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बिहार के आदर्श की कहानी जान रो पड़ेंगे आप, एक करोड़ की मशीन, हर महीने Software Update करने पर 5 लाख - Robot boy Adarsh ​​Pathak

Robot boy Adarsh ​​Pathak: बेगूसराय के 10 साल के बच्चे को देख कोई भी उसे रोबोट समझ लेता है. दरअसल आदर्श को बचपन से बर्थ एक्सफेसिया नाम की बीमारी है, जिस कारण बोल और सुन नहीं पाता है. ब्रेन में अंदर-बाहर लाखों की डिवाइस लगी हुई है. हर महीने 5 लाख रुपए ब्रेन में लगे सॉफ्टवेयर को अपडेट करवाने पर खर्च होते हैं. आसान नहीं रहा बेगूसराय के आदर्श का संघर्ष, क्या है यह बीमारी? एक रिपोर्ट

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 19, 2024, 6:47 PM IST

Updated : Jul 20, 2024, 1:41 PM IST

बेगूसराय का आदर्श.
बेगूसराय का आदर्श. (Etv Bharat)
देखें रिपोर्ट. (ETV Bharat)

बेगूसराय: कोई बच्चा अगर रोबोट की तरह व्यवहार करे तो उसे आप क्या कहेंगे. ऐसा वह मस्ती या शौक में नहीं करता बल्कि उसकी मजबूरी है. बिहार के बेगूसराय के 10 साल के आदर्श पाठक की कहानी सुन हर कोई मार्मिक हो उठता है. आदर्श को बर्थ एक्सफेसिया नामक बीमारी है. जन्म के बाद अगर एक मिनट के अंदर शिशु ना रोए तो इस बीमारी से ग्रसित हो जाता है.

ब्रेन पर लगे चिप ने दी आदर्श को पहचान: आदर्श को बचपन से ही कुछ सुनायी नहीं देता था और नाही वह कुछ बोल पाता था. ऐसे में उसके ब्रेन में एक चिप लगायी गई, जिसके कारण ही वह रोबोट की तरह बोलता है. अगर उसकी चार्जिंग खत्म हो जाती है तो वह काठ की पुतली बन जाता है.

अमेरिका के डॉक्टरों ने किया था आदर्श का इलाज: परिजनों ने उसे कई डॉक्टरों से दिखाया लेकिन सभी ने कहा कि इसका इलाज सिर्फ अमेरिका में हो सकता है. डॉक्टरों ने कहा कि आदर्श आम इंसान की तरह नहीं, बल्कि रोबोट की तरह सुनेगा और बोलेगा.उसके बाद आदर्श के पिता ने अपनी जमीन बेचकर पैसे इकट्ठा किए और अमेरिका गए. वहां डाक्टरों ने आदर्श के सिर के अंदर और बाहर चिप्स लगा दिया. इसके कारण आदर्श को सुनाई देने लगा और वह बोलने भी लगा.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

क्या कहना है डॉक्टर का?: इस संबंध में सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि बच्चो में इस तरह की समस्या जन्म से ही शुरू होती है. इस बीमारी को साइंस की भाषा में बर्थ एक्सपेसिया के नाम से जाना जाता है. बच्चे में इस तरह की बीमारी जन्म के बाद बहुत सारे बात पर निर्भर करती है.

"सबसे बड़ी बात यह है कि जब बच्चे का जन्म होता है और बच्चा जन्म के 1 मिनट के अंदर जिसे गोल्डन पीरियड कहते है, अगर नहीं रोता है तो ब्रेन का डेवलपमेंट अच्छे से नहीं होता है. इसका कारण ब्रेन में अच्छे से ऑक्सीजन का नहीं जाना ऑर ब्रेन एटरॉपी हो सकता है. ऐसे में कान और गला का पार्ट इफेक्टेड हो जाता है. विज्ञान के इस युग में इसका इलाज प्रोग्रामिंग के माध्यम से किया जा रहा है."- डाक्टर संजय कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी, सदर अस्पताल, बेगूसराय

