कटक: ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के भरतपुर पुलिस स्टेशन में सेना के मेजर और उसकी मंगेतर को प्रताड़ित करने के मामले में सोमवार को उड़ीसा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आर्मी मेजर और उसकी मंगेतर के नाम उजागर न करने का निर्देश दिया.
अदालत ने एडीजी (आधुनिकीकरण) दयाल गंगवार को सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी की स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया. अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने भरतपुर पुलिस स्टेशन में हुई घटना का स्वतः संज्ञान लिया था. इस संबंध में उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा न्यायमित्र की नियुक्ति भी की गई है.
जांच की निगरानी करने से इनकार
उड़ीसा हाईकोर्ट ने भरतपुर पुलिस थाने में सेना के अधिकारी को कथित रूप से प्रताड़ित करने और उसकी मंगेतर पर हमला करने के मामले में चल रही क्राइम ब्रांच की जांच की निगरानी करने से इनकार कर दिया.
हाईकोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी की किसी अपराध की जांच करने की शक्ति और कर्तव्य वैधानिक है और जब तक कोई असाधारण परिस्थिति न हो, तब तक अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. हमें जांच की निगरानी करने का कोई कारण नहीं दिखता. अदालत का माननाहै कि जांच एजेंसी स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से काम करेगी.
घटना की न्यायिक जांच के निर्देश
ओडिशा सरकार ने रविवार को घटना की न्यायिक जांच के निर्देश दिए हैं. साथ ही उड़ीसा हाईकोर्ट से मामले में चल रही अपराध शाखा की जांच की सीधे निगरानी करने का अनुरोध किया है. राज्य के गृह विभाग ने भरतपुर पुलिस स्टेशन में एक महिला और सेना के अधिकारी के साथ कथित दुर्व्यवहार और हमले की न्यायिक जांच के लिए औपचारिक गजट अधिसूचना जारी की.
अधिसूचना में कहा गया है, "जांच आयोग में उड़ीसा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज जस्टिस चित्तरंजन दाश शामिल हैं, जो इस अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से 60 दिनों के भीतर मामले की जांच करेंगे और अपनी रिपोर्ट देंगे."
यह भी पढ़ें- ओडिशा के पुलिस थाने में आर्मी मेजर की मंगेतर से मारपीट, 7 आरोपी गिरफ्तार, क्राइम सीन का रिक्रिएशन