बीजापुर: नक्सल प्रभावित बीजापुर के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के पूरा होने की राह देख रहे हैं. बारिश के मौसम में चिंतावगु नदी का पानी नदी के दोनों किनारों तक पहुंच जाता है. तेज धारा होने के चलते नदी के इस पार से उस पार जाना मुश्किल हो जाता है. इलाके के दर्जनों ऐसे गांव हैं जिनका संपर्क जिला मुख्यालय से कट जाता है. अगर किसी मरीज को जिला अस्पताल ले जाना होता है तो दांव पर अपनी जिंदगी लगानी पड़ती है. उफनती नदी में गांव के लोग मरीज को खटिया पर डालकर नदी को पार करते हैं. सालों से ये मजबूरी है.
खटिया पर डालकर गर्भवती महिला को पहुंचाया अस्पताल: उसूर ब्लॉक, रेड्डी और कामनार इलाके के लोग सालों से इस इलाके में पुलिया बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि ''बारिश के दिनों में उनकी जिंदगी मुश्किलों से भर जाती है. कई बार तो उनके गांवों का जिला मुख्यालय तक से संपर्क कट जाता है. सोमवार को प्रसव पीड़ा से परेशान महिला को खाट पर लादकर गांव वालों ने बड़ी मुश्किल से नदी पार कराया. गांव वालों का कहना था कि स्वास्थ्य अमले को उन्होने मरीज के बारे में सूचना दी. नदी को पार कर गांव तक आने के लिए कोई भी स्वास्थ्य कर्मी तैयार नहीं हुआ''.
गांव वाले बने मसीहा: गांव तक जब स्वास्थ्य विभाग का अमला नहीं पहुंचा, तब गांव वालों ने ही महिला को अस्पताल पहुंचाने का बीड़ा उठाया. गांव के लोगों ने महिला को पहले तो खाट पर लिटाया फिर से उसे पांच लोगों की मदद से नदी को कराया. गांव वालों का आरोप है कि बीजापुर के दूर दराज के गांव में आज भी हालात स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं को लेकर नहीं बदले हैं. गांव वालों ने एक बार मांग की है कि ''जल्द से जल्द चिंतावगु नदी पर पुल का निर्माण कराया जाए. पुल के निर्माण से उनकी दिक्कतें दूर हो जाएंगी''.