पीएम मोदी से मदद की गुहार: पिता प्रदीप पाठक बताते हैं कि आदर्श खेल और पढ़ाई में भी अव्वल है. विज्ञान की इस तरक्की से परिवार के लोग खुश हैं पर उन्हें दुख भी है कि उनका बच्चा आम इंसान नहीं बन सका. महंगी तकनीक से करोड़ों खर्च करने वाला परिवार अब आर्थिक रूप से टूट चुका है. लॉकडाउन के समय आदर्श के घर की स्थिति काफी दयनीय हो गई. किसी तरह से उसके मस्तिष्क में रोबोटिक मशीन तो लगवा दिया गया, लेकिन उसके मेनटेनेंस में भी काफी खर्चा आता है. परिजनों ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगायी है.

स्कूल में आदर्श.
स्कूल में आदर्श. (ETV Bharat)

"देश भर के बड़े से बड़े डॉक्टरों से मिले पर हर किसी ने बच्चें को अमेरिका ले जाने की सलाह दी. जिसके बाद जगह जमीन बेच कर और लोगों से कर्ज लेकर आदर्श को इलाज के लिए अमेरिका ले गए, जहां लगभग दो करोड़ रुपये खर्च करने के बाद बच्चे के सर के अंदर और बाहर चिप लगाया गया. चिप लगने के बाद वह बोल और सुन तो सका, पर उसकी जुवान एक रोबोट की तरह हो गयी है."- प्रदीप पाठक, आदर्श के पिता

मां और दादी की भर आईं आंखें: वहीं आदर्श की मां और दादी ने भी अपना दर्द बयां किया. आदर्श की तकलीफ बताते हुए दादी रो पड़ी. वहीं मां स्वीटी पाठक के आंसू भी थमने का नाम नहीं ले रहे थे. मां ने बताया कि बच्चे के मस्तिष्क के अंदर और बाहर के चिप्स को एक दूसरे से केबल के माध्यम से जोड़ा जाता है. जिसके बाद ही बच्चा सामान्य बच्चे की तरह रह पाता है, नहीं तो बुत बन जाता है.

"आदर्श बचपन से ही बोल और सुन पाने में असमर्थ था. इसकी जानकारी एक साल बाद मुझे लगी.जिसके बाद से ही बच्चे का इलाज कराने के लिए दर दर की ठोकर खाते रहे. बाद में डाक्टरों की सलाह पर अमेरिकी ले जाकर बच्चे का इलाज कराया. इलाज में दो करोड़ रुपया लग गया है. अपनी जगह जमीन सब कुछ बेच दिया."- स्वीटी पाठक, आदर्श की मां

परिवार ने पूरी संपति बेचकर कराया इलाज: दरअसल कृत्रिम संरचना के कारण आदर्श रोबोट की तरह काम करता है. जानकारी के अनुसार आदर्श तीन भाई हैं, जिसमें एक भाई की करंट लगने से मौत हो गई. आदर्श सबसे छोटा बेटा है. उसकी जिंदगी की सलामती के लिए परिवार के लोगों ने अपनी पूरी संपत्ति बेचकर इसके इलाज में खर्च कर दिया.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

क्या कहना है आदर्श की दादी का?: आदर्श की हालत को देखकर उसकी दादी अंबिका देवी की आंखें नम हो जाती हैं.उन्होंने अपने बेटे और बहू को इसके लिऐ धन्यवाद दिया जिन्होंने कर्ज आदि लेकर इनके पोते को जिंदा रखा. फिलहाल रोबोट बॉय आदर्श एक आम इंसान होने के बावजूद एक रोबर्ट बॉय है. जानें कब उसके दिमाग के अंदर लगे मशीन की बैटरी गुल हो जाए और आदर्श काठ की कठपुतली बन जाए.

