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मां कामाख्या देवी मंदिर में अंबुबाची मेला शुरू, भारी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु - Ambubachi Mela

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 22, 2024, 5:39 PM IST

Kamakhya Temple: असम के गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या मंदिर में वार्षिक अंबुबाची मेला शुरू हो गया. यहां अगले चार दिनों तक पूजा-अर्चना बंद रहेगी. सुबह 8.43 बजे 'प्रभृति' की शुरुआत के साथ ही कपाट बंद कर दिए गए और 26 जून को मंदिर के कपाट फिर से खुलेंगे.

Kamakhya Temple
मां कामाख्या देवी मंदिर में शुरू हुआ अंबुबाची मेला 2024, हजारों की संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु (ETV Bharat)

गुवाहाटी: ऐतिहासिक वार्षिक महा अंबुबाची मेला 2024 शुरू होने के साथ ही गुवाहाटी की नीलाचल पहाड़ी आकर्षण का केंद्र बन गई है. मेले की तैयारियां और इसे सफल बनाने के लिए पहले से ही तैयारियां कर ली गई हैं. यह मेला देवी के मासिक धर्म चक्र के दौरान मनाया जाता है. लाखों श्रद्धालु इस मेले में आते हैं और पूजा शुरू होने का इंतजार करते हैं.

मां कामाख्या देवी मंदिर में शुरू हुआ अंबुबाची मेला 2024 (ETV Bharat)

मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि अंबुबाची का महापर्व शनिवार सुबह 8.43 बजे 'प्रभृति' के साथ शुरू हुआ. इस दौरान कामाख्या मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर दिए गए, 25 जून को 'नृभृति' के बाद रात 9.07 बजे पूजा फिर से शुरू होगी. 26 जून की सुबह देवी की नित्य पूजा के बाद मंदिर के मुख्य द्वार भक्तों के लिए फिर से खोल दिए जाएंगे. माना जाता है कि इस दौरान हर साल चार दिनों तक मंदिर में पूजा बंद रहती है और कपाट बंद रहते हैं. इस दौरान मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले में देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु आते हैं.

मुख्यमंत्री सरमा ने किया पोस्ट
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में श्रद्धालुओं का मेले में स्वागत किया. उन्होंने लिखा कि, 'आज मां कामाख्या शक्तिपीठ में अंबुबाची मेला का प्रथम दिन है. यह तीन दिवसीय पर्व नारायणी शक्ति का महोत्सव है. इस अवसर पर देश के विभिन्न कोने से आए साधुओं, श्रद्धालुओं और भक्तों को मेरा हार्दिक अभिनंदन'. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मेले के सुचारू संचालन के लिए कामरूप महानगर जिला प्रशासन और अन्य एजेंसियों द्वारा व्यवस्था की गई है.

'अंबुबाची' शब्द का वास्तव में क्या अर्थ है?

अंबुबाची का क्या महत्व है? इस समय ध्यान करने से क्या लाभ होता है? कामाख्या देवालय के मुख्य पुजारी कविंद्र प्रसाद शर्मा ने सारी बातें बताईं. 'अंबुबाची' शब्द का भी एक अलग अर्थ है. 'अंबु' का अर्थ है पानी और 'बची' का अर्थ है शुरुआत. जेठ (असमिया कैलेंडर का दूसरा महीना) महीने के आखिरी तीन दिनों से लेकर आहार-जेठ और 'सांथ' का संक्रांति काल तक आहार (असमिया कैलेंडर का तीसरा महीना) महीने की तीसरी तारीख तक माना जाता है.

यह अवधि फसल कटाई के लिए उपयुक्त समय माना जाता है. साथ ही इस अवधि के दौरान परंपरा के अनुसार, कृषि भूमि पर हल नहीं चलाया जाता है. इस अवधि के दौरान कई लोग उपवास भी रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि देवी मां कामाख्या आहार महीने की 7 तारीख को ‘आद्या’ नक्षत्र और मिथुन राशि के संयोग से ‘सांथ’ काल के बाद अपने मासिक धर्म में प्रवेश करती हैं. परंपरा के अनुसार इस अवधि के दौरान मंदिर के अंदर किसी भी तरह की पूजा करने से मना किया जाता है. इसलिए कामाख्या मंदिर का मुख्य द्वार अंबुबाची के शुरू होने से तीन दिनों तक बंद रहता है और चौथे दिन नित्य पूजा के बाद मंदिर का मुख्य द्वार भक्तों के लिए खोल दिया जाता है.

