ETV Bharat / bharat

गोपालगंज टू मायानगरी : मुंबई से बिहार में जगाते रहे शिक्षा की अलख, बाबा सिद्दीकी की हत्या से गांव में मायूसी - BABA SIDDIQUE

बाबा सिद्दीकी की हत्या से मुंबई के लोग ही नहीं बल्कि बिहार के लोग भी मायूस हैं. उनकी मौत से गोपालगंज में मायूसी छायी है.

बाबा सिद्दीकी
बाबा सिद्दीकी (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 13, 2024, 4:46 PM IST

Updated : Oct 13, 2024, 4:58 PM IST

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज के मांझागढ़ प्रखंड के शेख टोली गांव निवासी अब्दुल रहीम सिद्दीकी के बड़े बेटे बाबा सिद्दीकी का बिहार और गोपालगंज से खास रिश्ता रहा है. क्योंकि गोपालगंज में बाबा सिद्दीकी का अपना पैतृक गांव है. मुंबई में बाबा सिद्दीकी की हत्या से पूरे बिहार खासतौर पर गोपालगंज जिले में उनके गांव मांझा में शोक की लहर दौड़ गई है.

बिहार में जगाते रहे शिक्षा का अलख: दरअसल बाबा सिद्दीकी भले ही मुंबई में रहते थे, लेकिन उनकी आत्मा यहां गांव में बसती थी. पहली बार बाबा सिद्धकी अपने घर 2008 में आए थे. इसी क्रम में वह अपने पिता अब्दुल रहीम के नाम पर ट्रस्ट बनाकर बिहार में 40 चैरिटेबल संस्थाओं का संचालन कर रहे थे. इन सभी संस्थाओं में दबे, कुचले और गरीब परिवार के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग कराई जाती थी. अकेले गोपालगंज में ही इस ट्रस्ट के तहत तीन संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है.

बाबा सिद्दीकी का गोपालगंज कनेक्शन (ETV Bharat)

"बिहार के 40 जिलों में शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा केंद्र की स्थापना किए थे. करीब 12 से 1 3 हजार बच्चे निशुल्क शिक्षा प्राप्त करते हैं. प्रत्येक केंद्र पर 3 से 4 सौबच्चे नामांकित है. पिछले 15 सितम्बर को सेंटर के निरीक्षण के लिए गांव आने वाले थे. लेकिन किसी कारण वश नहीं आ पाए थे, लेकिन चार दिन पहले उनसे बात हुई थी. वे कहे थे की महाराष्ट्र के चुनाव होने के बाद आऊंगा." -मो. गुरफान, भतीजा

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

गोपालगंज से था खास लगाव: बाबा सिद्दीकी के भतीजा मोहम्मद गुफरान ने बताया कि 50 साल पूर्व ही इनका पूरा परिवार मुंबई में चला गया था. उनके पिता मुंबई में ही वॉच मेकर का काम करते थे और यह भी अपने पिता का हाथ बटाते थे. 30 वर्ष बाद वह पहली बार 2008 में अपने पैतृक गांव आए थे. इनका जन्म में मुंबई में ही हुआ था लेकिन इनको इनके पिता है और मन हमेशा अपने शेख टोली गांव आना जाना रहता था, लेकिन इन्होंने भी अपने मातृभूमि को को नहीं भूला.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

बॉलीवुड से था खासा लगाव: बाबा सिद्दीकी को फिल्मों से बहुत लगाव था. पैशन और अपनी धुन के पक्के बाबा सिद्दीकी राजनीति में कामयाब न होते तो बाबा फिल्मी दुनिया में ही होते. उन्होंने कुछ समय के लिए फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के साथ काम किया और उनके तौर तरीके सीखे. यहीं उन्होंने अपनी बॉलीवुड में एंट्री का रास्ता बनाया और दौलत-शोहरत कमाई. उस समय उनके कुछ दोस्त आगे चलकर सुपरस्टार बन गए. बाबा ने अपनी नेटवर्किंग का दायरा और बढ़ाते हुए बांद्रा इलाके पर फोकस किया.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

1977 में एनएसयूआई से जुड़े बाबा सिद्दीकी: बाबा ने राजनीति की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में की. पहले पार्षदी फिर विधायकी. बीएमसी के कॉरपोरेटर (पार्षद) रह चुके बाबा ने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत कांग्रेस से ही की. 1977 में वो एनएसयूआई से जुड़े. आगे वो 1980 में बांद्रा यूथा कांग्रेस महासचिव, 1982 में बांद्रा युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और 1988 में मुंबई युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने.