"उधर पोते का इलाज हो रहा था इधर घर में बैठ कर रोती रहती थी. अब आप लोगों के हाथो में ही आदर्श की जान है."- अंबिका देवी, आदर्श की दादी

'हर महीने 5 लाख रुपये खर्च': पिता प्रदीप पाठक ने बताया कि अमेरिका में इलाज के दौरान आदर्श के ब्रेन के अंदर और बहार मशीन लगाया गया. तीन वर्ष में बच्चे के बाहर लो डिवाइस बदलाता है. किसकी कीमत छह लाख रुपया है. वहीं हर महीने सॉफ्टवेयर को अपडेट कराने और बैट्री चार्ज करने में 5 लाख का खर्च आता है. पिता कहते हैं कि छह वर्ष तक बच्चे का स्पीच थेरेपी कराया गया, जिसके बाद बच्चा अब बोलता भी है और नब्बे प्रतिशत सुनता भी है.

बेगूसराय का आदर्श
बेगूसराय का आदर्श (ETV Bharat)

स्कूल में एडमिशन कराने में आई दिक्कत: बताते चले कि रोबोट बॉय आदर्श को शुरू में पढ़ाई करने में काफी समस्या हुई. कोइ भी स्कूल उसका एडमिशन लेने को तैयार नहीं हुआ. बच्चे के भविष्य को लेकर गहराते संकट के बाद पिता पपरौर के ही एक निजी विद्यालय के डायरेक्टर से लगातार आरजू मिन्नत करते रहे, जिसके बाद भगवान के रूप में सामने आए स्कूल के डायरेक्टर ने बच्चे की पढ़ाई की जिम्मेवारी उठाई.

"ये मेरे लिए बहुत बड़ा रिस्क था और चैलेंज भी. कई बार स्कूल के शिक्षको के साथ बैठक की और ग्रामीणों के आश्वाशन के बाद बच्चे को पढ़ाना शुरू किया. आदर्श के ब्रेन में एक महंगा डिवाइस लगा हुआ है जिसके खराब हो जाने के बाद बच्चा डेड हो जायेगा, वो इंसान नहीं रह पाएगा. हम देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और देश के तमाम लोगों से आग्रह करेंगे कि बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए आगे आएं."- चंदन कुमार झा, स्कूल डायरेक्टर

क्या कहना है आदर्श की टीचर का?: वहीं आदर्श पाठक की शिक्षिका श्वेता कुमारी ने बताया की वो आदर्श को एलकेजी से ही पढ़ा रही हैं, पर उस समय ऐसा नहीं लग रहा था कि उसमे इतना प्रोग्रेस होगा. धीरे धीरे आदर्श में बहुत प्रोग्रेस हुआ और वो अब बोलता ही नहीं रोबोट की तरह काम भी करता है.

"आदर्श दूसरे बच्चो की तरह स्कूल का टास्क बनाता ही नहीं है बल्कि वो चाहता है कि वो अपने टास्क को सबसे पहले दिखाए. वो पढ़ने में भी बहुत अच्छा है."- श्वेता, आदर्श की क्लास टीचर

सहपाठियों ने आदर्श की जमकर की तारीफ: स्कूली छात्र बताते हैं कि आदर्श पहले बोलता नहीं था, लेकिन धीरे धीरे वो अब अच्छे से बोलता भी है और पढ़ाई के साथ साथ खेल और संगीत में भी उसकी पकड़ अच्छी है. शिक्षक और सभी लोग उसका सपोर्ट करते हैं. आदर्श बहुत अच्छा और प्यारा लड़का है.