अंबुबाची मेला 2024 की व्यवस्थाएं
इस बीच, अंबुबाची मेले के अवसर पर श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए प्रशासन और मंदिर प्रबंधन समिति ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं. कामाख्या धाम के मुख्य पुजारी कबींद्र प्रसाद शर्मा ने बताया कि, अंबुबाची मेले के दौरान यात्रियों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन के सहयोग से सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं. पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए 120 अतिरिक्त सफाई कर्मचारियों को तैनात किया गया है.

उन्होंने बताया कि, मंदिर के आसपास 300 नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. सुरक्षा के लिए मंदिर के सुरक्षा कर्मियों के साथ-साथ 300 अतिरिक्त स्काउट और गाइड तैनात किए गए हैं. प्रशासन ने अंबुबाची मेले के अवसर पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पांडू पोस्ट, मालीगांव रेलवे स्टेशन और आदाबाड़ी में शिविरों की व्यवस्था भी की है. पांडू से कामाख्या तक फ्लाईओवर का उपयोग श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल रखने के लिए किया जा रहा है.

इस दौरान भक्तों को पहाड़ी के नीचे से ऊपर तक पैदल जाना होगा. फुटपाथ पर चिकित्सा सेवा, पेयजल और विश्राम स्थल होंगे. रात 8 बजे के बाद भक्त कामाख्या नहीं आ सकेंगे. रात 8 बजे प्रवेश बंद हो जाएगा. 8 बजे के तुरंत बाद प्रवेश बंद कर दिया जाएगा. फिर अगली सुबह 5 बजे से भक्त कामाख्या मंदिर परिसर में प्रवेश कर सकेंगे.

असम सरकार को भारी भीड़ की उम्मीद
असम के कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि, इस बार शनिवार से 27 जून तक वीआईपी पास नहीं होगा. वीआईपी दर्शन की भी व्यवस्था नहीं होगी. यह व्यवस्था इसलिए की गई है, ताकि कई दिनों से दर्शन के लिए इंतजार कर रहे भक्तों को मंदिर खुलने के बाद दर्शन में कोई दिक्कत न हो. मंत्री ने कहा कि, 27 जून तक सभी के लिए यही व्यवस्था रहेगी.

उन्होंने कहा कि, पहले अंबुबाची के कुछ दिनों में 20-25 लाख लोग जुटते थे. यह संख्या हर साल बढ़ रही है. इस बार यह संख्या और बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार ने अंबुबाची के लिए 5 करोड़ रुपये का बजट रखा है. उन्होंने कहा कि, इस बार प्रचार-प्रसार पर खर्च नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि, सुरक्षा और संरक्षा की दृष्टि से सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं.

पढ़ें: हज यात्रा पर गए जबलपुर के इसरार अहमद का सुराग नहीं, मौत की सूचना पर परिजन शॉक

गुवाहाटी: ऐतिहासिक वार्षिक महा अंबुबाची मेला 2024 शुरू होने के साथ ही गुवाहाटी की नीलाचल पहाड़ी आकर्षण का केंद्र बन गई है. मेले की तैयारियां और इसे सफल बनाने के लिए पहले से ही तैयारियां कर ली गई हैं. यह मेला देवी के मासिक धर्म चक्र के दौरान मनाया जाता है. लाखों श्रद्धालु इस मेले में आते हैं और पूजा शुरू होने का इंतजार करते हैं.

मां कामाख्या देवी मंदिर में शुरू हुआ अंबुबाची मेला 2024 (ETV Bharat)

मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि अंबुबाची का महापर्व शनिवार सुबह 8.43 बजे 'प्रभृति' के साथ शुरू हुआ. इस दौरान कामाख्या मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर दिए गए, 25 जून को 'नृभृति' के बाद रात 9.07 बजे पूजा फिर से शुरू होगी. 26 जून की सुबह देवी की नित्य पूजा के बाद मंदिर के मुख्य द्वार भक्तों के लिए फिर से खोल दिए जाएंगे. माना जाता है कि इस दौरान हर साल चार दिनों तक मंदिर में पूजा बंद रहती है और कपाट बंद रहते हैं. इस दौरान मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले में देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु आते हैं.

मुख्यमंत्री सरमा ने किया पोस्ट
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में श्रद्धालुओं का मेले में स्वागत किया. उन्होंने लिखा कि, 'आज मां कामाख्या शक्तिपीठ में अंबुबाची मेला का प्रथम दिन है. यह तीन दिवसीय पर्व नारायणी शक्ति का महोत्सव है. इस अवसर पर देश के विभिन्न कोने से आए साधुओं, श्रद्धालुओं और भक्तों को मेरा हार्दिक अभिनंदन'. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मेले के सुचारू संचालन के लिए कामरूप महानगर जिला प्रशासन और अन्य एजेंसियों द्वारा व्यवस्था की गई है.

