चंडीगढ़ : आखिरकार साढ़े 4 साल बाद हरियाणा में लोकसभा चुनाव के ऐन पहले बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन टूट गया. ऐसे में सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि गठबंधन को दोनों पार्टियों ने तोड़ दिया या यूं कहे कि ब्रेकअप कर लिया. बीजेपी-जेजेपी के बीच ब्रेकअप के पीछे कई वजह है जिसे आगे आपको बताएंगे.
नायब सिंह सैनी बने हरियाणा के मुख्यमंत्री : मंगलवार को सुबह से ही हरियाणा में सियासी हलचल शुरू हो गई. पहले मनोहर लाल का इस्तीफा हुआ, फिर कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद नायब सिंह सैनी को विधायक दल की बैठक में अपना नेता चुना गया और फिर वे हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री बन गए हैं. मंगलवार को पहले उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया और मंगलवार शाम 5 बजे चंडीगढ़ राजभवन जाकर सीएम पद की शपथ ले ली. इस दौरान उनके साथ 5 मंत्रियों ने भी शपथ ली. कहा जा रहा है अनिल विज को भी मंत्री बनाया जाना था लेकिन वे पहले ही अपनी नाराज़गी जताते हुए बैठक छोड़कर अंबाला पहुंच गए. ऐसे में हरियाणा की नई कैबिनेट के लिए 5 मंत्रियों ने फिलहाल शपथ ली.
5 मंत्रियों ने भी ली शपथ : वहीं नायब सिंह सैनी ने पहले मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पैर छुए और फिर 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर सीएम पद की शपथ ली. आपको बता दें कि हरियाणा के नए सीएम नायब सिंह सैनी के बारे में कहा जाता है कि वे मनोहर लाल खट्टर के करीबी है और अक्टूबर 2023 में मनोहर लाल खट्टर के कहने पर ही उन्हें हरियाणा बीजेपी का अध्यक्ष भी बनाया गया था. हरियाणा के नए सीएम नायब सिंह सैनी के साथ कंवरपाल गुर्जर, मूलचंद शर्मा, रणजीत सिंह चौटाला, बनवारी लाल और जे.पी.दलाल ने भी मंत्री पद की शपथ ली. ये सभी पांचों मंत्री खट्टर कैबिनेट में भी मंत्री थे. शपथ लेने के बाद नायब सिंह सिंह सैनी ने पहले पदभार ग्रहण किया और फिर कैबिनेट की बैठक कर ली. बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि बुधवार(13 मार्च) को हरियाणा विधानसभा का सत्र बुलाया गया है जिसमें सरकार अपना फ्लोर टेस्ट देगी. साथ ही उन्होंने दावा भी कर दिया कि उनके पास 48 विधायकों का समर्थन है.
जेजेपी की बैठक में नहीं पहुंचे 5 विधायक : जेजेपी की बात करें तो बीजेपी के साथ ब्रेक अप के बाद जेजेपी ने दिल्ली में अपने विधायकों की बैठक बुलाई, लेकिन उसमें पार्टी के 10 में से 5 विधायक नदारद रहे. कहा जा रहा है कि ये सभी बीजेपी के कॉन्टैक्ट में है. वहीं हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X) पर हरियाणा की जनता के नाम खुला खत लिखकर जनता का आभार जताया. साथ ही उन्होंने कहा कि 13 मार्च को हिसार की रैली में जेजेपी अपनी अगली रणनीति का खुलासा करेगी.
सीट शेयरिंग पर हुआ ब्रेकअप : एक तरफ जहां बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले देश के अलग-अलग राज्यों में अपना कुनबा बढ़ाने की पुरज़ोर कोशिश कर रही है, ऐसे में सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि साढ़े 4 साल बाद हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन टूट गया और दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनावी मैदान में उतरने का इरादा कर चुकी है. पिछले कई दिनों से ख़बरें थी कि जेजेपी ने बीजेपी से लोकसभा चुनाव के लिए हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट की डिमांड की थी लेकिन बीजेपी सभी 10 सीटों पर लड़ना चाहती थी. खुद दुष्यंत चौटाला कह चुके थे कि हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पार्टी का फोकस है और साथ ही उन्होंने सोमवार को दिल्ली जाकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी की थी लेकिन इसके बावजूद सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी.
"जेजेपी के चलते बीजेपी की बदनामी ": वहीं हरियाणा में गठबंधन के टूटने पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि जेजेपी ने नहीं बल्कि बीजेपी ने गठबंधन को तोड़ा है. जेजेपी के चलते पार्टी की बदनामी हो रही थी. ऐसे में पार्टी ने ये कदम उठाया है. आपको बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पिछले दिनों चुनाव संबंधी तैयारियों की समीक्षा के लिए हरियाणा आए थे और उन्होंने यहां आकर सियासी हालातों का जायज़ा लिया था. साथ ही वे ये कहना नहीं भूले कि गठबंधन को तोड़ने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा. मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में हरियाणा में काफी विकास हुआ है और लोगों की आय में इजाफा देखने को मिला है. यहां आपको बताते चलें कि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कैलाश विजयवर्गीय को हरियाणा का चुनाव प्रभारी बनाया था और तब पार्टी ने राज्य में बहुमत हासिल किया था.
एंटी इनकंबेंसी का डर : वहीं एक सवाल ये भी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जेजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद मनोहर लाल खट्टर की जगह पार्टी ने नायब सिंह सैनी को हरियाणा सरकार का नेतृत्व सौंप दिया. सोमवार को पीएम मोदी हरियाणा के दौरे पर थे और उन्होंने यहां पर द्वारका एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था. उन्होंने इस दौरान मनोहर लाल खट्टर की जमकर तारीफ भी की थी. लेकिन मंगलवार को पार्टी ने बड़ा फैसला लेते हुए उन्हें हटाने का फैसला कर लिया. इसके पीछे भी वजह है. बताया जा रहा है कि राज्य में मनोहर लाल खट्टर पिछले 10 सालों से मुख्यमंत्री थे. ऐसे में पार्टी को राज्य में एंटी इनकंबेंसी का डर था. बीजेपी को पिछली बार के चुनाव में भी पूरा बहुमत नहीं मिल पाया था. ऐसे में पार्टी को लग रहा था कि कहीं इस बार हरियाणा पार्टी के हाथ से ना निकल जाए. वहीं विपक्ष ने राज्य में कानून-व्यवस्था को एक बड़ा मुद्दा बना लिया था. ऐसे में पार्टी कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं थी. इसी के चलते मनोहर लाल खट्टर को हटाते हुए नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान दे दी गई.
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