ETV Bharat / bharat

अतुल सुभाष की आत्महत्या पर फूटा गुस्सा, एक्टिविस्ट बोलीं- सिर्फ लड़कियों की होती है सुनवाई

ATUL SUBHASH SUICIDE: मृतक ने सुसाइड नोट में लिखा कि न्याय मिल जाए तो अस्थियां गंगा में नहीं तो कोर्ट के बाहर गटर में प्रवाहित कर देना.

BENGALURU TECHIE SUICIDE
अतुल सुभाष द्वारा आत्महत्या से पहले रिकॉर्ड किए गए वीडियो का स्क्रीनशॉट (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 6 hours ago

Updated : 4 hours ago

बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक 34 साल के इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपने घर पर सुसाइड कर लिया. जानकारी के मुताबिक वह उत्तर प्रदेश के निवासी था. अतुल ने सुसाइड करने से पहले 24 पेज का एक नोट भी छोड़ा है, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके परिवारवालों पर प्रताड़ना के आरोप और झूठे मुकदमे का आरोप लगाया है.

अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं पैसे देने से मना करता हूं और मैं मौत को गले लगाता हूं क्योंकि मैं यह नहीं चाहता कि मेरे विरोधी इन पैसों का प्रयोग मेरे परिजनों को परेशान करने के लिए करें. उसने आगे लिखा कि कोर्ट के बाहर गटर में उसकी अस्थियों को बहा दिया जाए. इससे न्याय प्रक्रिया सुर्खियों में आ गई है. पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और आगे की जांच में जुट गई है.

मृतक के भाई विकास कुमार ने बताया कि मेरे भाई की पत्नी के अलग होने के करीब 8 महीने बाद उसने तलाक का केस दायर किया और मेरे भाई और हमारे पूरे परिवार पर अलग-अलग धाराओं के तहत कई आरोप लगाए. भारत में हर कानून महिलाओं के लिए है, पुरुषों के लिए नहीं - मेरे भाई ने इसके लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन वह हमें छोड़कर चला गया. यहां तक ​​कि उसने अपने सुसाइड नोट में भी लिखा है कि अगर मैं सिस्टम से जीत गया तो मेरी अस्थियां गंगा में प्रवाहित कर देना, नहीं तो कोर्ट के बाहर किसी नाले में प्रवाहित कर देना.

विकास ने आगे कहा कि मेरे भाई ने उसके लिए सब कुछ किया. जो कुछ भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था. अगर उसने कभी मुझसे या हमारे पिता से इस बारे में बात की होती तो हम उसे इस स्थिति से बाहर निकालने में मदद करते. मैं भारत सरकार और राष्ट्रपति से अनुरोध करना चाहता हूं कि अगर वह सत्य के साथ है तो मेरे भाई को न्याय मिलना चाहिए अन्यथा मुझे यह साबित करने के लिए सबूत दें कि वह गलत है. मेरे भाई के सुसाइड नोट में जिस जज का नाम है, उसके खिलाफ उचित जांच होनी चाहिए.

बता दें, पुलिस ने इस केस के बारे में बताया कि होयसला पुलिस कंट्रोल रूम में सोमवार सुबह 6 बजे आत्महत्या के बारे में कॉल आई. पुलिस के अनुसार, मृतक की पहचान अतुल सुभाष के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश का निवासी था और बेंगलुरु में रह रहा था. पुलिस ने बताया कि उसके फ्लैट में कोई हलचल नहीं हो रही थी इस वजह से पड़ोसियों ने इसकी जानकारी दी. इसके बाद पुलिस ने दरवाजा तोड़ा और अंदर गई तो देखा कि फंदे से उसका शव लटका रहा था. पुलिस ने बताया कि उन्हें एक तख्ती भी मिली, जिस पर लिखा था, 'न्याय मिलना चाहिए.'

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और सुभाष के भाई विकास कुमार को फोन करके घटना की जानकारी दी. बाद में विकास ने सुभाष की पत्नी, उसकी सास, उसके साले और उसकी पत्नी के चाचा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने सुभाष के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई और समझौते के लिए 3 करोड़ रुपये मांगे.

