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हरियाणा में कांग्रेस बैकग्राउंड के नेताओं को बीजेपी ने क्यों बनाया लोकसभा उम्मीदवार? आखिर क्या है सियासी मजबूरी ? - Loksabha Election 2024

Bjp Haryana Loksabha Candidates 2024 : लोकसभा के रण के लिए बीजेपी ने हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सीटों पर कैंडिडेट्स उतार दिए हैं, लेकिन जिन उम्मीदवारों को पार्टी ने मैदान में उतारा है, उनमें से 6 लोकसभा उम्मीदवार कांग्रेस बैकग्राउंड के हैं. ऐसे में कई सवाल खड़े हो गए हैं.

Bjp Haryana Loksabha Candidates 2024 Congress Background Loksabha Election 2024 Haryana Politics
सियासत की मजबूरी
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 26, 2024, 10:58 PM IST

Updated : Mar 26, 2024, 11:07 PM IST

हरियाणा में कांग्रेस बैकग्राउंड के नेताओं को बीजेपी ने क्यों बनाया लोकसभा उम्मीदवार?

चंडीगढ़ : हरियाणा में बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. लेकिन इन 10 उम्मीदवारों की लिस्ट को देखकर लगता है कि बीजेपी को अपनों से ज्यादा कांग्रेसियों पर भरोसा है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिन 10 उम्मीदवारों को बीजेपी ने मैदान में उतारा है, उनमें से 6 लोकसभा उम्मीदवार कांग्रेस बैकग्राउंड के हैं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या बीजेपी के पास संगठन से जुड़े ऐसे लोग नहीं है, जो चुनाव जीत सकते हों या फिर बीजेपी ने जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है ?.

हरियाणा में बीजेपी के पास स्ट्रॉन्ग कैडर नहीं ? : बीजेपी के उम्मीदवारों में ज्यादातर कांग्रेस बैकग्राउंड के नेताओं के नाम होने के मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि बीजेपी की बैकबोन आरएसएस है और आरएसएस को लेकर कहा जाता है कि आरएसएस का कैडर काफी ज्यादा स्ट्रॉन्ग है. लेकिन ये भी सच है कि 2014 से पहले हरियाणा में बीजेपी अपने दम पर सत्ता में नहीं आई. हरियाणा में बीजेपी का स्ट्रॉन्ग कैडर कभी नहीं था. हरियाणा में 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव बीजेपी ने बाकी दलों से पाला बदलकर बीजेपी में आए नेताओं के दम पर लड़ा था.

नवीन जिंदल पर दांव खेलने से हैरानी : धीरेंद्र अवस्थी ने आगे कहा कि बीजेपी की लोकसभा उम्मीदवारों की जो लिस्ट आई है, उनमें 2 उम्मीदवारों के नाम पर सबसे ज्यादा सवाल खड़े हो रहे हैं. वो नाम है रणजीत सिंह चौटाला और नवीन जिंदल. यूपीए सरकार के दौरान नवीन जिंदल पर कोल स्कैम को लेकर सवाल उठे थे. तब बीजेपी ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. नवीन जिंदल का कुरुक्षेत्र में एक ऑफिस है, लेकिन वे बीते कुछ सालों से एक्टिव भी नहीं थे. ऐसे में नवीन जिंदल पर बीजेपी का दांव खेलना हैरानी वाला फैसला है.

रणजीत चौटाला को आखिर क्यों बनाना पड़ा उम्मीदवार ? : वहीं रणजीत चौटाला की बात करें तो वे पहले भी हिसार से चुनाव लड़ चुके हैं. उनको करीब 50 हजार वोट मिले थे. ऐसे में रणजीत सिंह चौटाला पर बीजेपी का दांव खेलना भी अचरज वाला फैसला है. बृजेंद्र सिंह के बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाने के बाद बीजेपी पसोपेश में थी. इस सीट पर कैप्टन अभिमन्यु का नाम चला, डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा का नाम चला. कैप्टन अभिमन्यु को मनोहर लाल पसंद नही करते ये सबको पता है. रणजीत चौटाला के साथ मनोहर लाल के संबंध अच्छे थे, इसलिए पार्टी ने उन्हें हिसार से कैंडिडेट बनाया, लेकिन माना जा रहा है कि वे हिसार से मजबूत उम्मीदवार नहीं है.

मनोहर लाल को हटाने की क्या थी वजह ? : वहीं बीजेपी के बाकी उम्मीदवारों की बात करें तो मनोहर लाल राव इंद्रजीत के पक्ष में भी नहीं थे, लेकिन उनकी जगह कोई विकल्प अहिरवाल में नहीं था. राव इंद्रजीत का कोई आज की तारीख में विकल्प भी नहीं है. फिर बात चाहे धर्मवीर की हो या अरविंद शर्मा की. अरविंद शर्मा को लेकर चर्चा थी कि उनका टिकट कट सकता है क्योंकि अरविंद शर्मा अकेले हरियाणा के सांसद थे जिन्होंने उस वक्त के सीएम मनोहर लाल की सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठाए थे. इसे लेकर सरकार की किरकिरी भी हुई थी. उनको करनाल शिफ्ट करने की भी चर्चा थी. हालांकि बाद में वहां पूर्व सीएम मनोहर लाल को मैदान में उतार दिया गया. वहीं सवाल ये भी उठता है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बदलने की क्या जरुरत पार्टी को आन पड़ी. माना जा रहा है कि एंटी इनकम्बेंसी के चलते पार्टी ने ये बदलाव किया. लेकिन फिर पार्टी ने उन्हें करनाल सीट से मैदान में उतार दिया. इससे साफ है कि बीजेपी के पास लोकसभा के रण के लिए मजबूत चेहरे नहीं थे.

