर्माण विभाग 30 मीटर से अधिक लंबाई का पुल बनाता है. बिहार में 1400 के करीब 30 मीटर से अधिक पुल हैं और उसमें से दो दर्जन से अधिक पुल जर्जर हालत में है. फिलहाल जल संसाधन विभाग के जांच प्रतिवेदन में 693 पुलों के निर्माण एजेंसी के बारे में अज्ञात लिखने का मामला तूल पकड़ रहा है.
अभियंत्रण सेवा संघ के पूर्व सचिव ने क्या कहा?: इंडियन इंजीनियर्स फेडरेशन पूर्वी के उपाध्यक्ष और बिहार अभियंत्रण सेवा संघ के पूर्व महासचिव डॉक्टर सुनील कुमार चौधरी का कहना है कि ऐसा कोई पुल पुलिया हो ही नहीं सकता है कि इसका स्वामित्व किसी के पास ना हो बिना सरकार की स्वीकृति के पुल पुलिया का निर्माण हो ही नहीं सकता है.
"बिहार में बहुत से ऐसे पुल पुलिया हैं, जो किस विभाग द्वारा बनवाया गया है, पता ही नहीं चलता है. जो भी पुल पुलिया का निर्माण होता है उसके लिए सरकार द्वारा योजना की स्वीकृति दी जाती है और किसी ना किसी विभाग द्वारा बनवाया जाता है. स्वाभाविक है कि योजना की स्वीकृति के बाद ही फंड जारी किया जाता है. पुल पुलिया का स्वामित्व किसी के पास नहीं, इस बात से मैं सहमत नहीं हूं."- सुनील कुमार चौधरी, पूर्व महासचिव, अभियंत्रण सेवा संघ बिहार
क्या कहना है JDU का?: इसपर जदयू नेताओं के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा है. ऐसे सरकार का बचाव करते हुए जदयू प्रवक्ता हिमराज राम का कहना है जीन पुल पुलियों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलने की बात कही जा रही है. उन पुल पुलियों को लेकर जांच पड़ताल हो रही है. किस योजना से किस एजेंसी ने और किस विभाग ने बनाया सब की जानकारी इकट्ठा की जा रही है.
"जो भी पुल पुलिया बनाए गए हैं, सरकार के पैसे से बना है. जिस पुल पुलिया का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है,उसकी जांच चल रही है. एक-एक चीज को खंगाला जा रहा है. कौन पुल किस योजना से बनी, किस विभाग से बनाई गई, सारी चीजों की जांच चल रही है."- हिम राज राम, प्रवक्ता, जदयू
आरजेडी को हमला करने का मौका मिल गया है. लगातार गिर रहे पुल को लेकर पहले से ही राजद आक्रामक है. अब पुल पुलिया के स्वामित्व को लेकर जो जांच प्रतिवेदन आया है, उस पर राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव का कहना है कि ऐसा संभव ही नहीं है. किसी न किसी एजेंसी ने पुल का निर्माण जरूर किया होगा.
"किसी विभाग ने पुल का निर्माण करवाया होगा. किसी न किसी के फंड से जरूर बना होगा. चाहे सांसद फंड हो, विधायक फंड हो लेकिन यहां तो भ्रष्टाचार का मामला है. भ्रष्टाचार संस्थागत हो चुका है और आने वाले दिन में कई बड़े पुल धराशाई होंगे."- शक्ति यादव, मुख्य प्रवक्ता, राजद
विभाग को दी गई 250 पुलों की जांच रिपोर्ट: पथ निर्माण मंत्री विजय सिन्हा ने कहा था कि सभी पुलों का जो विभाग के तहत है उसका हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा. उसको लेकर पथ निर्माण विभाग के पुलों का सर्वे का काम अभी चल रहा है. 250 राज्य उच्च पथ (एसएच) और वृहद जिला पथ (एमडीआर) पर स्थित पुलों की रिपोर्ट पथ निर्माण विभाग को मिल गयी है.
जांच रिपोर्ट में जर्जर मिले पुल: पुलों की रिपाेर्ट यह है कि बड़ी संख्या में पुल ऐसे हैं, जिसके एक्सपेंशन ज्वाइंट में समस्या दिख रही है. बियरिंग टूट रहे और कई जगहाें पर पुल की रेलिंग भी टूटी मिली है. एक-दो जगहों पर पुल के पाये में भी समस्या दिखी है. पथ निर्माण विभाग में दो दर्जन से अधिक फुल जर्जर होने की जानकारी मिली है. ऐसे विभाग के 1400 पुल की जांच होनी है.
