नगांव: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के नियमों के तहत अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले 67000 चकमा और हाजोंग समुदाय के शरणार्थियों को असम में बसाने को लेकर एक बयान दिया था. इसको लेकर अब असम के मुख्समंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि फिलहाल इसको लेकर किरेन रिजिजू से कोई बातचीत नहीं हुई है.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को नगांव के जुरिया में एक चुनाव अभियान के दौरान किरेन रिजिजू की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि असम में चकमा और हाजोंग शरणार्थियों के समझौते पर रिजिजू ने कोई बातचीत नहीं की है, लेकिन अरुणाचल में रहने वाले मोरन मोटोक समुदाय के लोगों को असम की नागरिकता दी जाएगी.
रिजिजू के इस बयान की राज्य के कई अन्य वर्गों ने आलोचना की और कहा कि वह सीएए 2019 के तहत असम पर शरणार्थियों का बोझ डालने की कोशिश कर रहे हैं. रायजोर विधायक अखिल गोगोई ने बीजेपी सांसद की आलोचना की और रिजिजू और सीएम सरमा के बीच हुई कथित बातचीत पर स्पष्टता की भी मांग की है.
असम जातीय परिषद ने की आलोचना : इसके अलावा एक अन्य राजनीतिक संगठन असम जातीय परिषद ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला बोला. पार्टी नेता जगदीश भुइयां ने कहा, 'अगर ऐसा होता है तो असोम जातीय परिषद भी इसका विरोध करेगी.' उन्होंने कहा कि बिना किसी कारण हम सीएए के आधार पर किसी भी विदेशी नागरिक को असम की धरती पर रहने की इजाजत नहीं देंगे.
ऑल ताई अहोम स्टूडेंट्स यूनियन ने आंदोलन की चेतावनी : ऑल ताई अहोम स्टूडेंट्स यूनियन ने भी केंद्रीय मंत्री की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दी है और चेतावनी देते हुए कहा कि असम किसी की निजी संपत्ति नहीं है और दिल्ली का प्रिय बनने के लिए वह यहां अवैध बांग्लादेशियों और बाहरी लोगों को स्थापित करने की कोशिश न करें. हम इसका विरोध करेंगे और जरूरत पड़ने पर इसे रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाएंगे.
किरेन रिजिजू का बयान : बता दें कि किरेन रिजिजू ने सोमवार को कहा था कि शरणार्थियों को असम में स्थानांतरित कर दिया जाएगा और इस मामले पर असम के सीएम के साथ पहले ही चर्चा हो चुकी है. केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने यह भी दावा किया था कि अरुणाचल प्रदेश के बहुचर्चित चकमा और हाजोंग को चुनाव के बाद असम में स्थापित किया जाएगा. चकमा और हाजोंग अरुणाचल प्रदेश के अस्थायी निवासी नहीं हैं और उनका अरुणाचल प्रदेश में कोई स्थान नहीं है.
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