पटना: बिहार विधानसभा में आज बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 पास हो गया. 1981 में बिहार अपराध नियंत्रण जो कानून लागू किया था उसे निरस्त करते हुए 43 साल बाद नया कानून बिहार सरकार ने लागू किया है. सरकार का दावा है कि कानून बन जाने से बालू-शराब और जमीन माफियाओं के सिंडिकेट पर करारा प्रहार किया जा सकेगा. मंत्री बिजेंद्र यादव ने बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 को विधानसभा में पेश किया और चर्चा के बाद सदन ने इसे पास किया. हालांकि इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद नहीं थे. सम्राट चौधरी ने विधेयक पास होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दी और कहा बालू माफिया, शराब माफिया और भू माफिया सिंडिकेट को इसे ध्वस्त करेंगे.
नए कानू की महत्वपूर्ण बातें : विधेयक के कानून बनने पर जिला दंडाधिकारियों की शक्ति में काफी इजाफा हो गया है. जिलाधिकारियों को लगेगा कि कोई व्यक्ति या असमाजिक तत्व से शांति भंग होने की संभावना है तो उसे तड़ीपार किया जा सकता है. अधिकतम दो साल तक किसी व्यक्ति या असमाजिक तत्व को तड़ीपार रखा जा सकता है. कई ऐसे अपराध हैं जिसमें पाए जाने पर यह कार्रवाई हो सकती है, जिसमें बालू का कारोबार, शराब का धंधा, जमीन पर जबरन कब्जा, लड़कियों, महिलाओं से छेड़खानी शामिल है.
43 साल बाद आया सख्त कानून : बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 में स्पष्ट किया गया है कि अनैतिक व्यापार अधिनियम के अधीन महिलाओं और बच्चों के व्यापार से जुड़ा कोई भी अपराध करता हो, उस पर इस कानून के तहत कार्रवाई संभव है. इसके अलावे बच्चों से यौन अपराध करता हो. धर्म, मूलवंश, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर या किसी भी आधार पर विभिन्न धर्मो, मूलवंशीय या जाति या समुदायों के बीच शब्दों से शत्रुता या घृणा की भावना प्रोत्साहित करता हो या इसका प्रयत्न करता हो. जो स्त्रियों और लड़कियों पर अश्लील फब्तिय़ां कसता हो या उसे छेड़ता हुआ पाया गया हो, बिहार पुलिस हस्तक के प्रावधानों के अधीन गुंडा घोषित किया गया हो. जो संगठित अपराध करता हो, अपराध सिंडिकेट के किसी सदस्य के रूप में हो, अनुचित आर्थिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से हिंसा या हिंसा की धमकी या प्रताड़ित करता हो.
माफिया पर कसेगा शिकंजा : कोई भी व्यक्ति बालू से संबंधित अपराध करता हो या अपराध का प्रयास करता हो, उसके खिलाफ नए कानून के तहत कार्रवाई होगी. साथ ही जो शराब या मादक पदार्थ का निर्माण, भंडारण, परिवहन, विक्रय या वितरण करता हो या आगे बढ़ाने के लिए धन खर्च करता हो. साथ ही किसी जानवर, जहाज या अन्य वाहन या किसी अन्य संसाधन से आपूर्ति करता हो. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की अधीन कोई दंडकर्ता हो. इसके साथ ही स्वयं या किसी गिरोह के सदस्य के रूप में अवैध और अनधिकृत रूप से धमकी देकर, गैर कानूनी तरीके से किसी की भूमि या भवन या अन्य संपत्ति पर कब्जा करता हो या कब्जे का प्रयास करता हो, उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए जिला दंडाधिकारियों को अधिकार दिए गए हैं. बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 में अपराधियों-असमाजिक तत्वों को निष्कासित करने का अधिकार जिला दंडाधिकारी( DM)को दिया गया है.
