रांचीः झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है, और सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. राष्ट्रीय पार्टियों के साथ-साथ क्षेत्रीय दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव में भाग लेने के लिए आगे आए हैं.
एनडीए ने झारखंड में सीट शेयरिंग से लेकर उम्मीदवारों तक की घोषणा कर दी है, जबकि इंडिया अलायंस अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं कर पाई है. इस बीच, इंडिया ब्लॉक के दलों और उनके नेताओं में रोष और आक्रोश देखा जा रहा है, खासकर झारखंड राजद और सीपीआई माले के नेताओं में.
इस मनमुटाव की शुरुआत 19 अक्टूबर को उस समय हुई, जब शनिवार दोपहर सीएम हेमंत सोरेन और कांग्रेस नेता गुलाम अहमद मीर ने मीडिया के सामने ये जानकारी साझा कर दी कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस मिलकर 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और बाकी 11 सीटें उन्होंने अन्य दलों के लिए छोड़ा है.
इसको लेकर सबसे पहले झारखंड राजद की प्रतिक्रिया आई और नाराज पार्टी नेताओं ने इसे अपमान बताया. रांची आने के बाद भी राजद नेता तेजस्वी यादव को बिना साथ लिए ही झामुमो और कांग्रेस ने 70 सीट शेयरिंग की घोषणा कर दी. जिसके बाद नाराज तेजस्वी होटल में चले गये. इसके बाद सीएम हेमंत सोरेन और कांग्रेस प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर होटल पहुंचे और उन्हें मनाने का प्रयास किया.
राजद के साथ झामुमो और कांग्रेस नेताओं की बैठक काफी लंबी चली लेकिन इस वार्ता का कोई असर नहीं हुआ और न ही कोई नतीजा निकल पाया. अंदर बैठक चली और मीटिंग खत्म होने के बाद काफी ऊहापोह और बातचीत के बाद भी राजद नेता ये कहते नजर आए कि फिलहाल सबकुछ ठीक है. राजद कोटे के मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने भी दावा किया कि गठबंधन में कोई दरार नहीं है, कुछ सीटों पर बात चल रही है. इसके बाद राजद नेताओं ने बैठक की और प्रदेश की 22 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए और प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगाने के लिए पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को अधिकृत किया.
राजद नेताओं की तल्खी का दौर रविवार 20 अक्टूबर तक जारी रहा है. इसके बाद दिन के 12 के करीब राजद की प्रेस वार्ता में मनोज झा ने कुछ मामलों को लेकर पार्टी की स्थिति स्पष्ट कर दी. मीडिया के सामने राजद में अपना दुख प्रकट किया और शनिवार रात को हुई बैठक की कई बातों को सार्वजनिक मंच से कहीं. मीडिया के सामने उन्होंने आंकड़े और नंबर बता दिये कि झारखंड में उनकी स्थिति क्या है, पिछले चुनावों में वोट का क्या आंकड़ा था और इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वो क्या डिमांड कर रहे हैं. अंत में उन्होंने भी कहा कि पार्टी ने झारखंड की 19 सीटों पर लड़ने की पूरी तैयारी कर ली है.
इसके बाद राजद के तमाम नेताओं ने अपना स्टैंड अपनाते हुए झामुमो और कांग्रेस को निशाना पर लिया. जिसमें झारखंड महिला राजद की प्रदेश अध्यक्ष रानी कुमारी ने सीधा हमला सत्ताधारी दल झामुमो और कांग्रेस पर किया. रानी कुमारी ने कहा कि पार्टी का कोई भी नेता और कार्यकर्ता लालू यादव और तेजस्वी यादव का अपमान नहीं सहेगा. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनना है तो उन्हें राजद को सम्मान देना ही होगा. अब न हम अपमान सहेंगे और न ही त्याग करेंगे और न ही 6 या 7 सीट लेंगे.
राजद के बाद अब दूसरी ओर सीपीआई माले ने भी बागी तेवर अपना लिए हैं. उन्होंने पार्टी के लिए 6 सीटों की डिमांड रख ही है. अब सीपीआई माले के नेताओं ने सोमवार 21 अक्टूबर को कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास पर सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की और छह विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी ठोक दी है. सीपीआई माले नेता अरुप चटर्जी ने कहा कि हमारी दावेदारी छह विधानसभा सीटों पर है. जिसमें निरसा, सिंदरी, बगोदर, धनवार, जमुआ और पांकी विधानसभा सीट शामिल है.
झारखंड विधानसभा चुनाव में गठबंधन, सीट शेयरिंग और उम्मीदवारों की लिस्ट की दौड़ में एनडीए ही सबसे आगे है. भाजपा ने अपने कोटे के 66 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है. आजसू पार्टी ने 8 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. फिलहाल भाजपा कोटे से 2 और आजसू की ओर से 2 सीटों की घोषणा बाकी है. इसके साथ ही एनडीए में शामिल लोजपा (आर) की चतरा सीट बाकी है. ऐसे में रविवार को पूर्व विधायक जनार्दन पासवान के एलजेपी में शामिल होने के बाद चतरा सीट उनके खाते में आ सकती है.
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर हुए गठबंधन में अब गांठ पड़ती हुई नजर आ रही है. सीट शेयरिंग का पेंच अब भी फंसा है, जिसे वार्ता और बैठक के जरिए सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है. झामुमो-कांग्रेस द्वारा 70 सीटों की शेयरिंग पर दोनों दलों की ओर से ज्यादा कुछ नहीं कहा गया. ऐसे में अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस के आला नेताओं के साथ एक बार फिर से वार्ता होगी और चर्चा की जाएगी. अंत में आखिर इसका हल क्या निकलेगा ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा.
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