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चंबल की खोज! 12वीं के छात्र ने बनाई ऐसी डिवाइस, दुनिया में बज गया डंका - Bhind Boy Deepak Verma

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

बागी बीहड़ और बंदूक वाले चंबल में भिंड के सपूत ने अंचल और प्रदेश का नाम रोशन किया है. छात्र दीपक वर्मा ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो ज्यादा पास से मोबाइल देखने पर होने वाली विजन प्रॉब्लम से बच्चों को बचाएगी. भारत सरकार के इंस्पायर अवार्ड 2022-23 में दीपक को इस इनोवेशन के लिए देश में प्रथम स्थान मिला है.

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भिंड: जब भी लोगों की जुबान पर चंबल का नाम आता है तो ख्यालों में बीहड़ बागी और बंदूक की तस्वीर आ ही जाती है. कई दशकों तक दस्यु समस्या झेल चुका चंबल अब बदल रहा है और इसे बदलने में इस क्षेत्र के लोगों की अहम भूमिका है. युवा खिलाड़ी हों या छात्र, नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. चंबल की पूजा ओझा ने तो पेरिस पैरालंपिक में सेमीफाइनल खेल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है और अब भिंड जिले के उदोतगढ़ में रहने वाले बारहवीं के छात्र दीपक वर्मा ने अपने आविष्कार से देश भर में सुर्खियां बटोरी हैं. उन्होंने एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जो बच्चों की आंखें मोबाइल फोन से खराब होने से बचाएगा.

बच्चों की दृष्टि पर असर डालता है मोबाइल स्क्रीन
अटेर के उदोतगढ़ उत्कृष्ट विद्यालय के छात्र दीपक वर्मा ने न सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है बल्कि पूरे मध्य प्रदेश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है. क्योंकि उन्होंने ऐसी एक डिवाइस का प्रोटोटाइप तैयार किया है जिसके जरिए यदि कोई ज्यादा पास से मोबाइल फोन देखता है तो मोबाइल फोन की स्क्रीन अपने आप बंद हो जाती है. इसका एक बड़ा फायदा आज की चाइल्ड जनरेशन को मिलेगा, क्योंकि ज्यादातर बच्चों में यह देखने को मिलता है कि वह वीडियो या कार्टून देखने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं और छोटे-छोटे बच्चे अत्यधिक पास से मोबाइल फोन की स्क्रीन देखते हैं. इसकी वजह से उनको छोटी उम्र में ही दृष्टि संबंधित समस्याएं होने लगती हैं. लेकिन दीपक के द्वारा तैयार किया गया 'सेफ विजन डिस्टेंस सेंसर इन मोबाइल डिवाइस' बच्चों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगा.

12वीं के छात्र ने बनाई विजन प्रॉब्लम से बचाने वाली डिवाइस (ETV Bharat)

आंखों के ज्यादा पास आया मोबाइल तो बंद हो जाएगी स्क्रीन
इस अनोखी डिवाइस को तैयार करने वाले 12वीं के छात्र दीपक वर्मा ने बताया कि, ''2 साल पहले जब वे दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे तब उन्होंने अपना फर्स्ट प्रोटोटाइप बनाया था और पिछले दो सालों में इस पर और काम कर इसे बेहतर और कंपैक्ट बनाया गया.'' दीपक वर्मा ने बताया कि, ''इस डिवाइस में दो सेंसर का उपयोग किया गया है जो मोबाइल फोन से अटैच होते हैं. जब कोई स्क्रीन ज्यादा नजदीक से देखा है तो यह सेंसर उसे देखकर अलार्म बजाते हैं करीब 10 सेकंड के अलार्म के दौरान यदि फोन स्क्रीन आंखों से दूर कर ली जाए तो यह अलार्म बंद हो जाते हैं. लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता तो 10 सेकंड बाद खुद ब खुद स्क्रीन बंद हो जाती है.''