शिकायत में कुमार ने कहा कि झूठी शिकायत और उसके बाद की घटनाओं, जिसमें बड़ी रकम की मांग भी शामिल है, ने सुभाष को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया, जिससे आखिरकार उसे यह घातक कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. पुलिस ने कहा कि सुभाष ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक प्रमुख पारिवारिक न्यायालय के एक अधिकारी पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया.

इसके अलावा अतुल सुभाष ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर एक वीडियो का एक लिंक भी शेयर किया और इसके सीईओ एलन मस्क और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को टैग करते हुए लिखा कि जब आप इसे पढ़ेंगे, तब तक मैं मर चुका होऊंगा. भारत में वर्तमान में पुरुषों का कानूनी नरसंहार हो रहा है. एक मृत व्यक्ति एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप से लाखों लोगों की जान बचाने, गर्भपात, डीईआई से बचाने और भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बहाल करने का अनुरोध कर रहा है.

मृतक के पिता ने दिया बयान
वहीं, मृतक अतुल सुभाष के पिता पवन कुमार ने 'मध्यस्थता न्यायालय' पर कानून के अनुसार काम न करने का आरोप लगाया और बताया कि किस तरह से उनके बेटे को न्यायालय द्वारा परेशान किया गया. पिता ने बताया कि पत्नी द्वारा दायर मामलों के कारण उसे बार-बार जौनपुर न्यायालय में बुलाया जाता था. पिता ने बताया कि पत्नी द्वारा दायर मामलों के कारण सुभाष कम से कम 40 बार बेंगलुरू से जौनपुर आया था. अपनी बहू के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह एक के बाद एक आरोप लगाती रहती थी.

एडवोकेट आभा सिंह ने की टिप्पणी
मामले की गंभीरता पर टिप्पणी करते हुए मुंबई की वकील आभा सिंह ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि यह मामला कानून के घोर दुरुपयोग को उजागर करता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि दहेज कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए.

वहीं, इस मामले पर पुरुष अधिकार कार्यकर्ता बरखा त्रेहन ने कहा कि अतुल सुभाष पहले व्यक्ति नहीं हैं, ऐसे लाखों पुरुष मर चुके हैं. 34 वर्षीय अतुल सुभाष को मजबूर किया गया, सिस्टम विफल हो गया है. सिस्टम में बहुत पक्षपात है, केवल महिलाओं की बात सुनी जाती है, पुरुषों की नहीं. पुरुषों को प्रताड़ित किया जाता है और धमकाया जाता है. (आईपीसी) धारा 498 के तहत जानबूझकर पुरुषों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि इनमें से 95% मामले फर्जी हैं. महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक 34 साल के इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपने घर पर सुसाइड कर लिया. जानकारी के मुताबिक वह उत्तर प्रदेश के निवासी था. अतुल ने सुसाइड करने से पहले 24 पेज का एक नोट भी छोड़ा है, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके परिवारवालों पर प्रताड़ना के आरोप और झूठे मुकदमे का आरोप लगाया है.

अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं पैसे देने से मना करता हूं और मैं मौत को गले लगाता हूं क्योंकि मैं यह नहीं चाहता कि मेरे विरोधी इन पैसों का प्रयोग मेरे परिजनों को परेशान करने के लिए करें. उसने आगे लिखा कि कोर्ट के बाहर गटर में उसकी अस्थियों को बहा दिया जाए. इससे न्याय प्रक्रिया सुर्खियों में आ गई है. पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और आगे की जांच में जुट गई है.

मृतक के भाई विकास कुमार ने बताया कि मेरे भाई की पत्नी के अलग होने के करीब 8 महीने बाद उसने तलाक का केस दायर किया और मेरे भाई और हमारे पूरे परिवार पर अलग-अलग धाराओं के तहत कई आरोप लगाए. भारत में हर कानून महिलाओं के लिए है, पुरुषों के लिए नहीं - मेरे भाई ने इसके लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन वह हमें छोड़कर चला गया. यहां तक ​​कि उसने अपने सुसाइड नोट में भी लिखा है कि अगर मैं सिस्टम से जीत गया तो मेरी अस्थियां गंगा में प्रवाहित कर देना, नहीं तो कोर्ट के बाहर किसी नाले में प्रवाहित कर देना.

