देहरादून: उत्तराखंड के कई शहर अपनी क्षमता से अधिक भार झेल रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के संवेदनशील शहरों की बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी का अध्ययन करने की बात कही. जिससे भविष्य की संभावित आपदाओं से पहले ही अपनी तैयारियों को बेहतर किया जा सके, लेकिन अभी तक इस दिशा में सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है. प्रदेश के तमाम शहरों का अध्ययन को लेकर क्या है मौजूदा स्थिति, सरकार किन-किन शहरों का करने जा रही थी अध्ययन, किन-किन पहलुओं पर किया जाना था अध्ययन?
पिछले साल 2023 में जोशीमठ शहर के सैकड़ो घरों पर आई दरार के बाद उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के तमाम पर्यटक स्थलों का बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी अध्ययन करने का निर्णय लिया. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अध्ययन परियोजना के पहले चरण के तहत मसूरी, लैंसडाउन और नैनीताल समेत 15 शहरी क्षेत्रों और पर्यटक स्थलों को चिन्हित किया. मानसून सीजन खत्म होने के बाद इन शहरों का तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययन शुरू करने का निर्णय लिया गया, लेकिन एक साल का वक्त बीतने के बाद भी अभी तक अध्ययन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है.
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार, तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उस दौरान मसूरी, नैनीताल, लैंसडाउन, पौड़ी, कपकोट, रानीखेत, चंपावत, टिहरी, गोपेश्वर, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, धारचूला, भवाली, पिथौरागढ़ के साथ ही चारधाम यात्रा का बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी का अध्ययन के लिए चिन्हित किया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस बात पर जोर दिया था कि प्रदेश के तमाम शहरों का विशेषज्ञों की ओर से वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन कराया जाएगा. साथ ही उनकी रिपोर्ट के आधार पर शहरों और खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण कार्यों को मंजूरी दी जाएगी, लेकिन अभी तक चारधाम समेत तमाम पर्यटक स्थलों एवं शहरों के वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है.
इससे जुड़े सवाल पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा पर्यटक स्थलों की बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी का आंकलन पर्यटन विभाग भी करेगा. उन्होंने कहा पर्यटक स्थलों पर कितने होटल, होमस्टे का निर्माण हुआ है? कितने पर्यटक वहां जा सकते हैं? इन सभी का आकलन करते हुए प्रपोजल बनाया जाएगा.
इस पूरे मामले पर आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया बिना अध्ययन ने बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा अत्यधिक जनसंख्या या इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की वजह से दिक्कतें पैदा हो रही हैं. फिलहाल कई जगहों पर स्टडी कराए जाने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में अध्ययन विशेषज्ञ जो रिपोर्ट देंगे उसके आधार पर कुछ कहा जा सकता है. तमाम शहरों में स्टडी कराए जाने की प्रक्रिया चल रही है. जिसके लिए पत्रावली गतिमान है. ऐसे में किस क्षेत्र में किस तरह का अध्ययन कराया जाना है उस पर विचार किया जा रहा है.