Bhind Boy Deepak Verma
आंखों को सुरक्षित रखने वाली डिवाइस (ETV Bharat)

छोटी बहन को हो रही समस्या देख कर आया आइडिया
दीपक को यह डिवाइस बनाने का आइडिया उसे वक्त आया जब उसने अपनी छोटी बहन को मोबाइल फोन की वजह से हो रही विजन प्रॉब्लम पर गौर किया. उसकी छोटी बहन अक्सर मोबाइल देखा करती थी और इसकी वजह से उसे आंखों की परेशानियां शुरू हो गई थीं. इसके बाद उसने अपने स्कूल के साइंस टीचर से इस बारे में बात की और उनके गाइडेंस में इस आई सेफ्टी प्रोटोटाइप पर काम शुरू किया, क्योंकि उनके शिक्षक ने उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया कि अगर कुछ बेहतर करना है तो आम लोगों के लिए ऐसा कुछ बनाऊं जो सभी को फायदा दे.

आंखों से स्क्रीन की दूरी 35 सेंमी से कम होते ही बचता है अलार्म
अक्टूबर 2022 में पहला प्रोटोटाइप बनकर तैयार हो गया. इस दौरान भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इंस्पायर अवार्ड योजना के लिए छात्रों के आइडिया कलेक्ट किए जा रहे थे, जिसमें अपने विज्ञान शिक्षक मनोज कुमार कौशल के कहने पर दीपक ने भी अपना प्रोटोटाइप सबमिट किया था. इस डिवाइस की खास बात यह है कि आमतौर पर विज्ञान की भाषा में मोबाइल स्क्रीन और आंखों के बीच कम से कम सुरक्षित दूरी 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए. ऐसे में यह डिवाइस इस तरह कोड किया गया है, कि इसे लगाने के बाद आंखों और मोबाइल की स्क्रीन के बीच की दूरी कम से कम 35 सेंटीमीटर होनी चाहिए. इससे कम होने पर यह डिवाइस अपना काम करना शुरू कर देता है.

Inspire Award Manak Yojana
छात्र दीपक वर्मा को मिला अवार्ड (ETV Bharat)

डेढ़ हजार रुपया के खर्च में तैयार हुआ प्रोटोटाइप
दीपक के गाइड और विज्ञान शिक्षक मनोज कुमार कौशल ने बताया कि, ''दीपक की मेहनत और लगन को देखते हुए उन्होंने इस प्रोटोटाइप पर काफी काम किया. कोडिंग और सेंसर की मदद से यह प्रोटोटाइप बनकर तैयार हो गया, जिसमें महज ₹1500 का खर्चा आया. वर्ष 2023 में दीपक का सेफ विजन सेंसर इन मोबाइल डिवाइस प्रोटोटाइप जिला स्तर पर सिलेक्ट हो गया. इसके बाद उसे और बेहतर बनाने के लिए शासन ने ₹10000 की राशि डीबीटी योजना से दी.''

इन्स्पायर अवार्ड में अव्वल आया दीपक का प्रोटोटाइप
दीपक के गाइड मनोज कुमार कौशल के मुताबिक, जनवरी 2024 में पहले से इंप्रूवमेंट कर तैयार किया गया प्रोटोटाइप संभाग स्तर पर भी चयनित हुआ. इसके बाद इसे प्रदेश स्तर और फिर राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित किया गया और यह दीपक का अनोखा आइडिया और मेहनत थी कि वर्ष 2022-23 के इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए 49772 विद्यार्थियों द्वारा सबमिट किए गए. आइडियाज में जगह मिली स्टेट लेवल पर इन छात्रों में से 350 छात्रों का चयन किया गया, जिनमें से मध्य प्रदेश के तीन छात्रों समेत कुल 31 छात्रों को नेशनल अवार्ड के लिए चयनित किया गया. आखिर में दीपक का प्रोटोटाइप मॉडल सेफ विजन डिस्टेंस सेंसर इन स्मार्टफोन सबसे बेहतर साबित हुआ और उसे प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया.

Inspire Award Manak Yojana
अवार्ड के साथ छात्र दीपक वर्मा (ETV Bharat)

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जल्द विदेश में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
दीपक के शिक्षक मनोज ने बताया कि, ''दीपक का चयन अब अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के लिए भी हो गया है और जल्द ही वह जापान या इंडोनेशिया में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा सकते हैं. अब तक डेस्टिनेशन फाइनल नहीं हुआ है लेकिन बाहर जाना तय हो चुका है.''