"आदर्श को पढ़ाई के साथ ही संगीत का भी शौक है. पढ़ाई करता है और हमारे साथ खेलता भी है. सभी शिक्षक और बच्चे उसका सपोर्ट करते हैं."- क्लासमेट

"पहले से आदर्श अब ठीक है. पहले बोलता नहीं था लेकिन अब थोड़ा बोलता है. पहले से उसकी स्थिति काफी बेहतर है. वह रोबोट की तरह बात करता है. हमारी तरह ही सारे गेम खेलता है. हमारे साथ गाना भी गाता है." - क्लासमेट

"कभी कोई शैतानी नहीं करता है. नार्मल रहता है. थोड़ा ब्रेन में दिक्कत के कारण रोबोट की तरह काम करता है."- क्लासमेट

ये भी पढ़ें- कुदरत का करिश्मा! काले कौए के बीच यहां दिखा सफेद कौआ, देखिए Video - White Crow

देखें रिपोर्ट. (ETV Bharat)

बेगूसराय: कोई बच्चा अगर रोबोट की तरह व्यवहार करे तो उसे आप क्या कहेंगे. ऐसा वह मस्ती या शौक में नहीं करता बल्कि उसकी मजबूरी है. बिहार के बेगूसराय के 10 साल के आदर्श पाठक की कहानी सुन हर कोई मार्मिक हो उठता है. आदर्श को बर्थ एक्सफेसिया नामक बीमारी है. जन्म के बाद अगर एक मिनट के अंदर शिशु ना रोए तो इस बीमारी से ग्रसित हो जाता है.

ब्रेन पर लगे चिप ने दी आदर्श को पहचान: आदर्श को बचपन से ही कुछ सुनायी नहीं देता था और नाही वह कुछ बोल पाता था. ऐसे में उसके ब्रेन में एक चिप लगायी गई, जिसके कारण ही वह रोबोट की तरह बोलता है. अगर उसकी चार्जिंग खत्म हो जाती है तो वह काठ की पुतली बन जाता है.

अमेरिका के डॉक्टरों ने किया था आदर्श का इलाज: परिजनों ने उसे कई डॉक्टरों से दिखाया लेकिन सभी ने कहा कि इसका इलाज सिर्फ अमेरिका में हो सकता है. डॉक्टरों ने कहा कि आदर्श आम इंसान की तरह नहीं, बल्कि रोबोट की तरह सुनेगा और बोलेगा.उसके बाद आदर्श के पिता ने अपनी जमीन बेचकर पैसे इकट्ठा किए और अमेरिका गए. वहां डाक्टरों ने आदर्श के सिर के अंदर और बाहर चिप्स लगा दिया. इसके कारण आदर्श को सुनाई देने लगा और वह बोलने भी लगा.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

क्या कहना है डॉक्टर का?: इस संबंध में सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि बच्चो में इस तरह की समस्या जन्म से ही शुरू होती है. इस बीमारी को साइंस की भाषा में बर्थ एक्सपेसिया के नाम से जाना जाता है. बच्चे में इस तरह की बीमारी जन्म के बाद बहुत सारे बात पर निर्भर करती है.

"सबसे बड़ी बात यह है कि जब बच्चे का जन्म होता है और बच्चा जन्म के 1 मिनट के अंदर जिसे गोल्डन पीरियड कहते है, अगर नहीं रोता है तो ब्रेन का डेवलपमेंट अच्छे से नहीं होता है. इसका कारण ब्रेन में अच्छे से ऑक्सीजन का नहीं जाना ऑर ब्रेन एटरॉपी हो सकता है. ऐसे में कान और गला का पार्ट इफेक्टेड हो जाता है. विज्ञान के इस युग में इसका इलाज प्रोग्रामिंग के माध्यम से किया जा रहा है."- डाक्टर संजय कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी, सदर अस्पताल, बेगूसराय

पीएम मोदी से मदद की गुहार: पिता प्रदीप पाठक बताते हैं कि आदर्श खेल और पढ़ाई में भी अव्वल है. विज्ञान की इस तरक्की से परिवार के लोग खुश हैं पर उन्हें दुख भी है कि उनका बच्चा आम इंसान नहीं बन सका. महंगी तकनीक से करोड़ों खर्च करने वाला परिवार अब आर्थिक रूप से टूट चुका है. लॉकडाउन के समय आदर्श के घर की स्थिति काफी दयनीय हो गई. किसी तरह से उसके मस्तिष्क में रोबोटिक मशीन तो लगवा दिया गया, लेकिन उसके मेनटेनेंस में भी काफी खर्चा आता है. परिजनों ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगायी है.