विकास ने आगे कहा कि मेरे भाई ने उसके लिए सब कुछ किया. जो कुछ भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था. अगर उसने कभी मुझसे या हमारे पिता से इस बारे में बात की होती तो हम उसे इस स्थिति से बाहर निकालने में मदद करते. मैं भारत सरकार और राष्ट्रपति से अनुरोध करना चाहता हूं कि अगर वह सत्य के साथ है तो मेरे भाई को न्याय मिलना चाहिए अन्यथा मुझे यह साबित करने के लिए सबूत दें कि वह गलत है. मेरे भाई के सुसाइड नोट में जिस जज का नाम है, उसके खिलाफ उचित जांच होनी चाहिए.

बता दें, पुलिस ने इस केस के बारे में बताया कि होयसला पुलिस कंट्रोल रूम में सोमवार सुबह 6 बजे आत्महत्या के बारे में कॉल आई. पुलिस के अनुसार, मृतक की पहचान अतुल सुभाष के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश का निवासी था और बेंगलुरु में रह रहा था. पुलिस ने बताया कि उसके फ्लैट में कोई हलचल नहीं हो रही थी इस वजह से पड़ोसियों ने इसकी जानकारी दी. इसके बाद पुलिस ने दरवाजा तोड़ा और अंदर गई तो देखा कि फंदे से उसका शव लटका रहा था. पुलिस ने बताया कि उन्हें एक तख्ती भी मिली, जिस पर लिखा था, 'न्याय मिलना चाहिए.'

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और सुभाष के भाई विकास कुमार को फोन करके घटना की जानकारी दी. बाद में विकास ने सुभाष की पत्नी, उसकी सास, उसके साले और उसकी पत्नी के चाचा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने सुभाष के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई और समझौते के लिए 3 करोड़ रुपये मांगे.

शिकायत में कुमार ने कहा कि झूठी शिकायत और उसके बाद की घटनाओं, जिसमें बड़ी रकम की मांग भी शामिल है, ने सुभाष को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया, जिससे आखिरकार उसे यह घातक कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. पुलिस ने कहा कि सुभाष ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक प्रमुख पारिवारिक न्यायालय के एक अधिकारी पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया.

इसके अलावा अतुल सुभाष ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर एक वीडियो का एक लिंक भी शेयर किया और इसके सीईओ एलन मस्क और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को टैग करते हुए लिखा कि जब आप इसे पढ़ेंगे, तब तक मैं मर चुका होऊंगा. भारत में वर्तमान में पुरुषों का कानूनी नरसंहार हो रहा है. एक मृत व्यक्ति एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप से लाखों लोगों की जान बचाने, गर्भपात, डीईआई से बचाने और भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बहाल करने का अनुरोध कर रहा है.

मृतक के पिता ने दिया बयान
वहीं, मृतक अतुल सुभाष के पिता पवन कुमार ने 'मध्यस्थता न्यायालय' पर कानून के अनुसार काम न करने का आरोप लगाया और बताया कि किस तरह से उनके बेटे को न्यायालय द्वारा परेशान किया गया. पिता ने बताया कि पत्नी द्वारा दायर मामलों के कारण उसे बार-बार जौनपुर न्यायालय में बुलाया जाता था. पिता ने बताया कि पत्नी द्वारा दायर मामलों के कारण सुभाष कम से कम 40 बार बेंगलुरू से जौनपुर आया था. अपनी बहू के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह एक के बाद एक आरोप लगाती रहती थी.

एडवोकेट आभा सिंह ने की टिप्पणी
मामले की गंभीरता पर टिप्पणी करते हुए मुंबई की वकील आभा सिंह ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि यह मामला कानून के घोर दुरुपयोग को उजागर करता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि दहेज कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए.

वहीं, इस मामले पर पुरुष अधिकार कार्यकर्ता बरखा त्रेहन ने कहा कि अतुल सुभाष पहले व्यक्ति नहीं हैं, ऐसे लाखों पुरुष मर चुके हैं. 34 वर्षीय अतुल सुभाष को मजबूर किया गया, सिस्टम विफल हो गया है. सिस्टम में बहुत पक्षपात है, केवल महिलाओं की बात सुनी जाती है, पुरुषों की नहीं. पुरुषों को प्रताड़ित किया जाता है और धमकाया जाता है. (आईपीसी) धारा 498 के तहत जानबूझकर पुरुषों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि इनमें से 95% मामले फर्जी हैं. महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

Last Updated : 4 hours ago
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.