पेटेंट कराने पर चल रहा विचार
साइंस टीचर मनोज कुमार की मानें तो दीपक की इस टेक्नोलॉजी और प्रोटोटाइप को 2 साल में इंप्रूवमेंट के साथ कंपैक्ट कर इतना छोटा बना दिया गया है कि उसे मोबाइल फोन से अटैच किया जा सकता है. आने वाले समय में मोबाइल कंपनियां इस सिस्टम को अपने मोबाइल फोन में भी इनबिल्ट कर लोगों को बेहतर आई सेफ्टी फीचर के तौर पर उपलब्ध करा सकती हैं. हालांकि फिलहाल दीपक इस प्रोटोटाइप को पेटेंट कराने की प्रक्रिया में व्यस्त है.

भिंड: जब भी लोगों की जुबान पर चंबल का नाम आता है तो ख्यालों में बीहड़ बागी और बंदूक की तस्वीर आ ही जाती है. कई दशकों तक दस्यु समस्या झेल चुका चंबल अब बदल रहा है और इसे बदलने में इस क्षेत्र के लोगों की अहम भूमिका है. युवा खिलाड़ी हों या छात्र, नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. चंबल की पूजा ओझा ने तो पेरिस पैरालंपिक में सेमीफाइनल खेल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है और अब भिंड जिले के उदोतगढ़ में रहने वाले बारहवीं के छात्र दीपक वर्मा ने अपने आविष्कार से देश भर में सुर्खियां बटोरी हैं. उन्होंने एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जो बच्चों की आंखें मोबाइल फोन से खराब होने से बचाएगा.

बच्चों की दृष्टि पर असर डालता है मोबाइल स्क्रीन
अटेर के उदोतगढ़ उत्कृष्ट विद्यालय के छात्र दीपक वर्मा ने न सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है बल्कि पूरे मध्य प्रदेश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है. क्योंकि उन्होंने ऐसी एक डिवाइस का प्रोटोटाइप तैयार किया है जिसके जरिए यदि कोई ज्यादा पास से मोबाइल फोन देखता है तो मोबाइल फोन की स्क्रीन अपने आप बंद हो जाती है. इसका एक बड़ा फायदा आज की चाइल्ड जनरेशन को मिलेगा, क्योंकि ज्यादातर बच्चों में यह देखने को मिलता है कि वह वीडियो या कार्टून देखने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं और छोटे-छोटे बच्चे अत्यधिक पास से मोबाइल फोन की स्क्रीन देखते हैं. इसकी वजह से उनको छोटी उम्र में ही दृष्टि संबंधित समस्याएं होने लगती हैं. लेकिन दीपक के द्वारा तैयार किया गया 'सेफ विजन डिस्टेंस सेंसर इन मोबाइल डिवाइस' बच्चों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगा.

12वीं के छात्र ने बनाई विजन प्रॉब्लम से बचाने वाली डिवाइस (ETV Bharat)

आंखों के ज्यादा पास आया मोबाइल तो बंद हो जाएगी स्क्रीन
इस अनोखी डिवाइस को तैयार करने वाले 12वीं के छात्र दीपक वर्मा ने बताया कि, ''2 साल पहले जब वे दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे तब उन्होंने अपना फर्स्ट प्रोटोटाइप बनाया था और पिछले दो सालों में इस पर और काम कर इसे बेहतर और कंपैक्ट बनाया गया.'' दीपक वर्मा ने बताया कि, ''इस डिवाइस में दो सेंसर का उपयोग किया गया है जो मोबाइल फोन से अटैच होते हैं. जब कोई स्क्रीन ज्यादा नजदीक से देखा है तो यह सेंसर उसे देखकर अलार्म बजाते हैं करीब 10 सेकंड के अलार्म के दौरान यदि फोन स्क्रीन आंखों से दूर कर ली जाए तो यह अलार्म बंद हो जाते हैं. लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता तो 10 सेकंड बाद खुद ब खुद स्क्रीन बंद हो जाती है.''

Bhind Boy Deepak Verma
आंखों को सुरक्षित रखने वाली डिवाइस (ETV Bharat)

छोटी बहन को हो रही समस्या देख कर आया आइडिया
दीपक को यह डिवाइस बनाने का आइडिया उसे वक्त आया जब उसने अपनी छोटी बहन को मोबाइल फोन की वजह से हो रही विजन प्रॉब्लम पर गौर किया. उसकी छोटी बहन अक्सर मोबाइल देखा करती थी और इसकी वजह से उसे आंखों की परेशानियां शुरू हो गई थीं. इसके बाद उसने अपने स्कूल के साइंस टीचर से इस बारे में बात की और उनके गाइडेंस में इस आई सेफ्टी प्रोटोटाइप पर काम शुरू किया, क्योंकि उनके शिक्षक ने उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया कि अगर कुछ बेहतर करना है तो आम लोगों के लिए ऐसा कुछ बनाऊं जो सभी को फायदा दे.