स्कूल में आदर्श.
स्कूल में आदर्श. (ETV Bharat)

"देश भर के बड़े से बड़े डॉक्टरों से मिले पर हर किसी ने बच्चें को अमेरिका ले जाने की सलाह दी. जिसके बाद जगह जमीन बेच कर और लोगों से कर्ज लेकर आदर्श को इलाज के लिए अमेरिका ले गए, जहां लगभग दो करोड़ रुपये खर्च करने के बाद बच्चे के सर के अंदर और बाहर चिप लगाया गया. चिप लगने के बाद वह बोल और सुन तो सका, पर उसकी जुवान एक रोबोट की तरह हो गयी है."- प्रदीप पाठक, आदर्श के पिता

मां और दादी की भर आईं आंखें: वहीं आदर्श की मां और दादी ने भी अपना दर्द बयां किया. आदर्श की तकलीफ बताते हुए दादी रो पड़ी. वहीं मां स्वीटी पाठक के आंसू भी थमने का नाम नहीं ले रहे थे. मां ने बताया कि बच्चे के मस्तिष्क के अंदर और बाहर के चिप्स को एक दूसरे से केबल के माध्यम से जोड़ा जाता है. जिसके बाद ही बच्चा सामान्य बच्चे की तरह रह पाता है, नहीं तो बुत बन जाता है.

"आदर्श बचपन से ही बोल और सुन पाने में असमर्थ था. इसकी जानकारी एक साल बाद मुझे लगी.जिसके बाद से ही बच्चे का इलाज कराने के लिए दर दर की ठोकर खाते रहे. बाद में डाक्टरों की सलाह पर अमेरिकी ले जाकर बच्चे का इलाज कराया. इलाज में दो करोड़ रुपया लग गया है. अपनी जगह जमीन सब कुछ बेच दिया."- स्वीटी पाठक, आदर्श की मां

परिवार ने पूरी संपति बेचकर कराया इलाज: दरअसल कृत्रिम संरचना के कारण आदर्श रोबोट की तरह काम करता है. जानकारी के अनुसार आदर्श तीन भाई हैं, जिसमें एक भाई की करंट लगने से मौत हो गई. आदर्श सबसे छोटा बेटा है. उसकी जिंदगी की सलामती के लिए परिवार के लोगों ने अपनी पूरी संपत्ति बेचकर इसके इलाज में खर्च कर दिया.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

क्या कहना है आदर्श की दादी का?: आदर्श की हालत को देखकर उसकी दादी अंबिका देवी की आंखें नम हो जाती हैं.उन्होंने अपने बेटे और बहू को इसके लिऐ धन्यवाद दिया जिन्होंने कर्ज आदि लेकर इनके पोते को जिंदा रखा. फिलहाल रोबोट बॉय आदर्श एक आम इंसान होने के बावजूद एक रोबर्ट बॉय है. जानें कब उसके दिमाग के अंदर लगे मशीन की बैटरी गुल हो जाए और आदर्श काठ की कठपुतली बन जाए.

"उधर पोते का इलाज हो रहा था इधर घर में बैठ कर रोती रहती थी. अब आप लोगों के हाथो में ही आदर्श की जान है."- अंबिका देवी, आदर्श की दादी

'हर महीने 5 लाख रुपये खर्च': पिता प्रदीप पाठक ने बताया कि अमेरिका में इलाज के दौरान आदर्श के ब्रेन के अंदर और बहार मशीन लगाया गया. तीन वर्ष में बच्चे के बाहर लो डिवाइस बदलाता है. किसकी कीमत छह लाख रुपया है. वहीं हर महीने सॉफ्टवेयर को अपडेट कराने और बैट्री चार्ज करने में 5 लाख का खर्च आता है. पिता कहते हैं कि छह वर्ष तक बच्चे का स्पीच थेरेपी कराया गया, जिसके बाद बच्चा अब बोलता भी है और नब्बे प्रतिशत सुनता भी है.

