गुवाहाटी: असम विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के आखिरी दिन ओपीएस-एनपीएस को लेकर तीखी नोकझोंक हुई. पुरानी पेंशन नीति को फिर से लागू करने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों ने सोमवार को असम विधानसभा में तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया. सरकार की नई पेंशन योजना के विरोध में विपक्ष ने सदन छोड़ दिया.
इससे पहले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए सदन में सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन नीति दोबारा लागू नहीं की जाएगी. मुख्यमंत्री ने सदन में स्पष्ट बयान दिया कि 'अगर हम आज ओपीएस चुनते हैं, तो जिन बच्चों को आज नौकरी मिली है, वे विरोध करेंगे कि हमें ओपीएस की ज़रूरत नहीं है.'
उन्होंने कहा कि 'ओपीएस के अनुसार पेंशन दी गई तो प्रदेश की हालत खराब हो जाएगी. बड़ी संख्या में कर्मचारियों को अभी भी ओपीएस के अनुसार पेंशन मिलती है.' इसके विपरीत, विपक्ष ने सरकार के पुराने पेंशन विरोधी रुख की आलोचना करते हुए सार्वजनिक रूप से सदन छोड़ दिया. कांग्रेस के विपक्षी विधायकों के साथ-साथ रायजोर दल के अखिल गोगोई और सीपीआई (एम) के मनोरंजन तालुकदार ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने की मांग करते हुए तख्तियां लेकर विरोध करते हुए सदन छोड़ दिया.
सोमवार को सदन के पटल पर प्रश्नकाल के दौरान रायजोर दल के विधायक अखिल गोगोई ने एनपीएस और ओपीएस पर सवाल उठाया. सदन में एनपीएस नीति पर सरकार के जवाब पर विपक्ष ने कड़ी नाराजगी जताते हुए बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया. सदन से निकलने के बाद विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने मीडिया के सामने कहा कि 'जैसा कि सरकार ने कहा है, एनपीएस उद्यम स्कूल शिक्षकों तक सीमित नहीं है.'
उन्होंने कहा कि 'अब नई पेंशन नीति के तहत एपीएससी के सभी अधिकारियों, राज्य पुलिस और सभी राज्य सरकार के कर्मचारियों को शामिल किया गया है.' नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री पर सदन में तोड़-मरोड़कर जानकारी देने का भी आरोप लगाया और कहा कि 'सत्र के आखिरी दिन, मुख्यमंत्री ने ओपीएस (पुरानी पेंशन नीति) पर अखिल गोगोई के सवालों का अभद्र तरीके से जवाब दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह शिक्षा विभाग की समस्या है.'
उन्होंने कहा कि 'इस संबंध में कुछ नहीं किया जा सकता. सरकार ने ऐलान किया है कि वह असम में ओपीएस नहीं देगी.' सदन से बाहर निकले सीपीआई (एम) विधायक मनोरंजन तालुकदार ने भी सदन में मुख्यमंत्री के बयान का विरोध किया और कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि एनपीएस में कर्मचारियों को ज्यादा पैसा मिलेगा.
उन्होंने यह भी कहा है कि अगर ओपीएस लागू हुआ, तो सरकार 5 साल में दिवालिया हो जाएगी. इस तरह सरकार अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहती है. कर्मचारी एनपीएस पर अपना भरोसा नहीं दिखा पाए हैं. हम एनपीएस को रद्द करने और ओपीएस लागू करने की मांग करते हैं.