नई दिल्ली: हांगकॉग एशियन मैराथन में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले धावक मान सिंह ने कमाल कर दिखाया है. दरअसल हाल ही में भारतीय सेना में तैनात मान सिंह ने एशियाई मैराथन चैंपियनशिप 2024 में स्वर्ण पदक हासिल किया है. उनकी वजह से एशियाई मैराथन प्रतियोगिता में भारत ने 73 साल बाद गोल्ड मेडल जीता है. उन्होंने अपने अब तक के सफर के बारे में बताया. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?
सवाल- आपका प्रारंभिक जीवन कहां और कैसे बीता, धावक बनने का ख्याल आपके मन में कैसे आया ?
जवाब- मैं पिथौरागढ़ जिले के बंगापनी तहसील के छोटे से गांव मेतली कुंडिया से आता हूं. मेरा प्रारंभिक जीवन गांव में ही बीता. मुझे दौड़ने का बहुत शौक था. वहां ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र है और गांव में सड़क भी नहीं थी. सड़क तक जाने के लिए 10 से 12 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है. स्कूल भी तीन-चार किलोमीटर दूर था, जहां प्रतिदिन जाने से मेरे पैरों की क्षमता काफी बढ़ी.
सवाल- आपने धावक बनने के लिए पहले शुरुआत कहां से की और सफलता कैसे मिली?
जवाब- मैं आर्मी में आने के बाद रनिंग ज्यादा करने लगा था. बस वहीं से धावक बनने का ख्याल मन में आया. इसके बाद 2011 से मैंने ट्रेनिंग शुरू की और साल 2012 से प्रतियोगिताओं में मेडल लाना शुरू कर दिया. हांगकांग में हुए एशियाई मैराथन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. वहीं हर दिन के लिए अलग-वर्कआउट होता है. मैराथन के लिए और अधिक प्रैक्टिस करनी पड़ती है. मॉर्निंग और इवनिंग सेशन में कुल मिलाकर हर रोज 30-35 किलोमीटर दौड़ लगानी होती है.
सवाल- उत्तराखंड में नेशनल गेम्स होने वाले हैं. उसके लिए आपकी तैयारी कैसी चल रही है?
जवाब- नेशनल गेम्स के लिए मैं अभी से ही तैयारी कर रहा हूं. फिलहाल नेशनल गेम्स में मैराथन नहीं है, इसलिए मैं इसके लिए 10,000 मीटर रेस की तैयारी करूंगा और उत्तराखंड के लिए मेडल लाने की कोशिश करूंगा. जो युवा नेशनल गेम्स के लिए तैयारी कर रहे हैं, उनसे मैं यही कहना चाहूंगा कि अपने ऊपर भरोसा रखें और निरंतर मेहनत करते रहें. इसी से सफलता हासिल होगी. इसके लिए सही वर्क आउट के साथ अच्छी डाइट भी जरूरी है. दौड़ लगाने के लिए फिटनेस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है.
सवाल- आप एशियाई मैराथन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं. आगे की क्या तैयारी है आपकी?
जवाब- इस साल ओलंपिक गेम्स होने वाले हैं. अब मैं उसी की तैयारी के लिए सोच रहा हूं. जब मैं हांगकांग खेलने गया था तो वहां पर वातावरण पूरी तरह से अलग था. मेरा अगला लक्ष्य है कि मैं ओलंपिक मेडल लेकर आऊं. मैं तो मुंबई में होने वाले मैराथन की तैयारी कर रहा था, लेकिन उसी तारीख को एशियाई मैराथन के होने का भी पता चला, जिसके बाद मैंने एशियाई चैंपियनशिप में भाग लेने का फैसला किया. मेरी मुबंई के मैराथन की तैयारी एशियाई मैराथन के दौरान काम आई. जब भी ऐसे मंच पर राष्ट्रीय गान बजता है तो बहुत गर्व महसूस होता है.