ये भी पढ़ें : रणजीत सिंह चौटाला ने दिया इस्तीफा, विधानसभा स्पीकर को भेजा, अब तक नहीं हुआ मंजूर

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हरियाणा में कांग्रेस बैकग्राउंड के नेताओं को बीजेपी ने क्यों बनाया लोकसभा उम्मीदवार?

चंडीगढ़ : हरियाणा में बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. लेकिन इन 10 उम्मीदवारों की लिस्ट को देखकर लगता है कि बीजेपी को अपनों से ज्यादा कांग्रेसियों पर भरोसा है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिन 10 उम्मीदवारों को बीजेपी ने मैदान में उतारा है, उनमें से 6 लोकसभा उम्मीदवार कांग्रेस बैकग्राउंड के हैं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या बीजेपी के पास संगठन से जुड़े ऐसे लोग नहीं है, जो चुनाव जीत सकते हों या फिर बीजेपी ने जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है ?.

हरियाणा में बीजेपी के पास स्ट्रॉन्ग कैडर नहीं ? : बीजेपी के उम्मीदवारों में ज्यादातर कांग्रेस बैकग्राउंड के नेताओं के नाम होने के मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि बीजेपी की बैकबोन आरएसएस है और आरएसएस को लेकर कहा जाता है कि आरएसएस का कैडर काफी ज्यादा स्ट्रॉन्ग है. लेकिन ये भी सच है कि 2014 से पहले हरियाणा में बीजेपी अपने दम पर सत्ता में नहीं आई. हरियाणा में बीजेपी का स्ट्रॉन्ग कैडर कभी नहीं था. हरियाणा में 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव बीजेपी ने बाकी दलों से पाला बदलकर बीजेपी में आए नेताओं के दम पर लड़ा था.

नवीन जिंदल पर दांव खेलने से हैरानी : धीरेंद्र अवस्थी ने आगे कहा कि बीजेपी की लोकसभा उम्मीदवारों की जो लिस्ट आई है, उनमें 2 उम्मीदवारों के नाम पर सबसे ज्यादा सवाल खड़े हो रहे हैं. वो नाम है रणजीत सिंह चौटाला और नवीन जिंदल. यूपीए सरकार के दौरान नवीन जिंदल पर कोल स्कैम को लेकर सवाल उठे थे. तब बीजेपी ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. नवीन जिंदल का कुरुक्षेत्र में एक ऑफिस है, लेकिन वे बीते कुछ सालों से एक्टिव भी नहीं थे. ऐसे में नवीन जिंदल पर बीजेपी का दांव खेलना हैरानी वाला फैसला है.

रणजीत चौटाला को आखिर क्यों बनाना पड़ा उम्मीदवार ? : वहीं रणजीत चौटाला की बात करें तो वे पहले भी हिसार से चुनाव लड़ चुके हैं. उनको करीब 50 हजार वोट मिले थे. ऐसे में रणजीत सिंह चौटाला पर बीजेपी का दांव खेलना भी अचरज वाला फैसला है. बृजेंद्र सिंह के बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाने के बाद बीजेपी पसोपेश में थी. इस सीट पर कैप्टन अभिमन्यु का नाम चला, डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा का नाम चला. कैप्टन अभिमन्यु को मनोहर लाल पसंद नही करते ये सबको पता है. रणजीत चौटाला के साथ मनोहर लाल के संबंध अच्छे थे, इसलिए पार्टी ने उन्हें हिसार से कैंडिडेट बनाया, लेकिन माना जा रहा है कि वे हिसार से मजबूत उम्मीदवार नहीं है.

मनोहर लाल को हटाने की क्या थी वजह ? : वहीं बीजेपी के बाकी उम्मीदवारों की बात करें तो मनोहर लाल राव इंद्रजीत के पक्ष में भी नहीं थे, लेकिन उनकी जगह कोई विकल्प अहिरवाल में नहीं था. राव इंद्रजीत का कोई आज की तारीख में विकल्प भी नहीं है. फिर बात चाहे धर्मवीर की हो या अरविंद शर्मा की. अरविंद शर्मा को लेकर चर्चा थी कि उनका टिकट कट सकता है क्योंकि अरविंद शर्मा अकेले हरियाणा के सांसद थे जिन्होंने उस वक्त के सीएम मनोहर लाल की सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठाए थे. इसे लेकर सरकार की किरकिरी भी हुई थी. उनको करनाल शिफ्ट करने की भी चर्चा थी. हालांकि बाद में वहां पूर्व सीएम मनोहर लाल को मैदान में उतार दिया गया. वहीं सवाल ये भी उठता है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बदलने की क्या जरुरत पार्टी को आन पड़ी. माना जा रहा है कि एंटी इनकम्बेंसी के चलते पार्टी ने ये बदलाव किया. लेकिन फिर पार्टी ने उन्हें करनाल सीट से मैदान में उतार दिया. इससे साफ है कि बीजेपी के पास लोकसभा के रण के लिए मजबूत चेहरे नहीं थे.

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Last Updated : Mar 26, 2024, 11:07 PM IST
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