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प्रज्वल रेवन्ना कांड: पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा और कुमारस्वामी को राहत, मीडिया रिपोर्टिंग पर लगी रोक - Prajwal Revanna Case - PRAJWAL REVANNA CASE

Prajwal Revanna Scandal: पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सांसद प्रज्वल रेवन्ना के अश्लील वीडियो मामले में अपने नाम घसीटे जाने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी. बेंगलुरु की अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मीडिया समूहों को दोनों नेताओं के खिलाफ बिना सबूत खबरें न प्रसारित करने का आदेश दिया है. पढ़ें पूरी खबर.

HD Deve Gowda-HD Kumaraswamy
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी (फाइल फोटो- ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 6, 2024, 8:41 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक की एक अदालत ने निलंबित जेडीएस के सांसद प्रज्वल रेवन्ना के यौन उत्पीड़न और अश्लील वीडियो मामले की मीडिया रिपोर्टिंग में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के नाम का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है. बेंगलुरु के 34वें सिटी सिविल और सेशन कोर्ट ने सोमवार को मीडिया समूहों को यह आदेश दिया. अदालत कुमारस्वामी और देवेगौड़ा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने अश्लील वीडियो मामले में दोनों नेताओं के खिलाफ बिना सबूत के झूठी खबरें न फैलाने का आदेश दिया है.

इसके अलावा, अदालत ने बिना सबूत के दोनों नेताओं की गरिमा और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली झूठी खबरें फैलाने के खिलाफ एक अस्थायी प्रतिबंध आदेश लगाया है. कोर्ट ने कहा कि खबर तभी प्रसारित की जा सकती है जब सच्चाई और उचित सबूत हों.

हासन लोकसभा सीट से एनडीए के उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना के कथित अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले में देवेगौड़ा के परिवार का नाम आने लगा. प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के पोते हैं. इस कारण पूरे परिवार का नाम मीडिया रिपोर्ट में घसीटा जाने लगा. इसके चलते दोनों नेताओं ने अपने नाम का इस्तेमाल रोकने के लिए सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

दोनों नेताओं ने याचिका में क्या कहा
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि उनके परिवार को सांसद प्रज्वल रेवन्ना के कथित अश्लील वीडियो कांड और एचडी रेवन्ना के खिलाफ एक महिला के कथित अपहरण की मीडिया कवरेज में घसीटा गया है. सरकार ने इस संबंध में एसआईटी जांच टीम गठित की है और मामले की जांच चल रही है. लेकिन उनके परिवार के सदस्यों की फोटो मॉर्फिंग, तस्वीरें और वीडियो का इस्तेमाल सोशल मीडिया, अखबारों और विजुअल मीडिया में किया जा रहा है. इसके जरिए हमें इस मामले में फंसाने की कोशिश की जा रही है. इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है. इस तरह की बदनामी से उनके परिवार की गरिमा और राजनीतिक भविष्य को खतरा है. उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए अनुरोध किया कि मीडिया को इस मामले से जुड़ी खबरें प्रसारित करने और प्रकाशित करने से रोका जाए.

ये भी पढ़ें- प्रज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल में वीडियो शेयर करने को लेकर एसआईटी ने जारी की चेतावनी

बेंगलुरु: कर्नाटक की एक अदालत ने निलंबित जेडीएस के सांसद प्रज्वल रेवन्ना के यौन उत्पीड़न और अश्लील वीडियो मामले की मीडिया रिपोर्टिंग में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के नाम का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है. बेंगलुरु के 34वें सिटी सिविल और सेशन कोर्ट ने सोमवार को मीडिया समूहों को यह आदेश दिया. अदालत कुमारस्वामी और देवेगौड़ा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने अश्लील वीडियो मामले में दोनों नेताओं के खिलाफ बिना सबूत के झूठी खबरें न फैलाने का आदेश दिया है.

इसके अलावा, अदालत ने बिना सबूत के दोनों नेताओं की गरिमा और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली झूठी खबरें फैलाने के खिलाफ एक अस्थायी प्रतिबंध आदेश लगाया है. कोर्ट ने कहा कि खबर तभी प्रसारित की जा सकती है जब सच्चाई और उचित सबूत हों.

हासन लोकसभा सीट से एनडीए के उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना के कथित अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले में देवेगौड़ा के परिवार का नाम आने लगा. प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के पोते हैं. इस कारण पूरे परिवार का नाम मीडिया रिपोर्ट में घसीटा जाने लगा. इसके चलते दोनों नेताओं ने अपने नाम का इस्तेमाल रोकने के लिए सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

दोनों नेताओं ने याचिका में क्या कहा
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि उनके परिवार को सांसद प्रज्वल रेवन्ना के कथित अश्लील वीडियो कांड और एचडी रेवन्ना के खिलाफ एक महिला के कथित अपहरण की मीडिया कवरेज में घसीटा गया है. सरकार ने इस संबंध में एसआईटी जांच टीम गठित की है और मामले की जांच चल रही है. लेकिन उनके परिवार के सदस्यों की फोटो मॉर्फिंग, तस्वीरें और वीडियो का इस्तेमाल सोशल मीडिया, अखबारों और विजुअल मीडिया में किया जा रहा है. इसके जरिए हमें इस मामले में फंसाने की कोशिश की जा रही है. इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है. इस तरह की बदनामी से उनके परिवार की गरिमा और राजनीतिक भविष्य को खतरा है. उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए अनुरोध किया कि मीडिया को इस मामले से जुड़ी खबरें प्रसारित करने और प्रकाशित करने से रोका जाए.

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