जिला दंडाधिकारी की बढ़ी ताकत : इस अधिनियम के तहत कार्रवाई प्रारंभ होने से ठीक पहले 24 महीना के दौरान इन अपराधों के लिए न्यायालय में उनके विरुद्ध कम से कम दो मामलों में पुलिस चार्जशीट में संलिप्त दिखाई गई हो. जिलाधिकारी को लगता है कि कोई व्यक्ति या असामाजिक तत्व जिससे जिले या उसके किसी भाग में या फिर राज्य के किसी भाग में उसकी गतिविधि से संपत्ति को खतरा महसूस हो रहा है या हानि होने की संभावना दिख रही है. जिलाधिकारी को लगता हो कि बिना इसको यहां से हटाए हुए शांति स्थापित नहीं हो सकती है, तब उस व्यक्ति से इस संबंध में स्पष्टीकरण पूछा जाएगा. उस असामाजिक तत्व को परामर्श लेने और बचाव करने का अधिकार होगा. वह अपने स्पष्टीकरण में साक्ष्य को प्रस्तुत कर सकता है. स्पष्टीकरण के बाद भी अगर जिलाधिकारी को यह लगता है कि वह व्यक्ति या असामाजिक तत्व शांति भंग कर सकता है, तब उसे जिले में या एक सीमित भाग में या राज्य के किसी भाग में तब तक प्रवेश न करने का आदेश दिया जा सकेगा जब तक की 6 महीने से अधिक की अवधि बीत न जाए.
2 साल तक तड़ीपार करने का प्रावधान : साथ ही उस व्यक्ति से यह भी अपेक्षा होगी कि वह अपनी गतिविधि को सूचित करें या जिसके समक्ष उपस्थित हो जो आदेश दिया गया है, वह करें. इस अवधि में जिलाधिकारी उस व्यक्ति को अस्थाई रूप से लौटने का आदेश भी दे सकते हैं. साथ ही बाहर जाने के आदेश को किसी भी समय रद्द भी किया जा सकता है . जिलाधिकारी काल अवधि का विस्तार भी कर सकते हैं. जब उन्हें लगे कि उस व्यक्ति के आने से शांति भंग हो सकती है, तब काल अवधि विस्तारित की जा सकती है. कुल मिलाकर 2 वर्षों से अधिक तक किसी को बाहर नहीं रख सकते हैं.
15 दिन के अंदर अपील करने का प्रावधान : इसमें यह प्रावधान किया गया है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ आदेश पारित किया गया है वह आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर कमिश्नर के पास अपील कर सकेगा. कमिश्नर उस आदेश को समीक्षा करेंगे. वे निपटारा भी कर सकते हैं या स्थगित भी किया जा सकता है. जैसा कमिश्नर उचित समझेंगे वैसा निर्णय लेंगे. कुछ स्थिति में जुर्माने की राशि भी अदा कराई जा सकती है. जिला दंडाधिकारी या आयुक्त किसी भी समय धारा-3 के अधीन दिए गए आदेश को खत्म कर सकते हैं. आदेश के उल्लंघन करने पर सामाजिक तत्वों को बलपूर्वक निष्कासित भी किया जा सकता है.
'बदली परिस्थिति में आया नया कानून' : अगर आदेश देने के बाद भी वह व्यक्ति जिला या उसे क्षेत्र से बाहर नहीं जाता है तो जबरन हटाया जाएगा. जिला दंडाधिकारी उसे गिरफ्तार करवा कर पुलिस की अभिरक्षा में उसे बाहर स्थान पर भेज सकते हैं. पुलिस अधिकारी उप धारा-1 के तहत किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकेगी और गिरफ्तार व्यक्ति को निकटतम कार्यपालक दंडाधिकारी के पास उपस्थित करेगी, जहां से उसे जिला दंडाधिकारी के पास ले जाया जाएगा जो उस व्यक्ति को हिरासत में निरोध कर सकता है. जिसकी अवधि 3 महीने से अधिक कि नहीं होगी. प्रभारी मंत्री बिजेंद्र यादव ने साफ कर दिया है कि 43 साल पहले जो कानून था उससे वर्तमान बदली हुई परिस्थितियों में प्रभावी नहीं रह गया था. इसलिए नया कानून लाया गया है
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