नई दिल्ली : भाजपा की तरफ से वर्शिप एक्ट 1991 (Worship act 1991) यानी पूजा स्थल एक्ट 1991 को खत्म करने की मांग संसद में उठाई गई है. ये मांग भाजपा के सांसद हरनाथ सिंह यादव ने राज्यसभा में उठाई है.
हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि ये कानून तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के समय तब बनाया गया था जब बाबरी मस्जिद का मामला अपने चरम पर था. राम मंदिर विवाद को छोड़कर बाकी सभी धार्मिक स्थलों के मुद्दे को दबाने के लिए इस कानून को लाया गया था, क्योंकि तत्कालीन सरकार को मालूम था कि इसके बाद काशी और मथुरा का मामला भी उठाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि ये एक ऐसा कानून था जिसमें बहुसंख्यकों के पूजा स्थल वापस ना मिल पाएं सिर्फ ये ध्यान में रखकर बनाया गया था. उन्होंने कहा कि ये अंग्रेजों की सोच वाला कानून था.
भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि मुस्लिम धार्मिक गुरु मुसलमानों की चिंता नहीं करते, वह सिर्फ उन्हें धार्मिक उन्माद में फंसाकर रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार धर्म और जाति पर नहीं बल्कि 140 करोड़ की जनता के लिए काम कर रही है. अल्पसंख्यकों की शिक्षा, स्वास्थ्य और मुफ्त अनाज देने संबंधी सभी मामलों में कोई भेदभाव के बगैर सरकार उन्हें फायदा पहुंचा रही है, लेकिन कुछ लोग उन्हें बहकाने की कोशिश कर रहे हैं. आखिर किसी भी कानून के हवाले सरकार किसी के लिए भी कानून के दरवाजे कैसे बंद कर सकती है.
उन्होंने कहा कि देश में 80 प्रतिशत संख्या बहुसंख्यक समाज की है और उन्हीं के लिए ये कानून दरवाजे बंद करता है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी की जांच में मिले सबूत चीख चीखकर कह रहे है कि वहां मंदिर था और इस तरह मथुरा में कृष्ण की जन्मभूमि पर मस्जिद बनी हुई है. ये कैसे हो सकता है. उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं कह रहा की सरकार ने मुझसे ये मुद्दा उठवाया है मैंने ये मुद्दा खुद उठाया है.