मोबाइल में बाबा सिद्दीकी का फोटा दिखाता भतीजा मो गुरफान
मोबाइल में बाबा सिद्दीकी का फोटा दिखाता भतीजा मो गुरफान (ETV Bharat)

तीन बार विधायक रहे: 1995 का दौर आते आते उनकी इलाके पर मजबूत पकड़ बन गई थी. गरीब लोग उनमें अपना रहनुमान देखने लगे थे. बाबा सिद्दीकी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो यहीं से चुनाव लड़ा, हालांकि पहली बाजी वो हार गए थे. आगे किस्मत ने साथ दिया चार साल बाद 1999 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार बांद्रा वेस्ट सीट से एमएलए बने. 2014 तक लगातार तीन बार इस सीट से विधायक रहे. बाबा साल 2004 से 2008 तक राज्य के खाद्य और श्रम राज्य मंत्री भी रहे.

गोपालगंज पैतृक गांव में परिवार के सदस्य
गोपालगंज पैतृक गांव में परिवार के सदस्य (ETV Bharat)

कांग्रेस नेता सुनील दत्त ने दिलाई थी टिकट: कहा जाता है कि बाबा सिद्दीकी को पहली बार टिकट देने और दिलाने में कांग्रेस नेता सुनील दत्त ने पैरवी की थी. बता दें की जिले के शेख टोली गांव निवासी बाबा सिद्धिकी की तीन भाईयों में सबसे बड़े थे और उनके तीन बहने हैं. साथ ही उनके एक बेटा और एक बेटी है. बेटा बांद्रा ईस्ट से फिलहाल विधायक हैं.

ये भी पढ़ें

वॉच मेकर से मंत्री बनने वाले बाबा सिद्दीकी का गोपालगंज में है पुश्तैनी घर, 6 साल पहले आए थे अपने गांव

मुंबई के बांद्रा में NCP नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या, दो संदिग्ध हिरासत में

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज के मांझागढ़ प्रखंड के शेख टोली गांव निवासी अब्दुल रहीम सिद्दीकी के बड़े बेटे बाबा सिद्दीकी का बिहार और गोपालगंज से खास रिश्ता रहा है. क्योंकि गोपालगंज में बाबा सिद्दीकी का अपना पैतृक गांव है. मुंबई में बाबा सिद्दीकी की हत्या से पूरे बिहार खासतौर पर गोपालगंज जिले में उनके गांव मांझा में शोक की लहर दौड़ गई है.

बिहार में जगाते रहे शिक्षा का अलख: दरअसल बाबा सिद्दीकी भले ही मुंबई में रहते थे, लेकिन उनकी आत्मा यहां गांव में बसती थी. पहली बार बाबा सिद्धकी अपने घर 2008 में आए थे. इसी क्रम में वह अपने पिता अब्दुल रहीम के नाम पर ट्रस्ट बनाकर बिहार में 40 चैरिटेबल संस्थाओं का संचालन कर रहे थे. इन सभी संस्थाओं में दबे, कुचले और गरीब परिवार के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग कराई जाती थी. अकेले गोपालगंज में ही इस ट्रस्ट के तहत तीन संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है.

