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राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के नेताओं को किया अलर्ट! "एकजुट रहें, भाजपा से लड़ें" - MAHARASHTRA ASSEMBLY ELECTION

राहुल गांधी ने कहा कि, महाराष्ट्र चुनाव में महा विकास अघाड़ी के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश न किया जाए. बता दें कि, चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है.

MAHARASHTRA ELECTION
कांग्रेस कार्यकर्ता और राहुल गांधी (डिजाइन इमेज) (ANI)
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By Amit Agnihotri

Published : Oct 15, 2024, 5:56 PM IST

Updated : Oct 15, 2024, 6:15 PM IST

नई दिल्ली: महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं से राहुल गांधी ने 14 अक्टूबर को चुनाव तैयारियों की समीक्षा के दौरान साफ ​तौर पर कहा कि विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ें. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, महाराष्ट्र चुनाव में महा विकास अघाड़ी के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश न किया जाए.

कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने यह चेतावनी तब दी जब ऐसी खबरें आईं कि हरियाणा इकाई में अंदरूनी कलह, मुख्य रूप से वर्चस्व की लड़ाई और बीएस हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणधीर सुरजेवाला जैसे वरिष्ठ नेताओं की मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षाओं ने कांग्रेस के चुनाव हारने में अहम भूमिका निभाई. जबकि सभी अनुमान कांग्रेस पार्टी के पक्ष में थे. हरियाणा की तरह, महाराष्ट्र इकाई के नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी आलाकमान के लिए चिंता का विषय रही हैं, जो पश्चिमी राज्य को जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.

महाराष्ट्र के प्रभारी एआईसीसी सचिव बीएम संदीप ने ईटीवी भारत को बताया कि, राहुल गांधी हमेशा पार्टी को हमेशा याद दिलाते हैं कि, हमें भाजपा और उसके सहयोगियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए. महाराष्ट्र में लड़ाई बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने अवैध तरीकों से हमारी सरकार चुराई थी. राज्य के सभी नेता एकजुट होंगे.

उन्होंने आगे कहा कि, "मुख्यमंत्री पद के चेहरे का फैसला चुनाव के बाद किया जाएगा. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों से जुड़े सभी अहम फैसले लेने वाले राहुल महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों की भी निगरानी कर रहे हैं. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में 16 अक्टूबर को एनसी-कांग्रेस गठबंधन सत्ता में आने वाला है. इसके अलावा, लोकसभा में विपक्ष के नेता जल्द ही दोनों राज्यों का दौरा करेंगे और कांग्रेस की गारंटी को लॉन्च करेंगे. यह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की विफलताओं के अलावा चुनाव अभियान का एक प्रमुख फोकस होगा.

वहीं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने ईटीवी भारत से कहा, "राहुल गांधी जल्द ही राज्य का दौरा करेंगे और कांग्रेस की गारंटी को लॉन्च करेंगे. उन्होंने दावा किया कि, कांग्रेस महाराष्ट्र चुनाव के लिए तैयार है और एमवीए चुनाव जीतेगी. इससे पहले, पटोले और वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट के बीच सत्ता संघर्ष कई बार हाईकमान तक पहुंचा था. साथ ही, राज्यसभा और बाद में एमएलसी चुनावों के दौरान पार्टी विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग की खबरें भी आई थीं. यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी से सलाह-मशविरा कर केरल के दिग्गज नेता रमेश चेन्निथला को दिसंबर 2023 में महाराष्ट्र का प्रभारी नियुक्त किया था.

पटोले यह भी दावा कर रहे थे कि, कांग्रेस जो लोकसभा चुनाव के बाद 48 में से 13 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, वह राज्य विधानसभा में भी सबसे बड़ी पार्टी होगी और उसका मुख्यमंत्री होगा. इन दावों ने सहयोगी शिवसेना यूबीटी को परेशान कर दिया था, जो शीर्ष कार्यकारी पद के लिए अपने नेता उद्धव ठाकरे की उम्मीदवारी पर जोर दे रही थी.

