रांची: लोकसभा चुनाव परिणाम से झारखंड बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. राज्य की सभी पांचों ट्राइबल सीट हारने के बाद पार्टी को इस साल के अंत में होनेवाले विधानसभा चुनाव की चिंता सताने लगी है. 2019 की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनाव में जनाधार घटना सबसे बड़ी चिंता का कारण पार्टी के लिए है. हालत यह है कि करीब 150 से अधिक ऐसे बूथ हैं जहां बीजेपी को बहुत ही कम वोट मिले हैं. पार्टी ने ऐसे सभी बूथों को चिन्हित करना शुरू कर दिया है.
पार्टी चुनाव परिणाम आने के बाद कर रही है मंथन-बीजपी विधायक
इस संबंध में पूर्व स्पीकर और बीजेपी के रांची विधायक सीपी सिंह कहते हैं कि एक ऐसा वर्ग है जो आज भी बीजेपी से दूरी बनाकर रखा है. आप देखेंगे कि उन क्षेत्रों के बूथों पर बीजेपी को कहीं जीरो तो कहीं पांच या 10 वोट मिलते हैं. ऐसे में पार्टी इस बार के लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद मंथन करने में जुटी है कि आखिर किन वजहों से यह चुनाव परिणाम इन बूथों पर ऐसा रहा है.
इन सभी विषयों पर बीजेपी कर रही मंथन
- बूथों पर भाजपा के प्रदर्शन की हो रही है समीक्षा
- ए,बी,सी,डी कैटेगरी में बूथों को बांटकर हो रही है समीक्षा
- 150 से अधिक बूथों पर भाजपा का खराब रहा है प्रदर्शन
- उम्मीदवारों से बूथों पर हार के कारणों का मांगा जा रहा है फीडबैक
बूथों को चार कैटेगरी में बांटकर बीजेपी कर रही है समीक्षा
लोकसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी हर बूथ की समीक्षा कर रही है. इसके लिए चार कैटिगरी बनाए गए हैं. सबसे अच्छा परफॉर्म करने वाला बूथ ए श्रेणी में रखा गया है. इसी तरह उससे थोड़ा कम को बी, सामान्य को सी और सबसे खराब को डी कैटेगरी में रखा गया है. हर उम्मीदवार को प्रदेश कार्यालय की ओर से खराब प्रदर्शन करने वाले बूथों की वजह बताने को कहा गया है. पार्टी ने लोकसभा और विधानसभा स्तर पर समीक्षा करने के लिए सभी जिलों को निर्देशित किया है. जुलाई महीने में समीक्षा का काम पूरा कर प्रदेश कार्यालय को रिपोर्ट भेजने को कहा गया है.
विधानसभा चुनाव में जीत के लिए बनाई जा रही है रणनीति
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अभी से तैयारी में जुट गई है. लोकसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद अपनी कमियों को सुधार कर विधानसभा चुनाव में बीजेपी कार्यकर्ताओं को अभी से जुट जाने के निर्देश दिए गए हैं. बीजेपी ने एक बार फिर डबल इंजन की सरकार का नारा दिया है. 2019 के चुनाव में झारखंड बीजेपी ने 65 पार का लक्ष्य रखा था, जिसमें सिर्फ 25 सीटों पर सफलता मिली थी. हालांकि जेवीएम के मर्जर के बाद बाबूलाल के रूप में 26 का आंकड़ा पहुंचा था.वर्तमान में जेपी पटेल के कांग्रेस में जाने के बाद एक बार फिर 25 पर ही संख्या बल जा पहुंचा है.
इस साल आदिवासी और दलितों के साथ-साथ सवर्ण वोट में कमी लोकसभा चुनाव में देखी है. यही वजह है कि करीब 50 विधानसभा क्षेत्र में ही एनडीए आगे रही है, जबकि 2019 में 65 थी. बहरहाल बदली हुई परिस्थितियों के बीच झारखंड बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव जीतना बड़ी चुनौती है, जिसे पूरा करने की ईमानदारी से कोशिश करनी होगी.
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