उमरिया। उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत से हड़कंप है. 3 दिन में ही 10 हाथियों की मौत हो गई. जांच टीमें लगातार काम में जुटी हैं लेकिन मौत का कारण साफ नही हो पा रहा है. बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतनी संख्या में एक साथ हाथियों की मौत कैसे हुई. जांच के लिए केंद्र की टीमों के साथ ही राज्य सरकार की टीमें भी बांधवगढ़ में डेरा डाले हैं. इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी है.
कहीं मौतों का कारण कोदो की फसल में माइकोटोक्सिन तो नहीं
लगातार गजराज की मौतों के बाद देशभर की जांच टीमें भी एक्टिव हो चुकी हैं. केंद्र से लेकर राज्य तक की जांच टीमें बांधवगढ़ में डेरा जमाए हुए हैं. इस बात का पता लगाने में जुटी हुई हैं कि आखिर हाथियों की मौत कैसे हुई. पोस्टमार्टम की प्रारम्भिक रिपोर्ट में मौतों का कारण कोदो की फसल में माइकोटोक्सिन को माना जा रहा है. हालांकि फोरेंसिक जांच के बाद ही सही कारणों का पता लग सकेगा. पोस्टमार्टम के बाद सैम्पल को हिस्टोपैथोलॉजिकल और टॉक्सीकोलॉजिकल जांच के लिए SWFH जबलपुर और राज्य फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी सागर भेजे गए हैं. हाथियों की मौतों की जांच के लिए प्रदेश सरकार की एसआईटी और एसटीएसएफ की टीम बांधवगढ़ में जांच में जुटी हैं.
हाथियों के पेट में बड़ी मात्रा में कोदो मिली
पीसीसीएफ वन्य प्राणी वीएन अम्बाडे के मुताबिक "हाथियों की मौत किस वजह से हुई, इसकी जांच के लिए टीमें लगाई गई हैं. इसके लिए भारत सरकार की जांच टीम भी आई है. वन मंत्री के निर्देशानुसार राज्य स्तरीय जांच समिति भी गठित की गई है. जांच रिपोर्ट जो भी निकलेगा, इसके बाद आगे की योजना बनाई जाएगी, जिससे ऐसी घटनाएं न हों. पोस्टमार्टम के दौरान हाथियों के पेट से बहुत अधिक मात्रा में कोदो पाया गया है. अभी इसे निष्कर्ष तो नहीं कह सकते, लेकिन संभावना यही है कि कोदो के सेवन से ही उनकी मृत्यु हुई है. हमारी कोशिश यही रहेगी कि जिस जगह पर हाथी विचरण करें, उस एरिया में कोदो कम से कम हो."
क्या कोदो खाने से हाथियों की मौत संभव है
इतने सालों से यहां लोग कोदो का सेवन कर रहे हैं, क्या कोदो खाने से हाथियों का मौत संभव है, इस पर पीसीसीएफ वन्य प्राणी वीएन अम्बाडे कहते हैं "कुछ घटनाएं पहले भी हुई हैं. जब पुराने वेटरनरी डॉक्टरों से हम चर्चा कर रहे थे तो उन्होंने बताया था कि कान्हा में 1997-98 में भी एक घटना हुई थी." बता दें कि एक ओर जहां हाथियों की मौत की संभावना कोदो की वजह से जताई जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर घटनास्थल के आसपास कई एकड़ में लगे कोदो की फसल को भी नष्ट करवाया गया है.
कोदो पर लगी फफूंद जहर के समान
कुछ जानकारों का कहना है कि हो सकता है कोदो की फसल खाने की वजह से हाथियों की मौत हुई हो. क्योंकि कोदो में माइक्रोटोक्सीन खास तरह की फफूंद कवक से बनते हैं. ऐसी फफूंद कुछ विशेष फसलों के साथ ही खाद्य पदार्थों पर रुकती है, जोकि जहर के समान होती है. कुछ जानकारों का कहना है कि फसलों पर इस्तेमाल होने वाला ज्यादा पेस्टिसाइड भी एक वजह हो सकती है. लेकिन हाथियों की मौत किस वजह से हुई है, ये जांच का विषय है. जब तक जांच एजेंसियों की रिपोर्ट सामने नहीं आती है, तब तक कयास ही लगाए जा सकते हैं.
ALSO READ : बांधवगढ़ में हाथियों की मौत पर सस्पेंस, सीएम ने दिखाई सख्ती, 24 घंटे में पेश करें रिपोर्ट बांधवगढ़ के जंगल में एक एक कर जमीन पर गिरे हाथी, 7 के प्राण पखेरु उड़ गए, जांच शुरु |
ये है पूरा मामला, अब तक क्या-क्या हुआ
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब सूचना मिली कि खेतौली और पतौर रेंज के सलखनिया बीट में 13 जंगली हाथियों का झुंड है. जिसमें से कुछ हाथी बेहोश पड़े हैं. इसकी सूचना मिलने के बाद जब वहां वन विभाग के आला अधिकारी और डॉक्टर्स की टीम पहुंची तो पता लगा हाथियों की हालत गंभीर है. डॉक्टरों की टीम ने 4 हाथियों को मौके पर मृत घोषित कर दिया. कई हाथी बीमार थे, जिनका आननफानन में इलाज भी शुरू कर दिया गया. अगले दिन 30 अक्टूबर को इलाज के दौरान 4 और हाथियों की अलग-अलग टाइमिंग में मौत हो गई. हाथियों की मौत का सिलसिला यहीं नहीं रुका. 31 अक्टूबर को 2 और बीमार हाथियों की मौत हो गई. जंगली हाथियों की मौत का ये आंकड़ा 10 तक पहुंच गया. इनमें से 9 मादा हाथी हैं, एक नर हाथी है. दो हथिनी गर्भवती भी थीं.