बेगूसराय का आदर्श
बेगूसराय का आदर्श (ETV Bharat)

स्कूल में एडमिशन कराने में आई दिक्कत: बताते चले कि रोबोट बॉय आदर्श को शुरू में पढ़ाई करने में काफी समस्या हुई. कोइ भी स्कूल उसका एडमिशन लेने को तैयार नहीं हुआ. बच्चे के भविष्य को लेकर गहराते संकट के बाद पिता पपरौर के ही एक निजी विद्यालय के डायरेक्टर से लगातार आरजू मिन्नत करते रहे, जिसके बाद भगवान के रूप में सामने आए स्कूल के डायरेक्टर ने बच्चे की पढ़ाई की जिम्मेवारी उठाई.

"ये मेरे लिए बहुत बड़ा रिस्क था और चैलेंज भी. कई बार स्कूल के शिक्षको के साथ बैठक की और ग्रामीणों के आश्वाशन के बाद बच्चे को पढ़ाना शुरू किया. आदर्श के ब्रेन में एक महंगा डिवाइस लगा हुआ है जिसके खराब हो जाने के बाद बच्चा डेड हो जायेगा, वो इंसान नहीं रह पाएगा. हम देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और देश के तमाम लोगों से आग्रह करेंगे कि बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए आगे आएं."- चंदन कुमार झा, स्कूल डायरेक्टर

क्या कहना है आदर्श की टीचर का?: वहीं आदर्श पाठक की शिक्षिका श्वेता कुमारी ने बताया की वो आदर्श को एलकेजी से ही पढ़ा रही हैं, पर उस समय ऐसा नहीं लग रहा था कि उसमे इतना प्रोग्रेस होगा. धीरे धीरे आदर्श में बहुत प्रोग्रेस हुआ और वो अब बोलता ही नहीं रोबोट की तरह काम भी करता है.

"आदर्श दूसरे बच्चो की तरह स्कूल का टास्क बनाता ही नहीं है बल्कि वो चाहता है कि वो अपने टास्क को सबसे पहले दिखाए. वो पढ़ने में भी बहुत अच्छा है."- श्वेता, आदर्श की क्लास टीचर

सहपाठियों ने आदर्श की जमकर की तारीफ: स्कूली छात्र बताते हैं कि आदर्श पहले बोलता नहीं था, लेकिन धीरे धीरे वो अब अच्छे से बोलता भी है और पढ़ाई के साथ साथ खेल और संगीत में भी उसकी पकड़ अच्छी है. शिक्षक और सभी लोग उसका सपोर्ट करते हैं. आदर्श बहुत अच्छा और प्यारा लड़का है.

"आदर्श को पढ़ाई के साथ ही संगीत का भी शौक है. पढ़ाई करता है और हमारे साथ खेलता भी है. सभी शिक्षक और बच्चे उसका सपोर्ट करते हैं."- क्लासमेट

"पहले से आदर्श अब ठीक है. पहले बोलता नहीं था लेकिन अब थोड़ा बोलता है. पहले से उसकी स्थिति काफी बेहतर है. वह रोबोट की तरह बात करता है. हमारी तरह ही सारे गेम खेलता है. हमारे साथ गाना भी गाता है." - क्लासमेट

"कभी कोई शैतानी नहीं करता है. नार्मल रहता है. थोड़ा ब्रेन में दिक्कत के कारण रोबोट की तरह काम करता है."- क्लासमेट

ये भी पढ़ें- कुदरत का करिश्मा! काले कौए के बीच यहां दिखा सफेद कौआ, देखिए Video - White Crow

Last Updated : Jul 20, 2024, 1:41 PM IST
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