5 वर्ष के बाद की योजना नहीं: ऐसे पथ निर्माण विभाग में अब जिस एजेंसी को काम दिया जाता है, उसे 5 वर्ष तक मेंटेनेंस करना होता है. लेकिन 5 वर्ष के बाद कोई पॉलिसी अभी तक सरकार ने नहीं बनाई है. इसी तरह ग्रामीण कार्य विभाग में भी अब पॉलिसी बनाने की तैयारी हो रही है. पुल पुलियों को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं.पटना जिला में ग्रामीण कार्य विभाग के 2781 छोटे-बड़े पुल हैं. जिले में पथ निर्माण विभाग की ओर से बनवाए गए 608 पुल, पुलिया, ह्यूमन पाइप क्लवर्ट और बॉक्स क्लवर्ट के जरिए भी आवागमन होता है . कई की स्थिति अच्छी नहीं है.
इन जिलों में पुल-पुलियों की हालत खराब: जल संसाधन विभाग ने जिन 14 जिलों की रिपोर्ट में 693 पुल-पुलियों के निर्माण एजेंसी का पता नहीं चलने की बात की है, उसमें पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, गोपालगंज , सारण, सिवान, सहरसा , कटिहार, वैशाली , मधेपुरा, पूर्णिया, सुपौल और अररिया शामिल है. बिहार रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी ने पुल पुलियों की सूची भी जारी की है. इनमें से अधिकांश उपयोगी हैं, लेकिन जजर्र हालत में है. यदि इसका समय रहते मरम्मत नहीं किया गया तो कई के धराशायी होने की आशंका है.
जांच में क्या आया सामने आया?: बता दें कि बिहार में लगातार गिर रहे पुलों की स्थिति की जांच के लिए पथ निर्माण की ओर से जांच टीम का गठन किया गया था. अबतक कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ चुके हैं. जांच में आया कि बिहार में नीतीश कुमार के कार्यकाल में 2 लाख से अधिक पुल पुलिया का निर्माण हुआ है. पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग पुल पुलिया का निर्माण कराता है. नीतीश कुमार के कार्यकाल और उससे पहले बने हजारों की संख्या में पुल पुलिया ऐसे हैं, इसके निर्माण एजेंसी का अता-पता नहीं चल रहा है.
मामला ऐसे हुआ उजागर: इस मामले का खुलासा तब हुआ जब जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव चैतन्य प्रसाद ने पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पंचायती राज और योजना विकास विभाग से जानकारी मांगी. 14 जिले में 693 हैं. पुल पुलियों के स्वामित्व के बारे में फिलहाल जानकारी मांगी गई है. ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी ने सभी डीएम को इन पुलिया की जानकारी लेने के लिए कहा है. पथ निर्माण विभाग भी अपने 30 मीटर से अधिक 1400 पुलों की जांच करवा रहा है. दो दर्जन पुलों के जर्जर होने की जानकारी मिली है.
जल संसाधन विभाग बना रहा है नई पॉलिसी: पुल का निर्माण कई माध्यमों से किया जाता है. पथ निर्माण विभाग बड़े पुलों का निर्माण करता है. पुल निर्माण निगम के माध्यम से बाहर की बड़ी एजेंसियों से भी निर्माण कराया जाता है. ग्रामीण कार्य विभाग में छोटे पुल का निर्माण होता है और बिहार में अधिकांश पुल पुलिया ग्रामीण कार्य विभाग और ग्रामीण विकास विभाग बनाता है.
पिछले दिनों पुल के धराशाई होने पर ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था कि नीतीश सरकार के कार्यकाल में 2 लाख से अधिक पुल पुलियों का निर्माण हुआ है तो कुछ पुल पुलिया गिर गए तो ऐसा नहीं है कि सभी में भ्रष्टाचार हुआ है. हम लोग सभी पुल की जांच पड़ताल करवा रहे हैं, लेकिन अब जल संसाधन विभाग के हालिया रिपोर्ट ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. हालांकि जल संसाधन विभाग ने एक नया फैसला लिया है. जो भी पुल पुलिया का निर्माण होगा, उसके स्ट्रक्चर का अब जल संसाधन विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य होगा, जिससे उसका रिकॉर्ड रखा जा सके.
ये भी पढ़ें