भोपाल। ऊर्दू अदब के शहर भोपाल से शायरों ने भगवान राम के लिए पैगाम भेजा है. अल्फाज़ों की अकीदत पेश की है. राम को गज़लों में पिरोया है. नज़्मों में गाया है. राम ही राम..इस जलसे में एमपी समेत हिंदुस्तान के जाने माने शायरों ने अपने अपने अंदाज़ में अयोध्या भेजा है अपना नज़राना. कहीं चित्रकूट में गुजरे साढ़े ग्यारह साल का ज़िक्र हैं तो कहीं राम के त्याग की कहानी और बयानी कि इमाम ए हिंद श्री राम हैं सभी के लिए. भला सभी का हुआ राम जी की किरपा से.न्याय की खातिर गुज़ारा जानकी को आग से सच की खातिर कर दिए अपने पराए राम ने. देश में पहली बार जाने माने उर्दू के गज़लकारो ने सिर्फ और सिर्फ राम पर पर लिखे कलाम पढ़े.
ऊर्दू गज़लकारों की नजर में राम
यूं भोपाल में उर्दू अदब की महफिलें सजती ही रहती हैं.ये भोपाल ही नहीं पूरे मुल्क में पहला मौका था कि जब उर्दू अदब के किसी कार्यक्रम में केवल राम का बखान था.राम के किस्से और राम का ही नाम था.उर्दू शायरों की संस्था हम एक हैं ने 'राम ही राम' नाम से ये आयोजन किया. जिसमें हर शायर के सामने शर्त थी कि उसे सिर्फ राम पर लिखा हुआ अपना कलाम पढ़ना है.
पढ़िए जाने-माने शायरों के कलाम में राम ही राम
मशहूर शायर अंजूम बाराबंकी कहते हैं...
.इस अकीदत से लिखा जाए सरापा राम का
सुनने वाला खुद सुने आकर कसीदा राम का
जब करिश्मे देखना चाहो तो जाओ चित्रकूट
तुमको हर पर्वत दिखाएगा करिश्मा राम का...सा
ढे ग्यारह साल गुजरे हैं यही पर राम के...
एक इक रास्ता बताएगा सलीका राम का...
और फिर मंदाकिनी के घाट पर जाना जरुर...
वो बताएगी तुम्हे धरती पे जलवा राम का...
थोड़े थोड़े फर्क से थोड़ी सी तब्दीली के साथ
हर तरफ चलने लगा है अब तो सिक्का राम का.
मैं तो सौ सौ बार अपने आंसूओँ से लिख चुका
सारी दुनिया राम की सारा ज़माना राम का
मंज़र भोपाली तरन्नुम कहते हैं...
चमन में फूल खिला राम जी की किरपा से
चराग़ बुझके जला राम जी की किरपा से
मिला है देश को सम्मान राम नाम के साथ
ये सर बलंद हुआ राम जी की किरपा से
ये इत्तेहाद हमारा ये प्यार आपस का
बना रहेगा सदा राम जी की किरपा से
इमाम ए हिंद श्री राम हैं सभी के लिए
भला सभी का हुआ राम जी की किरपा से
वतन का आज भी और आने वाला कल मंज़र
सुकूं से होगा भरा राम जी की किरपा से
शायर और पत्रकार महताब आलम कहते हैं...
दहर का हर एक लम्हा हर ज़माना राम का
गा रही है हिंद की हर शै तराना राम का
चार लफ्ज़ों में बयां क्यों कर करें तारीख ए हिंद
चार लफ्ज़ों में कहें क्यों कर फसाना राम का
मशहूर शायर ज़फर साहब कहते हैं...
ज़ात ओ गुरबत के सभी झगड़े मिटाए राम ने
इसलिए शबरी के झूठे बेर खाए राम ने
दिल सभी के रख लिए सत्ता को ठोकर मार कर
ले के ये वनवास कितने ऋण चुकाए राम ने
न्याय की खातिर गुज़ारा जानकी को आग से
सच की खातिर कर दिए अपने पराए राम ने
राम के किरदार से हिंदोस्ता रोशन हुआ
वक्त के सारे अंधेरे जगमगाए राम ने
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देश में पहली बार आयोजन
ये आयोजन भले ही भोपाल में हुआ लेकिन पूरे देश में पहला मौका था जब किसी कार्यक्रम में केवल और केवल राम के नाम का बखान था. उर्दू शायरों की संस्था हम एक हैं ने राम ही राम नाम से ये आयोजन किया.