एक अन्य सहयोगी एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार ने चतुराई से अपनी पार्टी को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर रखा है, लेकिन अगर मौका मिलता है तो वह निश्चित रूप से किंगमेकर की भूमिका निभाना चाहेंगे. कारण यह है कि, शरद पवार शिवसेना यूबीटी-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के वास्तुकार थे जो 2019 में महाराष्ट्र में सत्ता में आए. एमवीए के रूप में जाना जाने वाला गठबंधन सत्ता से बाहर हो गया जब शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे 2022 में भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बन गए.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में हार पर मंथन: 'पार्टी हित से ऊपर नेताओं ने खुद को रखा', राहुल, खड़गे समेत तमाम नेताओं ने की समीक्षा

नई दिल्ली: महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं से राहुल गांधी ने 14 अक्टूबर को चुनाव तैयारियों की समीक्षा के दौरान साफ ​तौर पर कहा कि विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ें. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, महाराष्ट्र चुनाव में महा विकास अघाड़ी के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश न किया जाए.

कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने यह चेतावनी तब दी जब ऐसी खबरें आईं कि हरियाणा इकाई में अंदरूनी कलह, मुख्य रूप से वर्चस्व की लड़ाई और बीएस हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणधीर सुरजेवाला जैसे वरिष्ठ नेताओं की मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षाओं ने कांग्रेस के चुनाव हारने में अहम भूमिका निभाई. जबकि सभी अनुमान कांग्रेस पार्टी के पक्ष में थे. हरियाणा की तरह, महाराष्ट्र इकाई के नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी आलाकमान के लिए चिंता का विषय रही हैं, जो पश्चिमी राज्य को जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.

महाराष्ट्र के प्रभारी एआईसीसी सचिव बीएम संदीप ने ईटीवी भारत को बताया कि, राहुल गांधी हमेशा पार्टी को हमेशा याद दिलाते हैं कि, हमें भाजपा और उसके सहयोगियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए. महाराष्ट्र में लड़ाई बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने अवैध तरीकों से हमारी सरकार चुराई थी. राज्य के सभी नेता एकजुट होंगे.

उन्होंने आगे कहा कि, "मुख्यमंत्री पद के चेहरे का फैसला चुनाव के बाद किया जाएगा. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों से जुड़े सभी अहम फैसले लेने वाले राहुल महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों की भी निगरानी कर रहे हैं. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में 16 अक्टूबर को एनसी-कांग्रेस गठबंधन सत्ता में आने वाला है. इसके अलावा, लोकसभा में विपक्ष के नेता जल्द ही दोनों राज्यों का दौरा करेंगे और कांग्रेस की गारंटी को लॉन्च करेंगे. यह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की विफलताओं के अलावा चुनाव अभियान का एक प्रमुख फोकस होगा.

वहीं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने ईटीवी भारत से कहा, "राहुल गांधी जल्द ही राज्य का दौरा करेंगे और कांग्रेस की गारंटी को लॉन्च करेंगे. उन्होंने दावा किया कि, कांग्रेस महाराष्ट्र चुनाव के लिए तैयार है और एमवीए चुनाव जीतेगी. इससे पहले, पटोले और वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट के बीच सत्ता संघर्ष कई बार हाईकमान तक पहुंचा था. साथ ही, राज्यसभा और बाद में एमएलसी चुनावों के दौरान पार्टी विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग की खबरें भी आई थीं. यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी से सलाह-मशविरा कर केरल के दिग्गज नेता रमेश चेन्निथला को दिसंबर 2023 में महाराष्ट्र का प्रभारी नियुक्त किया था.

पटोले यह भी दावा कर रहे थे कि, कांग्रेस जो लोकसभा चुनाव के बाद 48 में से 13 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, वह राज्य विधानसभा में भी सबसे बड़ी पार्टी होगी और उसका मुख्यमंत्री होगा. इन दावों ने सहयोगी शिवसेना यूबीटी को परेशान कर दिया था, जो शीर्ष कार्यकारी पद के लिए अपने नेता उद्धव ठाकरे की उम्मीदवारी पर जोर दे रही थी.

एक अन्य सहयोगी एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार ने चतुराई से अपनी पार्टी को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर रखा है, लेकिन अगर मौका मिलता है तो वह निश्चित रूप से किंगमेकर की भूमिका निभाना चाहेंगे. कारण यह है कि, शरद पवार शिवसेना यूबीटी-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के वास्तुकार थे जो 2019 में महाराष्ट्र में सत्ता में आए. एमवीए के रूप में जाना जाने वाला गठबंधन सत्ता से बाहर हो गया जब शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे 2022 में भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बन गए.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में हार पर मंथन: 'पार्टी हित से ऊपर नेताओं ने खुद को रखा', राहुल, खड़गे समेत तमाम नेताओं ने की समीक्षा

Last Updated : Oct 15, 2024, 6:15 PM IST
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