'अंबुबाची' शब्द का वास्तव में क्या अर्थ है?

अंबुबाची का क्या महत्व है? इस समय ध्यान करने से क्या लाभ होता है? कामाख्या देवालय के मुख्य पुजारी कविंद्र प्रसाद शर्मा ने सारी बातें बताईं. 'अंबुबाची' शब्द का भी एक अलग अर्थ है. 'अंबु' का अर्थ है पानी और 'बची' का अर्थ है शुरुआत. जेठ (असमिया कैलेंडर का दूसरा महीना) महीने के आखिरी तीन दिनों से लेकर आहार-जेठ और 'सांथ' का संक्रांति काल तक आहार (असमिया कैलेंडर का तीसरा महीना) महीने की तीसरी तारीख तक माना जाता है.

यह अवधि फसल कटाई के लिए उपयुक्त समय माना जाता है. साथ ही इस अवधि के दौरान परंपरा के अनुसार, कृषि भूमि पर हल नहीं चलाया जाता है. इस अवधि के दौरान कई लोग उपवास भी रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि देवी मां कामाख्या आहार महीने की 7 तारीख को ‘आद्या’ नक्षत्र और मिथुन राशि के संयोग से ‘सांथ’ काल के बाद अपने मासिक धर्म में प्रवेश करती हैं. परंपरा के अनुसार इस अवधि के दौरान मंदिर के अंदर किसी भी तरह की पूजा करने से मना किया जाता है. इसलिए कामाख्या मंदिर का मुख्य द्वार अंबुबाची के शुरू होने से तीन दिनों तक बंद रहता है और चौथे दिन नित्य पूजा के बाद मंदिर का मुख्य द्वार भक्तों के लिए खोल दिया जाता है.

अंबुबाची मेला 2024 की व्यवस्थाएं
इस बीच, अंबुबाची मेले के अवसर पर श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए प्रशासन और मंदिर प्रबंधन समिति ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं. कामाख्या धाम के मुख्य पुजारी कबींद्र प्रसाद शर्मा ने बताया कि, अंबुबाची मेले के दौरान यात्रियों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन के सहयोग से सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं. पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए 120 अतिरिक्त सफाई कर्मचारियों को तैनात किया गया है.

उन्होंने बताया कि, मंदिर के आसपास 300 नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. सुरक्षा के लिए मंदिर के सुरक्षा कर्मियों के साथ-साथ 300 अतिरिक्त स्काउट और गाइड तैनात किए गए हैं. प्रशासन ने अंबुबाची मेले के अवसर पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पांडू पोस्ट, मालीगांव रेलवे स्टेशन और आदाबाड़ी में शिविरों की व्यवस्था भी की है. पांडू से कामाख्या तक फ्लाईओवर का उपयोग श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल रखने के लिए किया जा रहा है.

इस दौरान भक्तों को पहाड़ी के नीचे से ऊपर तक पैदल जाना होगा. फुटपाथ पर चिकित्सा सेवा, पेयजल और विश्राम स्थल होंगे. रात 8 बजे के बाद भक्त कामाख्या नहीं आ सकेंगे. रात 8 बजे प्रवेश बंद हो जाएगा. 8 बजे के तुरंत बाद प्रवेश बंद कर दिया जाएगा. फिर अगली सुबह 5 बजे से भक्त कामाख्या मंदिर परिसर में प्रवेश कर सकेंगे.

असम सरकार को भारी भीड़ की उम्मीद
असम के कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि, इस बार शनिवार से 27 जून तक वीआईपी पास नहीं होगा. वीआईपी दर्शन की भी व्यवस्था नहीं होगी. यह व्यवस्था इसलिए की गई है, ताकि कई दिनों से दर्शन के लिए इंतजार कर रहे भक्तों को मंदिर खुलने के बाद दर्शन में कोई दिक्कत न हो. मंत्री ने कहा कि, 27 जून तक सभी के लिए यही व्यवस्था रहेगी.

उन्होंने कहा कि, पहले अंबुबाची के कुछ दिनों में 20-25 लाख लोग जुटते थे. यह संख्या हर साल बढ़ रही है. इस बार यह संख्या और बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार ने अंबुबाची के लिए 5 करोड़ रुपये का बजट रखा है. उन्होंने कहा कि, इस बार प्रचार-प्रसार पर खर्च नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि, सुरक्षा और संरक्षा की दृष्टि से सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं.

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