बाबा सिद्दीकी का गोपालगंज कनेक्शन (ETV Bharat)

"बिहार के 40 जिलों में शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा केंद्र की स्थापना किए थे. करीब 12 से 1 3 हजार बच्चे निशुल्क शिक्षा प्राप्त करते हैं. प्रत्येक केंद्र पर 3 से 4 सौबच्चे नामांकित है. पिछले 15 सितम्बर को सेंटर के निरीक्षण के लिए गांव आने वाले थे. लेकिन किसी कारण वश नहीं आ पाए थे, लेकिन चार दिन पहले उनसे बात हुई थी. वे कहे थे की महाराष्ट्र के चुनाव होने के बाद आऊंगा." -मो. गुरफान, भतीजा

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

गोपालगंज से था खास लगाव: बाबा सिद्दीकी के भतीजा मोहम्मद गुफरान ने बताया कि 50 साल पूर्व ही इनका पूरा परिवार मुंबई में चला गया था. उनके पिता मुंबई में ही वॉच मेकर का काम करते थे और यह भी अपने पिता का हाथ बटाते थे. 30 वर्ष बाद वह पहली बार 2008 में अपने पैतृक गांव आए थे. इनका जन्म में मुंबई में ही हुआ था लेकिन इनको इनके पिता है और मन हमेशा अपने शेख टोली गांव आना जाना रहता था, लेकिन इन्होंने भी अपने मातृभूमि को को नहीं भूला.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

बॉलीवुड से था खासा लगाव: बाबा सिद्दीकी को फिल्मों से बहुत लगाव था. पैशन और अपनी धुन के पक्के बाबा सिद्दीकी राजनीति में कामयाब न होते तो बाबा फिल्मी दुनिया में ही होते. उन्होंने कुछ समय के लिए फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के साथ काम किया और उनके तौर तरीके सीखे. यहीं उन्होंने अपनी बॉलीवुड में एंट्री का रास्ता बनाया और दौलत-शोहरत कमाई. उस समय उनके कुछ दोस्त आगे चलकर सुपरस्टार बन गए. बाबा ने अपनी नेटवर्किंग का दायरा और बढ़ाते हुए बांद्रा इलाके पर फोकस किया.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

1977 में एनएसयूआई से जुड़े बाबा सिद्दीकी: बाबा ने राजनीति की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में की. पहले पार्षदी फिर विधायकी. बीएमसी के कॉरपोरेटर (पार्षद) रह चुके बाबा ने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत कांग्रेस से ही की. 1977 में वो एनएसयूआई से जुड़े. आगे वो 1980 में बांद्रा यूथा कांग्रेस महासचिव, 1982 में बांद्रा युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और 1988 में मुंबई युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने.

मोबाइल में बाबा सिद्दीकी का फोटा दिखाता भतीजा मो गुरफान
मोबाइल में बाबा सिद्दीकी का फोटा दिखाता भतीजा मो गुरफान (ETV Bharat)

तीन बार विधायक रहे: 1995 का दौर आते आते उनकी इलाके पर मजबूत पकड़ बन गई थी. गरीब लोग उनमें अपना रहनुमान देखने लगे थे. बाबा सिद्दीकी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो यहीं से चुनाव लड़ा, हालांकि पहली बाजी वो हार गए थे. आगे किस्मत ने साथ दिया चार साल बाद 1999 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार बांद्रा वेस्ट सीट से एमएलए बने. 2014 तक लगातार तीन बार इस सीट से विधायक रहे. बाबा साल 2004 से 2008 तक राज्य के खाद्य और श्रम राज्य मंत्री भी रहे.

गोपालगंज पैतृक गांव में परिवार के सदस्य
गोपालगंज पैतृक गांव में परिवार के सदस्य (ETV Bharat)

कांग्रेस नेता सुनील दत्त ने दिलाई थी टिकट: कहा जाता है कि बाबा सिद्दीकी को पहली बार टिकट देने और दिलाने में कांग्रेस नेता सुनील दत्त ने पैरवी की थी. बता दें की जिले के शेख टोली गांव निवासी बाबा सिद्धिकी की तीन भाईयों में सबसे बड़े थे और उनके तीन बहने हैं. साथ ही उनके एक बेटा और एक बेटी है. बेटा बांद्रा ईस्ट से फिलहाल विधायक हैं.

ये भी पढ़ें

वॉच मेकर से मंत्री बनने वाले बाबा सिद्दीकी का गोपालगंज में है पुश्तैनी घर, 6 साल पहले आए थे अपने गांव

मुंबई के बांद्रा में NCP नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या, दो संदिग्ध हिरासत में

Last Updated : Oct 13, 2024, 4:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.