आंखों से स्क्रीन की दूरी 35 सेंमी से कम होते ही बचता है अलार्म
अक्टूबर 2022 में पहला प्रोटोटाइप बनकर तैयार हो गया. इस दौरान भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इंस्पायर अवार्ड योजना के लिए छात्रों के आइडिया कलेक्ट किए जा रहे थे, जिसमें अपने विज्ञान शिक्षक मनोज कुमार कौशल के कहने पर दीपक ने भी अपना प्रोटोटाइप सबमिट किया था. इस डिवाइस की खास बात यह है कि आमतौर पर विज्ञान की भाषा में मोबाइल स्क्रीन और आंखों के बीच कम से कम सुरक्षित दूरी 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए. ऐसे में यह डिवाइस इस तरह कोड किया गया है, कि इसे लगाने के बाद आंखों और मोबाइल की स्क्रीन के बीच की दूरी कम से कम 35 सेंटीमीटर होनी चाहिए. इससे कम होने पर यह डिवाइस अपना काम करना शुरू कर देता है.

Inspire Award Manak Yojana
छात्र दीपक वर्मा को मिला अवार्ड (ETV Bharat)

डेढ़ हजार रुपया के खर्च में तैयार हुआ प्रोटोटाइप
दीपक के गाइड और विज्ञान शिक्षक मनोज कुमार कौशल ने बताया कि, ''दीपक की मेहनत और लगन को देखते हुए उन्होंने इस प्रोटोटाइप पर काफी काम किया. कोडिंग और सेंसर की मदद से यह प्रोटोटाइप बनकर तैयार हो गया, जिसमें महज ₹1500 का खर्चा आया. वर्ष 2023 में दीपक का सेफ विजन सेंसर इन मोबाइल डिवाइस प्रोटोटाइप जिला स्तर पर सिलेक्ट हो गया. इसके बाद उसे और बेहतर बनाने के लिए शासन ने ₹10000 की राशि डीबीटी योजना से दी.''

इन्स्पायर अवार्ड में अव्वल आया दीपक का प्रोटोटाइप
दीपक के गाइड मनोज कुमार कौशल के मुताबिक, जनवरी 2024 में पहले से इंप्रूवमेंट कर तैयार किया गया प्रोटोटाइप संभाग स्तर पर भी चयनित हुआ. इसके बाद इसे प्रदेश स्तर और फिर राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित किया गया और यह दीपक का अनोखा आइडिया और मेहनत थी कि वर्ष 2022-23 के इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए 49772 विद्यार्थियों द्वारा सबमिट किए गए. आइडियाज में जगह मिली स्टेट लेवल पर इन छात्रों में से 350 छात्रों का चयन किया गया, जिनमें से मध्य प्रदेश के तीन छात्रों समेत कुल 31 छात्रों को नेशनल अवार्ड के लिए चयनित किया गया. आखिर में दीपक का प्रोटोटाइप मॉडल सेफ विजन डिस्टेंस सेंसर इन स्मार्टफोन सबसे बेहतर साबित हुआ और उसे प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया.

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पेटेंट कराने पर चल रहा विचार
साइंस टीचर मनोज कुमार की मानें तो दीपक की इस टेक्नोलॉजी और प्रोटोटाइप को 2 साल में इंप्रूवमेंट के साथ कंपैक्ट कर इतना छोटा बना दिया गया है कि उसे मोबाइल फोन से अटैच किया जा सकता है. आने वाले समय में मोबाइल कंपनियां इस सिस्टम को अपने मोबाइल फोन में भी इनबिल्ट कर लोगों को बेहतर आई सेफ्टी फीचर के तौर पर उपलब्ध करा सकती हैं. हालांकि फिलहाल दीपक इस प्रोटोटाइप को पेटेंट कराने की प्रक्रिया में व्यस्त है.

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