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भगवान भास्कर 6 मिनट करेंगे रामलला का 'सूर्याभिषेक', वैज्ञानिकों ने बनाया ये स्पेशल डिवाइस - सूर्य तिलक तंत्र

अयोध्या में रामलला का मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) सोमवार को 'सूर्य तिलक तंत्र' से भी सुशोभित हुआ. इसके माध्यम से हर साल सिर्फ राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के विग्रह के मस्तक पर पड़ेंगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 22, 2024, 3:03 PM IST

अयोध्या: रामलला का मंदिर न सिर्फ सनातन संस्कृति को शीर्ष पर ले जाएगा बल्कि वैज्ञानिक तत्वों की भी पराकाष्ठा तक पहुंचेगा. साल भर में एक दिन पूरे 6 मिनट के लिए भगवान सूर्य रामलला के ललाट पर किरणें भेजकर सूर्याभिषेक करेंगे. जी हां! अयोध्या में भगवान राम का तीन मंजिला मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा चुकी है. रामलला की अद्भुत मूर्ति विश्वभर के रामभक्तों की आस्था को जगाए रखने और सनातन के सम्मान के लिए जागृत करने का काम तो करेगी ही. इसके साथ ही रामलला का मंदिर 'सूर्य तिलक तंत्र' से भी सुशोभित होगा. इसी के माध्यम से रामलला पर सूर्य की किरणें भेजी जाएंगी.

सूर्य तिलक तंत्र से लैंस हुआ मंदिर: राम मंदिर अयोध्या पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का वाहन बनकर सामने आ रहा है. भगवान राम का मंदिर बनने और रामलला के विराजमान होने के साथ ही हिन्दुत्व को भी एक बल मिला है. ऐसा भी कह सकते हैं कि सनातन में विश्वास रखने वालों के लिए राम मंदिर स्रोत का कार्य करने वाला है. ये तो रही धर्म की बात. अब बात विज्ञान की कर लेते हैं. अयोध्या में बन रहा राम मंदिर विज्ञान का भी एक अद्भुत उदाहण बनने जा रहा है. राममंदिर के भूमिपूजन के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर 'सूर्य तिलक तंत्र' बनाने का काम शुरू हुआ था. इसे केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की अहम भूमिका निभा रहा है. 'सूर्य तिलक तंत्र' लेंस और दर्पण आधारित उपकरण है.

विग्रह के मस्तक पर पड़ेंगी किरणें: 'सूर्य तिलक तंत्र' का प्रयोग रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणों को भेजने के लिए किया जाएगा. ऐसा हर साल या हर दिन नहीं होगा. सीबीआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि 'सूर्य तिलक तंत्र' को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि हर साल सिर्फ राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के विग्रह के मस्तक पर पड़ेंगी. मंदिर का निर्माण पूरा हो जाने के बाद 'सूर्य तिलक तंत्र' पूरी तरीके से प्रभावी हो जाएगा. मंदिर तीन तल का होगा. अभी मंदिर का भूतल ही बनकर तैयार हुआ है. गर्भगृह और भूतल पर सूर्य तिलक यंत्र के उपकरणों को लगा दिया गया है.

वैज्ञानिक उपकरणों का किया गया प्रयोग: 'सूर्य तिलक तंत्र' पूरी तरह से वैज्ञानिक उपकरण है. इसमें एक गियरबॉक्स, परावर्तक दर्पण और लेंस की व्यवस्था की गई है. इससे मंदिर के तीसरे तल से सूर्य की किरणों को गर्भ गृह में लाया जाएगा. सूर्य के पथ पर नजर रखने के लिए ऑप्टिकल लेंस और पीतल के ट्यूब का निर्माण किया गया है. इन उपकरणों की मदद से ही सूर्य की किरणों को रामलला के मस्तक पर भेजने का काम किया जाएगा. ऐसे में हम ये भी कह सकते हैं कि वैज्ञानिकों के भगवान राम का सूर्याभिेषेक करने की तैयारी पूरी कर ली है. सूर्य देव की किरणें रामलला के ललाट पर उतरकर उनका अभिषेक करेंगी. हर साल राम नवमी को सूर्यवंशी राजा के मस्तक पर सूर्य का प्रकाश रहेगा.
ये भी पढ़ें- पीएम जवाहर लाल नेहरू का डीएम ने टाल दिया था आदेश! जानिए कौन थे IAS केके नायर, जिन्होंने तैयार की राम मंदिर की पृष्ठभूमि

अयोध्या: रामलला का मंदिर न सिर्फ सनातन संस्कृति को शीर्ष पर ले जाएगा बल्कि वैज्ञानिक तत्वों की भी पराकाष्ठा तक पहुंचेगा. साल भर में एक दिन पूरे 6 मिनट के लिए भगवान सूर्य रामलला के ललाट पर किरणें भेजकर सूर्याभिषेक करेंगे. जी हां! अयोध्या में भगवान राम का तीन मंजिला मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा चुकी है. रामलला की अद्भुत मूर्ति विश्वभर के रामभक्तों की आस्था को जगाए रखने और सनातन के सम्मान के लिए जागृत करने का काम तो करेगी ही. इसके साथ ही रामलला का मंदिर 'सूर्य तिलक तंत्र' से भी सुशोभित होगा. इसी के माध्यम से रामलला पर सूर्य की किरणें भेजी जाएंगी.

सूर्य तिलक तंत्र से लैंस हुआ मंदिर: राम मंदिर अयोध्या पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का वाहन बनकर सामने आ रहा है. भगवान राम का मंदिर बनने और रामलला के विराजमान होने के साथ ही हिन्दुत्व को भी एक बल मिला है. ऐसा भी कह सकते हैं कि सनातन में विश्वास रखने वालों के लिए राम मंदिर स्रोत का कार्य करने वाला है. ये तो रही धर्म की बात. अब बात विज्ञान की कर लेते हैं. अयोध्या में बन रहा राम मंदिर विज्ञान का भी एक अद्भुत उदाहण बनने जा रहा है. राममंदिर के भूमिपूजन के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर 'सूर्य तिलक तंत्र' बनाने का काम शुरू हुआ था. इसे केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की अहम भूमिका निभा रहा है. 'सूर्य तिलक तंत्र' लेंस और दर्पण आधारित उपकरण है.

विग्रह के मस्तक पर पड़ेंगी किरणें: 'सूर्य तिलक तंत्र' का प्रयोग रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणों को भेजने के लिए किया जाएगा. ऐसा हर साल या हर दिन नहीं होगा. सीबीआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि 'सूर्य तिलक तंत्र' को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि हर साल सिर्फ राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के विग्रह के मस्तक पर पड़ेंगी. मंदिर का निर्माण पूरा हो जाने के बाद 'सूर्य तिलक तंत्र' पूरी तरीके से प्रभावी हो जाएगा. मंदिर तीन तल का होगा. अभी मंदिर का भूतल ही बनकर तैयार हुआ है. गर्भगृह और भूतल पर सूर्य तिलक यंत्र के उपकरणों को लगा दिया गया है.

वैज्ञानिक उपकरणों का किया गया प्रयोग: 'सूर्य तिलक तंत्र' पूरी तरह से वैज्ञानिक उपकरण है. इसमें एक गियरबॉक्स, परावर्तक दर्पण और लेंस की व्यवस्था की गई है. इससे मंदिर के तीसरे तल से सूर्य की किरणों को गर्भ गृह में लाया जाएगा. सूर्य के पथ पर नजर रखने के लिए ऑप्टिकल लेंस और पीतल के ट्यूब का निर्माण किया गया है. इन उपकरणों की मदद से ही सूर्य की किरणों को रामलला के मस्तक पर भेजने का काम किया जाएगा. ऐसे में हम ये भी कह सकते हैं कि वैज्ञानिकों के भगवान राम का सूर्याभिेषेक करने की तैयारी पूरी कर ली है. सूर्य देव की किरणें रामलला के ललाट पर उतरकर उनका अभिषेक करेंगी. हर साल राम नवमी को सूर्यवंशी राजा के मस्तक पर सूर्य का प्रकाश रहेगा.
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